हेमंत सरकार का “दिव्यांग विकास निधि नियमावली” साबित होगा मील का पत्थर

दिव्यांग समुदाय के लिए हेमंत सरकार का “दिव्यांग विकास निधि नियमावली” साबित होगा मील का पत्थर। 50000 रूपये अनुदान से दिव्यांग कर सकेंगे रोजगार व शिक्षा पूरी

रांची। सगे ने फलाने दिव्यांग को घर से निकाल दिया। दिव्यांग को सरकारी सेवा का लाभ नहीं मिल रहा जैसे सच के बीच, आदिवासी। मूलवासी। अगड़ा। पिछड़ा। अल्पसंख्यक। 21 श्रेणी के दिव्यांग। विकलांग। विधवा। वृद्ध। विशेष कर वह जो दूसरों पर आश्रित है…। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लकीर झारखंड के हर वर्ग के विकास व उन्नति तक जब पहुँचती है। और लोटा-पानी संघ की लूट परम्परा में रुकावट के मद्देनजर भाजपा का विपक्षी रूप हो-हल्ला बन कर सदन में गूंजे। तो आश्चर्य क्यूँ? 

ज्ञात हो, दिव्यांग मामलों में मुख्यमंत्री के तत्काल निर्देश हमेशा सम्बंधित अधिकारियों को कार्रवाई हेतु दिए जाते रहे हैं। वर्तमान में उस कड़ी में आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री के प्रयास दिव्यांग छात्र-छात्राओं की पढ़ाई व रोजगार के बीड़े से जा जुड़े। और सरकार दिव्यांगों की पढ़ाई के लिए 50,000 रूपये के अनुदान की घोषणा हो। महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा विभाग “झारखंड राज्य दिव्यांग विकास निधि नियमावली-2021” अधिसूचना जारी भी कर दे। तो निश्चित रूप से हेमंत सरकार का मानवीय पहलू, झारखंड में मील का पत्थर साबित हो सकता है। 

हेमंत सरकार में शिक्षा व रोजगार के तहत अलग-अलग काम के लिए दिव्यांगों को मिलेगा 50,000 रुपये अनुदान 

इस अधिसूचना के तहत 

  • दिव्यांग छात्र-छात्रा, जिन्हें नेशनल स्कॉलरशिप स्कीम का लाभ नहीं मिल पा रहा। उन्हें हेमंत सरकार उच्च शिक्षा के लिए 50,000 रूपये का एकमुश्त आर्थिक अनुदान देगी। 
  • जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों द्वारा पूर्व में मिलने वाले उपकरण के अलावा अन्य यंत्र के लिए भी 15,000 रूपये देगी। 
  • पीएम रोजगार गारंटी व समान उद्देश्य वाली योजनाओं में छूटे एकल दिव्यांगजनों को भी स्वरोजगार हेतु सरकार 50,000 रूपये का अनुदान देगी।
  • दिव्यांगों के स्वयं सहायता समूह को 1 लाख रूपये का अनुदान 
  • खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले दिव्यांगजनों को 50,000 रूपये की मदद भी हेमंत सरकार देगी। 

झारखंड में पहली बार होगा, जब नियमावली के तहत दी जाएगी सुविधाएं

ज्ञात हो, 29 दिसम्बर 2019,  मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद हेमंत सोरेन ने कई बार मौकों पर पीड़ित दिव्यांगों की मदद कर, झारखंड में इस सिलसिले की शुरुवात की। अब राज्य में यह पहला मौका है, जब हेमंत सरकार नियमावली के तहत दिव्यांगों को आर्थिक सहायता पहुंचाएगी। 

कब-कब किस दिव्यांग को संभालने हेतु हेमंत सोरेन के बढ़े हाथ 

  • जनवरी 2020, मुख्यमंत्री को जानकारी मिली कि धनबाद जिले में बैसाखी के सहारे जीवन-यापन करने वाली कमला देवी को चार माह से पेंशन नहीं मिल रहा है। उन्हें डीसी ऑफिस के चक्कर लगाना पद रहा है। साथ ही इसी जिले के एक वृद्धा/विधवा को विकलांग कई बार फॉर्म भरने के बावजूद पेंशन नहीं मिला। सीएम हेमंत तत्काल संज्ञान लिया और धनबाद डीसी को समस्या का निराकरण कर सूचित करने का निर्देश दिया।
  • फरवरी 2020, मुख्यमंत्री को जानकारी मिली थी कि गुमला जिले की करमटोली निवासी सपना टोप्पो की नाबालिग बेटी पायल कुमारी का दोनों पैर खराब हो गया है। वह स्कूल नहीं जा पा रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर बच्ची को ट्राइसाइकिल मुहैया कराया गया। और डॉक्टरों की टीम घर पहुंचकर पायल की जांच की, आयुष्मान कार्ड दिए।
  • नवंबर 2020, राजधानी के हरमू रोड स्थित सहजानंद चौक के पास शरीर से लाचार, भीख मांग कर जीवन-यापन कर रही,  दिव्यांग वृद्ध महिला की स्थिति की जानकारी मुख्यमंत्री को मिली। तत्काल निर्देश पर रांची डीसी द्वारा उस बेसहारा को वृद्धा आश्रम में आश्रय मिला। व्हील चेयर भी उपलब्ध कराया गया।
  • 26 फरवरी 2021, कैबिनेट बैठक में यह प्रस्ताव पास हुआ है कि सरकारी नौकरियों में दिव्यांग आंदोलनकारियों के आश्रितों की सीधी नियुक्ति दी जाएगी।

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