झारखण्ड : सत्ता पर बैठे बहुजन विचार को रोकने हेतु ख़ास आइडियोलॉजी द्वारा थोपा गया है मांडर उपचुनाव 

झारखण्ड : हीरा! चोरों को विदेश में संरक्षण और बहुजन आवाज को जेल. बहुजन मुखिया को खान लीज से तब जोड़ा गया जब उसके पास नहीं थी लिज. बात नहीं बनी तो जजिया कर माफ़ी जैसे इतिहास के अक्स में निजाम मैत्री द्वारा राज्य को सांप्रदायिक आग में झोंकने का हुआ प्रयास.

राँची : वर्तमान में झारखण्ड की सत्ता पर बैठी झारखंडी मानसिकता, बहुजन-आदिवासी समाज से निकले जन नेता के सम्यक विचार को रोकने हेतु एक ख़ास आइडियोलॉजी का विभिन्न रणनीति स्पष्ट रूप में देखे जा सकते है. ज्ञात हो, पूर्व विधायक बंधू तिर्की झारखण्ड में एक प्रखर बहुजन-आदिवासी आवाज के तौर पर पहचाने जाते है. जिसकी तस्वीर पूर्व के विधानसभा सत्रों में भी दिखती रही है. उस आइडियोलॉजी द्वारा झारखण्ड के इस बहुजन आवाज को खामोश करने का षड्यंत्र, लालू यादव, मुलायम सिह यादव के भाँती हुआ. क्योंकि इन्होने बाबुला मरांडी की भांति उस आइडियोलॉजी का दास न बन बहुजन व गरीब आबादी के पक्ष में खाडा होना चुना. 

हीरा! चोरों को विदेश में संरक्षण और बहुजन आवाजों को खीरा! चोरी में जेल 

ज्ञात हो, भाजपा शासन आइडियोलॉजी द्वारा हीरा! चोरों को विदेश भगा संरक्षण दिया गया, तो बहुजन-आदिवासी जन आवाजों को समाप्त करने के मद्देनजर खीरा! चोरी के आरोप में जेल हुई, विधायकी समाप्त हुई. जो मनुवादी सिस्टम के जातिवाद न्याय प्रक्रिया पर आधारित सजा की तस्वीर बहुजनों के सामने पेश कर सकती है. भानु प्रताप शाही जैसे भाजपा नेता पर जांच चले के बावजूद सीना चौड़ा कर घूमना तथ्य के स्पष्ट उदाहरण हो सकता है. जाहिर है इससे मांडर सीट खाली हो गया और भाजपा आइडियोलॉजी अपने तमाम हथियारों के साथ चुनावी मैदान में बहुजन विचार को रौंदने एक बार फिर कूद पड़ी.

झारखण्ड सरकार के मुखिया हेमन्त सोरेन की छवि धूमिल को करने का हुआ प्रयास 

इस क्रम में पहला हमला झारखण्ड सरकार के मुखिया हेमन्त सोरेन की छवि धूमिल करने हेतु बोला गया. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को खान लीज के मामला से तब जोड़ा गया जब उनके पार खान लीज थी ही नहीं. फिर आनन-फानन में उनका पूर्व खान लीज रिन्यू भी हो जाता है. फिर भी दाल नहीं गलीi. तो खिसियाहठ में भाजपा आइडियोलॉजी द्वारा उसके ही शासन में हुए भ्रष्टाचार को ईडी कार्रवाई के मद्देनजर हेमन्त को बदनाम करने षड्यंत्र हुआ. लेकिन, ईडी कार्यशैली पर उंगलियाँ उठने लगे. झारखण्ड के बुद्धिजीवी सरयू राय जैसे नेताओं द्वारा पूर्व भाजपा सीएम रघुवर दास के शासन में हुए भ्रष्टाचार की सिलसिलेवार बारात निकाली जा रही है. 

जजिया कर माफ़ी जैसे इतिहास के स्पष्ट उदाहरण के रूप में निजाम मैत्री के तहत झारखण्ड को सांप्रदायिक आग में झोकने का प्रयास

इससे भी बात नहीं बनी तो जजिया कर माफ़ी जैसे इतिहास के अक्स में स्पष्ट तौर पर निजाम मैत्री के तहत झारखण्ड को सांप्रदायिक आग में झोंकने का प्रयास हुआ. ज्ञात हो, जिस निजाम ने कभी यूपी में चल रहे बुल्डोज़र के सामने जन हित में बैठने की हिम्मत नहीं दिखाई, जो भड़काऊ भाषण से इतर कभी गरीब अल्संख्यकों के लिए आन्दोलन, धरना प्रदर्शन तक नहीं किया. उसके द्वारा भी अल्पसंख्यक वर्ग में सुलग रहे सवालों को बुद्ध की शान्ति के तरफ नहीं बल्कि नफरत के आग में धकेलने का प्रयास, केवल बुद्धिजीवी व सम्यक सोच वाले स्थानीय अल्पसंख्यक जुझारू नेताओं की साख ख़त्म करने का षड्यंत्र भर है.

लेकिन झारखण्ड की बहुजन जनता-युवा ने तमाम षड्यंत्रों को समझते हुए, झारखण्ड की अखंडता को भंग होने बचा लिया है. जो निश्चित रूप से झारखंडी जनता-युवा के विवेक व सम्यक सोच को प्रदर्शित करती है. जो देश के ऐतिहासिक बहुजन महापुरुषों आवाजों के प्रति श्रधांजलि भी है. और फिर एक बार कमर कास कर मांडर उपचुनाव में उस आइडियोलॉजी को जवाब देने को आतुरता के साथ खड़े भी हैं.

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