राज्य में चरम पर बेरोजगारी, शोषण व अत्याचार, फिर भी रघुवर को चाहिए 65 पार  

एक तरफ झारखंड में महँगाई, अनाचार, अराजकता, बेरोज़गारी, ग़रीबी आदि का जो आलम है वह किसी से छुपी नहीं है। दूसरी तरफ रघुबर जी लोकसभा चुनाव के नतीजों से इतने जोश में हैं कि खुद को झारखंड के मालिक समझ रहे हैं। ज़ाहिर है ऐसे में हर किसी को ये सरकार और “देशद्रोही’’ घोषित कर देंगी! आज भी अग़र झारखंडी जनता हिटलर के अनुयायियों की असलियत को न पहचानते हुए इनके ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठाते हैं तो कल बहुत देर हो चुकी होगी।

साहेब को अब कौन समझाए कि उनकी गवर्नेंस झारखंड में पूरी तरह से विफल है। इन्होंने इस राज्य की स्थिति यह कर दी है कि इस वैज्ञानिक युग में भी अबतक 20 गरीब की जान और किसी चीज से नहीं बल्कि भूख से चली गयी है, लेकिन मजाल है कि सरकार मान ले! इधर लगभग रोज बेरोजगारी से आकर डिप्रेशन के हालत जान दे रहे हैं, लेकिन सरकार के पास जुमले व राष्ट्रवाद के घुंटी के अलावे और कोई औषधि नहीं है।

आजकल इस राज्य में रोज महिलाओं के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़, गैंगरेप, योन शोषण जैसी घटनाएं अखबारों में सुर्खियाँ बटोर रही है लेकिन इस निर्दयी सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। -जैसे गिरिडीह, बेंगाबाद थाना इलाके में शनिवार की रात विवाहिता से दुष्कर्म के बाद जिंदा जला जलाने का प्रयास किया गयाचाईबासा में अज्ञात महिला की अधजली लाश बरामद हुई है जिसकी गला रेत कर आंखें निकाल ली गयी हैजमशेदपुर में द.पू रेलवे के बड़े अधिकारी की बेटी के टी.टी.ई प्रभात कुमार झा छेड़खानी कर रहे हैं

इस राज्य में पीने के पानी की इतनी किल्लत है कि लोग एक दूसरे पर पानी के लिए चाक़ू से वार करने से भी नहीं चूक रहे हैं। बिजली की स्थिति यह है कि राज्य छोड़िये राजधानी के लोग परेशान हैं। इस राज्य में साइबर क्राइम इतने बड़े व्यापक स्तर पर पाँव पसार चुकी है कि लोग पनाह मांगते नजर आ रहे है, लेकिन सरकार कान में तेल डाल कर सोयी हुई है। एक तरफ तो क़ानून व्यवस्था इस राज्य में इतनी चरमराई हुई है कि अब मुखिया तक सुरक्षित नहीं हैं। मुखिया मंगल सिंह मुंडा की पत्नी अपने पति की हत्या का जांच करवाने की मांग कर रही है, लेकिन सरकार का ध्यान इस और न हो कर केवल विस चुनाव पर केन्द्रित है। इनका नारा है अबकी बार पैंसठ पार!

बहरहाल, अगर रघुबर सरकार यह सोचती है झारखंडी जनता भोली है तो यह उनकी भूल है। केंद्र व राज्य के अपने आयाम होते है। आज की जनता को ये बेवकूफ समझ रहे हैं, वह बड़ी ध्यान से इनकी एक-एक क्रिया कलाप पर अपनी पैनी नजर बनाई हुई है।       

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