छह पहल, जो स्कूली शिक्षा के प्रति सीएम हेमंत की गंभीरता करती है साबित

सीमित संसाधनों में आपदा से लड़ते हुए भी मुख्यमंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र में 760 करोड़ रुपये कर झारखंड के भविष्य को सुरक्षित रखने का किया है पहल

रांची: झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कवायद,यदि कोरोना महामारी के बीच भी, राज्य की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की कोशिश के तौर पर दिखे. कोरोना अवधि हो या सामान्य वक़्त, उस मुख्यमंत्री के प्रयास स्कूली शिक्षा और इससे जुड़े कर्मियों को लेकर बेहतर उपाय करते दिखे. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जीवन रक्षा के मद्देनजर खुद कमान संभालते हुए भी, राज्य के भविष्य, शिक्षा को प्राथमिकता में रखना. और एक सप्ताह के भीतर इसके के मातहत उनके 6 महत्वपूर्ण पहल, दर्शाता है कि वह मुखिया झारखंड के अगली पीढ़ी के स्वर्णिम भविष्य को लेकर कितना गंभीर हो सकता है.

शिक्षा व्यवस्था को लेकर मौजूदा दौर में सीएम के महत्वपूर्ण पहल

  • 8 मई, 2021 – गैर सरकारी सहायता प्राप्त प्रारंभिक विद्यालयों में काम कर रहे शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारी के लिए मुख्यमंत्री ने बड़ा फैसला लिया. कर्मियों को वेतन देने के लिए 224 करोड़ (2 अरब 24 करोड़ 48 लाख 56 हजार) रुपये की स्वीकृत दी गयी. 2021-22 के लिए यह सहायता अनुदान का प्रस्ताव स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग का था.
  • 2021,8 मई – प्रारंभिक विद्यालयों में काम कर रहे उर्दू शिक्षकों के स्वीकृत पदों के अवधि विस्तार और वेतन को लेकर सीएम ने फैसला लिया. सीएम ने जहां वेतन मद के लिए 55.80 करोड़ (55 करोड़, 80 लाख, 90 हजार) रुपये जारी करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी. वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए प्रारंभिक विद्यालयों में इंटर प्रशिक्षित उर्दू शिक्षक के स्वीकृत 4401 पदों के अवधि विस्तार का भी सीएम ने फैसला लिया. बता दें कि राज्य में वर्तमान में उर्दू शिक्षकों के 4401 पदों के विरुद्ध 689 शिक्षक काम कर रहे हैं.

17 मई, मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के तीन अहम प्रस्तावों पर दी अपनी स्वीकृति 

  1. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के 700 करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति दी. इस राशि के जारी होने से राज्य के उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में स्वीकृत पदों के विरुद्ध कार्यरत शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मियों को राहत मिलेगी. राशि जारी होने के बाद कर्मियों को समय पर वेतन का भुगतान हो पाएगा.
  2. अराजकीय सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालय में सृजित पदों के विरुद्ध वैध तरीके से नियुक्त और कार्यरत शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन के लिए 191 करोड़ (1 अरब 91 करोड़ 41 लाख 86 हजार रुपये) के सहायता अनुदान के प्रस्ताव पर भी सीएम ने स्वीकृति दी. यह राशि वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए आवंटित की गई है.
  3. राज्य के अराजकीय सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों (उच्च, प्राथमिक सह मध्य और प्राथमिक स्तर के) के शिक्षकों तथा शिक्षकेत्तर कर्मियों के स्थापना व्यय के लिए सीएम ने 5.10 करोड़ रुपये (5 करोड़ 10 लाख 26 हजार रुपए) सहायता अनुदान की राशि को भी मंजूरी दी. साथ ही अराजकीय प्रस्वीकृत मदरसों के शिक्षकों तथा शिक्षकेत्तर कर्मियों के स्थापना व्यय हेतु सहायता अनुदान के लिए 58.85 करोड़ (58 करोड़ 85 लाख 20 हजार रुपये) के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रस्ताव को को भी अनुमति मिली. यह राशि वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए है.

मिनी लॉकडाउन में ही शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी योजनाओं का डीपीआर बनाने का निर्देश

मुख्यमंत्री ने स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश भी दिये कि विभाग के भविष्य से जुड़ी जितनी भी योजनाएं है, उनका डीपीआर इसी मिनी लॉकडाउन (स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह) की अवधि में तैयार हो. ताकि जब यह अवधि खत्म हो, तो सरकार योजनाओं को तत्काल शुरू कर सके. इसके अलावा जो योजना अभी शुरू नहीं हुई है, उनकी स्वीकृति 15 मई तक दी जाए. साथ ही वैसे योजनाएं, जिसको स्वीकृति मिली है, लेकिन आवंटन नहीं हुआ है, उनका 30 मई तक आवंटन करने का भी सीएम ने निर्देश दिया है. 

सरकारी स्कूलों में आईसीटी लैब व स्मार्ट क्लास की दिशा में महत्वपूर्ण पहल 

हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने केंद्र को एक अहम प्रस्ताव भेजा है. यह प्रस्ताव राज्य के 1000 सरकारी स्कूलों में आईसीटी लैब और 1228 स्कूलों में स्मार्ट क्लास बनाने से जुड़ा है. वहीं 44 स्कूलों में वोकेशनल की पढ़ाई भी शुरू की जाएगी. इसके लिए हेमंत सोरेन सरकार ने केंद्र से 3241 करोड़ रुपये की भी मांग की है.

डिजिटल कंटेंट से सरकारी स्कूलों के बच्चों का जारी रहेगा पढ़ाई, होंगे ऑनलाइन टेस्ट

राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के बच्चों को पाठ्यपुस्तक के आधार पर डिजिटल कंटेंट देने की पहल भी हेमंत सरकार ने कर दिया है. सोमवार से यह कंटेंट स्कूलों को उपलब्ध भी कराया जा रहा है. डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराने से सरकारी स्कूल के बच्चे इस मिनी लॉकडाउन में भी अपनी पढ़ाई जारी रख पाएंगे. इसके अलावा सीएम के निर्देश के बाद स्कूली शिक्षा विभाग ने बच्चों से ऑनलाइन टेस्ट लेने का भी फैसला किया है.

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