शहर-पंचायतों में कोविड सर्किट, हेल्थ सर्किट व संजीवनी वाहन साबित हुआ अचूक रणनीति

कोरोना महामारी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहली बार शब्द “सर्किट” को बनाया जीवन रक्षक शब्द, मरीजों को मुहैय्या हुए निशुल्क बेड

कोविड सर्किट बनाने से रांची और जमशेदपुर, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, रामगढ़, सरायकेला और चाईबासा आदि जिले को मिली राहत

रांची: संक्रमण की भयावहता राज्य में चरम पर हो. लोग अपनों की जीवन रक्षा में होश-हवास खो बैठे हो. विपक्ष संक्रमण के पीक का फायदा उठाते हुए, मौकापरस्ती के मद्देनजर हेमंत सत्ता को मदद देने की बजाय हमलावर हो. आईटी सेल लोगों में भ्रामक कंटेंट लगातार परोस रहा हो. ऐसी परिस्थिति में भी यदि राज्य का मुखिया अपना दिमाग को संतुलित रखे. और झूठी आँसू बहाने के बजाय खुद कमान संभाले. 24 घंटे अल्प संसाधन में भी महामारी से डटकर लोहा ले. इच्छाशक्ति, रणनीति व तैयारी से संक्रमण को पीछे हटने पर मजबूर कर दे. तो निश्चित रूप से यह अच्छे मुखिया, लोकतांत्रिक मुख्यमंत्री व संवेदनशील भाई-पिता, जो चाहे कह ले, की व्याख्या या रूप हो सकता है.

उस मुख्यमंत्रियों के तमाम प्रयास कारगर साबित हों. इसी दौरान वह जनता, बच्चों, भाई-बहन, तमाम वर्ग की भूख की भी चिंता करते दिखे. नयी-नयी जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत भी करे. राज्य के शहरी लोगों का परिचय कोविड सर्किट से और पंचायत के लोगों का परिचय हेल्थ सर्किट जैसे समाधान से कराये. कोरोना महामारी में पहली बार कोई मुख्यमंत्री सर्किट शब्द को जीवन रक्षक शब्द बना दे. झारखंड के कैनवास में जिसका परिणाम महामारी को घुटने टेकने पर मजबूर करे. तो बिना अतिशयोक्ति के कहा जा सकता है. राज्य का भविष्य सुरक्षित हाथों में है. और झारखंड की जनता ने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में चुन कर कोई गलती नहीं की है.

कोविड सर्किट से 104 पर नंबर डायल करने से मरीजों को मिल रहा बेड

ज्ञात हो, 24 अप्रैल 2021, मुख्यमंत्री ने कोरोना से बिगड़े हालात के बीच मरीजों को तत्काल स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए रांची और जमशेदपुर में, कोविड सर्किट का ऑनलाइन उद्घाटन किया. कोरोना संक्रमण पीक पर होने की स्थिति में लोग अस्पतालों में बेड के लिए परेशान थे. और जानकारी के आभाव में वह राजधानी का रुख कर रहे थे. जिससे उनकी समस्या और बढ़ गयी थी. नतीजतन, सर्किट शब्द वाकई किसी सर्किट की तरह काम किया. गृह जिले में बेड नहीं मिलने पर पड़ोसी या निकटतम जिले में बेड मुहैया कराने में लोगों की मदद की. 104 नंबर डायल कर लोगों ने निकटवर्ती जिले में निशुल्क बेड प्राप्त किया.

कोविड सर्किट बनने से राज्य के कई जिले के लोगों को मिला तत्काल लाभ 

मुख्यमंत्री ने कहा – रांची और जमशेदपुर में अगर कोरोना संक्रमितों को ऑक्सीजन युक्त बेड नहीं मिले, तो नजदीक के दूसरे जिलों में उन्हें भर्ती किया जाएगा. रांची के मरीजों को खूंटी, रामगढ़, लोहरदगा, गुमला में इलाज की सुविधा मिलेगी. जब इस सर्किट का उद्घाटन हुआ था, तब सर्किट में 2000 ऑक्सीजन युक्त बेड थे. जिसमें 450 बेड खाली थे. जमशेदपुर में कोरोना मरीजों नजदीक के सरायकेला और चाईबासा के अस्पतालों में भर्ती किया जा सका. सीएम की इस पहल का इमरजेंसी के हालात में तत्काल लाभ संक्रमित मरीजों को मिला और मिल रहा है.

अब पंचायतों में हेल्थ सर्किट बनाने पर हेमंत का जोर, भविष्य में भी मिलेगा स्वास्थ्य लाभ 

सर्किट शब्द को व्यापक बनाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का जोर अब पंचायतों में हेल्थ सर्किट बनाने पर है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार अब सभी जिले से लेकर पंचायतों तक हेल्थ सर्किट बनाने पर काम कर रही हैं. इसके बनने से झारखंड भविष्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर स्थिति में खड़ा हो सकेगा. सीएम ने कहा कि इस सर्किट के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में जांच व इलाज की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था सरकार कायम करेगी. प्रखंडों में भी दो ऑक्सीजन सपोर्टेंड बेड सरकार उपलब्ध कराएगी.

संजीवनी वाहन से ग्रामीण व शहरी इलाकों में ऑक्सीजन की किल्लत हुई खत्म, अब यह सुविधा धनबाद और जमशेदपुर में भी होगी बहाल 

संक्रमण में पहली बार देश भर में ऑक्सीजन की किल्लत महसूस हुई. जब पूरा देश हाफ रहा था. तब मुख्यमंत्री ने हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए संजीवनी वाहन जैसी अनूठी शुरुआत की. शुरुआती चरण में इसका प्रयोग रांची के शहरी व ग्रामीण इलाकों में किये गया. अब सीएम ने इसका फायदा देखते हुए जल्द ही धनबाद और जमशेदपुर में भी शुरू करने की योजना पर काम कर रहे हैं. जल्द ही पूरे राज्य में यह सुविधा बहाल होगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि संजीवनी वाहन 24X7 ऑपरेशन मोड में रहेंगे. वाहनों मे हमेशा ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद रहेगा. रांची जिले के अन्तर्गत जिस अस्पताल में ऑक्सीजन की जरूरत होगी, उसे तत्काल मुहैय्या कराया जाएगा. यह वाहन जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से भी लैस होगा, जिससे इसकी बेहतर मॉनिटरिंग की जा सकेगी.

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