प्रियंका गाँधी “श्रीमती कल्पना सोरेन जी संघर्ष के रास्ते, झारखंड के जन सेवा के जरिए एक बड़ा मुकाम हासिल करेगी”. कल्पना सोरेन की राजनितिक धमक दिल्ली तक. पीएम तक के भाषणों में इसकी हकलाहट महसूस की जा सकती है.
रांची : पूर्व सीएम हेमन्त सोरेन के साजिशन जेल में ठूसे जाने के बाद झारखण्ड के मूलवासियों के बीच राजनितिक संकट गहराता जा रहा था. ऐसे विकट दौर में बतौर झारखंडी नायिका, कल्पना सोरेन ने न केवल कमान संभाला, विपक्ष की शांति को भंग करते हुए उसे बेक फूट पर धकेल दिया. और वर्तमान में बतौर स्टार प्रचारक, उनके जनवादी और आधी शक्ति के असरदार औरा के अक्स में बाबुलाल मरांडी सरीखे विपक्षीय नेताओं का अस्तित्व महज आम और मौक़ाप्रस्त चेहरे के इतर कुछ अतिरिक्त नहीं रह गया है.
ज्ञात हो, पूर्व सीएम हेमन्त सोरेन की राजनीति राज्य के मूल और गरीब जनता के पक्ष में मजबूती से खड़ा रहने के लिए जानी जाती है. और लोगों का मानना है कि अपने इस मानवीय विचारधारा से तिल भर ना डिगने के कारण ही उन्हें आज केन्द्रीय शक्तियों के आसरे जेल में डाला गया है. ताकि उनकी झारखंड आधारित सोच को समाप्त किया जा सके. लेकिन, वर्तामान चंपाई सोरेन के सरकार में कल्पना सोरेन की राजनीति का आरम्भ वहीं से हुआ जहाँ हेमन्त सोरेन की राजनीति को साजिशन समाप्त करने का प्रयास हुआ था.
बतौर स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन राज्य की राजनीति में बेहद असरदार
कल्पना सोरेन ने बतौर इण्डिया गठबंधन के स्टार प्रचारक के रूप न केवल झारखण्ड की बेबस आवाज को देश की वर्तमान परिस्थितियों से केंद्रीकृत कर दिल्ली पहुंचा, मणिपुर, लद्दाख, दिल्ली जैसे राज्यों की बेबसी को प्रमुखता से देश के समक्ष रखने में सफल होती दिख चली है. चूँकि झारखण्ड में बाहरी बीजेपी नेताओं का कल्पना सोरेन दमदार छवि के समक्ष अस्तित्व समाप्त हो चला है. मसलन अब वह झारखंडी नेताओं के सोशल मीडिया हेंडल कब्जा मुखौटों के आसरे भ्रमित करने वाले वाण चलाते देखे जा रहे हैं.
ज्ञात हो, कल्पना सोरेन की कुशल रणनीति पर अबतक तो झारखण्ड ही इतरा रहा था. लेकिन, अब प्रियंका गांधी भी बतौर नारी उनकी कौशल की मुरीद हो चली है. वह अपने मंचों से अपने भाषणों में कल्पना सोरेन की शूरता को गर्व से जगह दे रहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि “श्रीमती कल्पना सोरेन जी संघर्ष के रास्ते, झारखंड के जन सेवा के जरिए एक बड़ा मुकाम हासिल करेगी”. जाहिर है, कल्पना सोरेन की राजनितिक धमक दिल्ली तक है. और पीएम तक के भाषणों में इसकी हकलाहट महसूस की जा सकती है.