झारखण्ड : ऑपरेशन हेमन्त बनी बीजेपी की गले की हड्डी 

रांची : अगर वे मुझे निगलना चाहते हैं तो सावधान रहें, अगर निगलने के क्रम हड्डी फंस गई तो फिर शरीर को चीर देगा. चम्पाई सरकार के बहुमत साबित के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का दिया यह बयान प्रासंगिक साबित हो रहा है. 

भाजपा की केंद्र सरकार के लिए ऑपरेशन हेमन्त गले की हड्डी बन चुका है. भाजपा को इस ऑपरेशन में दोहरी मार पड़ी है. एक तो, जिस हेमन्त ने पिछले चार वर्ष में जो लोगों के बीच भावनाओं का संचार किया है वह अब राज्यवासियों के बीच एक संवदेनशील मामला हो चुका है. और झारखण्ड में भाजपा की सामन्ती राजनीति पर भारी पड़ेने लगा है. दूसरी ओर, जिस मामले के आरोप में ईडी ने हेमन्त सोरेन को हिरासत में लेकर जेल भेजा है उसे साबित करना ईडी के लिए मुश्किल हो गया है. 

ऑपरेशन हेमन्त बनी बीजेपी की गले की हड्डी 

इडी का आरोप जिस भूमि को हथियाने का, उसका स्वामी कोई और 

आरोप के अनुसार हेमन्त सोरेन ने पद का दुरुप्रयोग करते हुए रांची के बरियातू मौजा स्थित 8 एकड़ भूईहरी जमीन अपने नाम करा ली. लेकिन जिस भूमि को हड़पने का आरोप ईडी ने हेमन्त पर लगाया, उस भूमि की खरीद-बिक्री नहीं की जा सकती. दूसरा पहलु यह भी है कि भूमि के स्वामित्व को लेकर आई त्रुटि को दूर करने हेतु भूमि के स्वामी ने सीएसआर कोर्ट में अगस्त 2023 में आवेदन समर्पित किया था. 

मामले की सुनवाई के बाद त्रुटि को न्यायालय ने सही पाया और भूमि को असली स्वामी के नाम करने निर्देश भूमि एवं राजस्व विभाग, झारखण्ड सरकार को दिया. तत्पश्चात भूमि को लेकर आई गड़बड़ी को ऑनलाइन ठीक कर दिया गया. अब जिस भूमि में हेमन्त का नाम आया है, उसका स्वामी कोई और है एवं जिसका दखल कब्जा कायम है. ऐसे में ईडी द्वारा हेमन्त सोरेन के प्रति किया गया कार्य राजनीति से प्रेरित है जगजाहिर हो गया है.

हेमन्त सोरेन की मंझे और सुलझे राजनीतिज्ञ से बीजेपी को डर 

तमाम विकट परिस्थतियों के बीच स्पष्ट हो चला है कि पूरे ऑपरेशन का असल मकसद आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर झारखण्ड से भाजपा की खिसकती जनाधार को स्थिर करना था. क्योंकि जाहिर है कि हेमन्त सोरेन एक मंझे एवं सुलझे राजनीतिज्ञ हैं और झारखण्ड के आदिवासियों और मूलवासियों के सशक्त नेता बनकर उभर रहे हैं, जो भाजपा राजनीति को डरा रहा था. भाजपा को आभास हो चला था कि हेमन्त यदि लम्बे समय तक सीएम के पद पर रहें तो आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में भाजपा की लुटिया डुबो देंगे. 

बहरहाल, वर्तमान परिस्थितियों को देखने स्पष्ट हो चला है कि भाजपा का यह ऑपरेशन उसके राजनीतिक परिस्थिति के लिए अब पूरी तरह उल्ट पड़ चुका है. राज्य एवं देश भर के आदिवासी-मूलवासी गुस्से के मद्देनजर यह पूरा प्रकरण अब उसके गले की हड्डी बन चुकी है. और केंद्र भाजपा, झारखण्ड भाजपा और उसके सहयोगियों के लिए नासूर बन गया है, जिसे निगलना उसके लिए भारी पड़ रहा है.

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