झारखंड के इस लाल के शहीद… मोदी है जिम्मेदार !

 

गिरीश मालवीय

विपक्ष के अनुसार, कर्नाटक में 17 मई को राज्यपाल ने संदेहास्पद तरीके से अधिक सीटें जितने के आड़ में जिस प्रकार भाजपा को सरकार बनाने की अनुमति दी है ठीक उसी के तर्ज पर कांग्रेस–राजद ने भी बिहार, गोवा, मणिपुर, मेघालय, में सरकार बनाने का मौका मांग एक नयी संविधानिक लड़ाई का आगाज तो कर ही दिया है, वहीँ सुप्रीम कोर्ट ने भी पक्ष-विपक्ष दोनों के दलीलों को सुनते हुए कर्नाटक में भाजपा सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कल शाम तक का ही वक़्त दिया है और साथ ही एटोर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के गुप्त मतदान की मांग को खारिज करते हुए खुले तौर पर वोटिंग करवाने एवं चार बजे से पहले प्रोटेम स्पीकर का चुनाव कर लेने के आदेश ने भाजपा के लिए मुसीबतें बढ़ा दी है। वहीँ दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर, आरएसपुरा और अरनिया सेक्टर के बीएसएफ खेमें से बुरी खबर आयी है कि झारखण्ड, गिरिडीह के वीर सपूत सीताराम उपाध्याय मोदी के एकतरफा संघर्षविराम के परिणाम सवरूप शहीद हो गए है।

शहीद सीताराम उपाध्याय का गाँव पालगंज जहाँ भाजपा के बीससूत्री प्रखंड अध्यक्ष का भी निवास स्थान है, में मातम के साथ-साथ मोदी सरकार के प्रति इस घटना के परिपेक्ष में जबरदस्त आक्रोश है। गांव के लोंगों को जहाँ  अपने इस शहीद बेटे पर गर्व है वहीँ मोदी द्वारा लागु किए गए एकतरफा संघर्षविराम का निर्णय पर उनमे जबरदस्त विरोध हैं। उनका मानना है कि ये सरकार का सरासर गलत निर्णय है और सरकार के इस फैसले से हमें सैनिकों को खोने के अतिरिक्त कुछ हासिल नहीं होने वाला। जिसका सीधा मतलब यही है कि मोदी जी को  हमारे सैनिकों की जान से कोई सरोकार नहीं, मतलब है तो बस इतना कि किसी भी सूरत में उनकी सरकार हर राज्यों में बने। जहाँ तक हमारे मुख्य मंत्री रघुवर दास की बात है वे सिर्फ मोदी के हाँ में हाँ मिलाते हैं और उन्हीं का अनुकरण करते हुए एकतरफा ट्वीट के माध्यम से संवेदना प्रकट कर हमारे ज़ख्मों को केवल कुरेदने का काम करते हैं।

इधर बेचारी, शहीद जवान की पत्नी रेशमी उपाध्याय अपने दो बच्चों के साथ, जिसमे बेटी की उम्र तीन साल और बेटे की महज एक साल है, रोते-रोते जब थक जाती है तो वह मोदी जी को बुरी तरह कोसते हुए कहने लगती है, “क्या जरूरत थी मोदी जी को रमजान के नाम पर एकतरफा संघर्षविराम की घोषणा करने की जिससे मेरी पति की जान चली गयी”। वह अपने पति की मौत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधा जिम्मेदार मानती है और आरोप लगते हुए कहती है कि मोदी सरकार सिर्फ दिखावे के लिए फायरिंग करवाती है! मुआवजा से क्या उनके बच्चों के पिता लौट आयेंगे? उन्होंने आगे बताया कि वे बेटे का मुंडन करवाने के बाद 2 मई, 2018 को ड्यूटी पर लौट गये थे, कहा था कि जुलाई में फिर गांव आयेंगे। शहीद सीताराम के भाई सोनू उपाध्याय भी काफी गुस्से में हैं। उनका कहना है कि उन्हें फ़क्र है कि उसका भाई देश की रक्षा में शहीद हुआ। देश की सरकार को चाहिए कि दुश्मन को सबक सिखाने के लिए सख्त कदम उठाए और अतिशीघ्र पाकिस्तान पर हमला बोलें।

बहरहाल, पाकिस्तान जहाँ लगातार हमला कर रहा है, वहीं मोदी सरकार का रमजान का बहाना बना सीजफायर की घोषण करने का सीधा मतलब जनता में अन्धराष्ट्रवादी जुनून पैदा करने के अलावा क्या मकसद हो सकता है! धार्मिक-नस्ली कट्टरता और दंगों से भी अधिक फ़ासिस्ट अन्धराष्ट्रवादी जुनून और युद्ध भड़काने के हथकण्डे में भरोसा रखते हैं। पड़ोसी देश के विरुद्ध नफ़रत का उबाल, सीमा पर तनाव और सीमित स्तर पर युद्ध भारत और पाकिस्तान—दोनों देशों के शासकों की ज़रूरत है। साम्राज्यवादियों के तो फ़ायदे ही फ़ायदे हैं। मन्दी के इस दौर में हथियारों की जमकर बिक्री होगी, युद्धरत देशों में से एक या दूसरे के साथ नज़दीकी बढ़ाकर माल बेचने और पूँजी-निर्यात के अवसर मिलेंगे और भारतीय उपमहाद्वीप में अधिक प्रभावी हस्तक्षेप के अनुकूल अवसर मिलेंगे। हर हाल में भुगतना दोनों देशों की जनता को है जो युद्ध में चारे के समान इस्तेमाल होगी और पूँजी की निर्बन्ध-निरंकुश लूट का शिकार होती रहेगी।

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