सीएम हेमंत की अनूठी पहल :कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को संरक्षण व संक्रमितों के परिजनों को मदद

अनाथ के अलावे आपदा की घड़ी में आश्रमों में रहने वाले दिव्यांग बच्चों, बुजुर्गों व वृद्धजनों से मिलने स्वयं पहुंचे हेमंत सोरेन, दिया भरोसा और कहा उनकी चिंता हमेशा उन्हें रहती है

रांची: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की तबाही शायद ही कोई भूल पाएगा. खासकर वे जिन्होंने असमय अपनो को खोया है. कई परिवार ऐसे है, जहाँ माता-पिता दोनों की ही मृत्यु महामारी में हो गयी. बच्चे अनाथ हो गये हैं. संक्रमित के परिजन हॉस्पिटलों का चक्कर काटने को विवश हैं. इन परिजनों को दिन-रात हॉस्पिटल में रहना पड़ रहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इन लोगों को राहत पहुंचाने की दृष्टि शुरू की गयी पहल सराहनीय मानी जा सकती है. 

यह पहल तीन तरीके से शुरू की गयी है :

  1. अनाथ बच्चों को अब राज्य सरकार सम्पूर्ण संरक्षण देगी. 
  2. अगर अनाथ बच्चों का पोषण उसके परिजन करते हैं. तो राज्य सरकार उन्हें प्रोत्साहन राशि देगी. 
  3. संक्रमितों के इलाज करा रहे परिजनों को हॉस्पिटलों में हर संभव मदद पहुंचाई जाएगी.

सीएम नहीं चाहते कि अनाथ बच्चों का शोषण हो या वह बाल तस्करी का शिकार हों

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नहीं चाहते हैं कि कोरोना संक्रमण की वजह से माता-पिता को खोने वाले बच्चों का शोषण हो. या वे बाल तस्करी का शिकार हों. इसलिए इन बच्चों की उचित देखभाल सुनिश्चित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. सीएम के निर्देश के बाद रांची जिला प्रशासन ने भी अन्य जिलों की तरह चाइल्डकेयर हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर-1098 के अतिरिक्त जिला प्रशासन द्वारा व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया गया है. प्रशासन की अपील है कि ऐसे बच्चों का विवरण सार्वजनिक डोमेन पर जारी न कर सीधे हेल्पलाइन नंबर पर रिपोर्ट क्या जाए.

यह नंबर टोल-फ्री हैं, हेल्पलाइन नं- 1098, 181, वाट्सएप  नंबर – 8789833434, मोबाइल नंबर – 9955588871, 8789370474. बच्चों से संबंधित विस्तृत जानकारी एकत्र करने और आवश्यकता का आंकलन करने के बाद जिला बाल कल्याण समिति अंतिम निर्णय लेगी. इसके अलावा यह हेल्पलाइन नंबर उन बच्चों को भी अस्थायी सहायता देगी, जिनके माता-पिता का इलाज अस्पताल में हो रहा है.

अगर देखभाल का जिम्मा परिजन लेते हैं, तो सरकार उन्हें देगी प्रोत्साहन राशि

मुख्यमंत्री ने कहा है कि अगर अनाथ हुए बच्चों की देखभाल का जिम्मा उसके ही परिवार का कोई सदस्य उठाता है, तो देखभाल करने के बदले उन्हें मासिक प्रोत्साहन सहायता राशि दी जाएगी. हालांकि, कई लोगों धोखाधड़ी कर सकते हैं, इसलिए मुख्यमंत्री ने बाल कल्याण समिति को निर्देश दिया है कि उसकी टीम इसका आकलन करें. और अगर कोई परिजन आगे आता है, तो समिति के सदस्य संबंधित घर का दौरा कर सर्वेक्षण करेंगे कि बच्चा उनके साथ सुरक्षित होगा या नहीं. यदि कोई केयरटेकर उपलब्ध नहीं है, तो ऐसे मामलों में बच्चों को सरकार द्वारा चलाए जा रहे चिल्ड्रन केयर होम ले जाया जाएगा.

हॉस्पिटलों के जिम्मे होगा परिजनों की सुविधा व उनके मानसिक स्थिति को ठीक रखना

इसके अलावे, हॉस्पिटलों में इलाजरत संक्रमितों के अटेंडेंट को भी मदद देने की सराहनीय पहल  मुख्यमंत्री ने की है. सीएम ने कहा है कि चाहे निजी हो या सरकारी हॉस्पिटल, अगर वे कोविड संक्रमित व्यक्तियों का इलाज कर रहे हैं, तो उनके अटेंडेंट की सुविधा व उनके मानसिक स्थिति का ख्याल रखने की जिम्मेदारी हॉस्पिटल प्रबंधकों की होगी. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने इस बाबत राज्य के सभी उपायुक्त, मेडिकल कॉलेज, सिविल सर्जन, निजी हॉस्पिटलों को पत्र लिख निर्देश दिया है. इस सुविधा के अंतर्गत परिजनों के लिए पीने का पानी, बाथरूम समेत अन्य सभी तरह की सुविधा शामिल हैं.

दिव्यांग बच्चों, बुजुर्गों की परेशानी का जायजा लेने स्वयं पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

इस महामारी में दिव्यांग बच्चों, बुजुर्गों व वृद्धजनों की स्थिति की जानकारी लेने के लिए, बीते रविवार को मुख्यमंत्री ने राजधानी स्थित चेशायर होम और नंदराज वृद्ध आश्रम का स्वयं दौरा किया. इन दिव्यांग बच्चों, बुजुर्गों व वृद्धजनों से बातचीत कर सीएम ने उन्हें आश्वस्त किया है कि उनकी चिंता उन्हें हमेशा रहती है. उनकी हर समय कोशिश रहेगी कि उन्हें हर संभव मदद मिलता रहे. उन्होंने आला अधिकारियों को यह सख्त निर्देश दिया कि परिजनों से अलग रहने वाले ऐसे बच्चों, बुजुर्गों का पूरी तरह से ख्याल रखा जाए.

Leave a Comment