उपचुनाव जीतने के लिए आजसू और भाजपा अब गुंडागर्दी और दबंगई पर उतरी!

 

डॉ रामानंद महतो

झारखण्ड में हो रहे सिल्ली और गोमिया उपचुनाव की रिपोर्ट पर नजर डालने से पहले जान लेते हैं कि कर्नाटक में 18 मई के दिन क्या हलचल रही। 19 मई को होने वाले महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण से पहले राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा के.जी. बोपैया को विधानसभा का अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त करने के फैसले से कांग्रेस और जनता (जेडीएस) गठबंधन इतनी नाराज दिख रही है।  शुक्रवार, 18 मई के रात को ही उच्चतम न्यायालय का दरवाजा यह दलील देते हुए खटखटा दिए कि राज्यपाल द्वारा किसी कनिष्ठ विधायक को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करना एक असंवैधानिक कदम है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट तत्काल निर्देश दें जिससे निष्पक्ष एवं स्वतंत्र शक्ति परीक्षण प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके। जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने उनके दो विधायकों को हाईजैक कर लिया है। ये माना भी जा रहा है कि बोपैया आरएसएस से जुड़े रहे हैं। वहीँ सुप्रीम कोर्ट ने इनकी दलील यह कहते हुए खारिज़ कर दी कि पूरे कार्यक्रम का लाइव ब्रॉडकास्टिंग होगा जिससे जनता के समक्ष इस कार्यक्रम की निष्पक्षता बनी रहेगी। वैसे भी प्रतीत हो रहा है कि इस पूरे प्रकरण में भाजपा दादागिरी के माध्यम से अपनी ढोल बजाने का प्रयास कर रही है। अब जहाँ तक झारखण्ड में हो रहे सिल्ली और गोमिया उपचुनावों की बात करें तो यहाँ भी भाजपा-आजसू गठबंधन की सरकार भी दादागिरी एवं पैसे के खेल से जीत कि पटकथा लिखने का प्रयास कर रही हैं।

एक एजेंसी को उसके सूत्रों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक गोमिया विधानसभा क्षेत्र में आजसू प्रत्याशी लंबोदर महतो द्वारा चुनाव जीतने के प्रयास में अभी तक कुल 12 लोगों को वाहन बांटा गया। जहाँ अमित साव, गुलाब हांसदा, विक्रम साव, विजय महतो, विपिन कुमार, दुलाल, मनोज जैन को स्कॉर्पियो तो नरेश महतो, सविता देवी को बलेरो साथ में श्रीधर महतो को जेसीबी और विजय किशोर को एस क्रॉस दी गयी है। हाँलांकि इस खबर के प्रकाशन के बाद से ही चुनाव पर नजर रखने वाली कई एजेंसियां सक्रिय हो इन विधान सभा क्षेत्रों में कूद गयी हैं और यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि वाहनों की खरीद किसके नाम पर और किस एजेंसी से हुई। वहीं ऐसे वोटर जो अपनी वोट की कीमत ज्यादा नहीं लगा पाए, उन्हें मुफ्त के दरी एवं कम्बल पर ही संतोष करना पड़ रहा है। ये कारनामा भी आजसू कार्यकर्त्ता ही सम्पादित कर रहे हैं। गोमिया प्रखंड के चतरोचट्टी थाना क्षेत्र की पुलिस ने एक ब्लैक रंग की स्कॉर्पियो (नंबर JH 01T-0017) जब्त किया, जो दरी/कम्बल से भरी हुई थी। जब्त वाहन पूरी तरह से आजसू के झंडो एवं बैनरों से पटी हुई थी। पुलिस अभी तक वाहन चालाक से पूछताछ कर ही रही है कि आखिर इसे चुनाव क्षेत्र के किस इलाके में वितरित किया जाना था। एसपी बोकारो ने भी इस खबर की पुष्टिकरण की है तो डीसी बोकारो ने ट्वीट के माध्यम से अवगत कराया कि सम्बंधित प्रकरण में एफआईआर के आदेश दे दिए गए हैं। पता नहीं ये प्रक्रिया इस रघुवर राज में कब पूर्ण होगी या पूर्ण भी हो पायेगी या नहीं इस पर अभी तक संशय बरकरार है।

आगे इन विधान सभा क्षेत्रों से जो डराने और चोंकाने वाली खबर बाहर आ रहे है वो वहां के प्रशासन के साथ-साथ झारखण्ड प्रदेश की भाजपा और आजसू के गठबंधन वाली सरकार की पोल खोलने के अलावा इस प्रदेश की दुर्दशा भी चित्रित करती है। वाहन और दरी/कंबल लेने वालो के बाद इस विधानसभा में ऐसे वर्ग के भी लोग भी हैं जो इमानदारी से वोट करने में विश्वास रखते हैं, मगर आजसू के कार्यकर्त्ता उन्हें बुरी तरह डरा-धमका कर प्रताड़ित करने का काम कर रहे है। कई स्थानों पर तो उनके साथ मार-पीट भी की जा रही है। जैसे, राहे के सोनाराम महतो (बदला हुआ नाम) अपनी पीड़ा से कुछ इस प्रकार अवगत करवाते हैं कि साहेब “हम तो सिर्फ किसी दूसरी पार्टी के झंडा लगा रहे थे कि तभी आजसू के गुंडन आये और हमारे साथ मार-पीट करने लगे। झंडा तो फूंचबे किए घर भी छितर-बितर कर दिए”। सिल्ली प्रखंड के उदय कुमार महतो (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि उनके साथ केवल इसलिए मार-पीट की गयी क्यूँकि उन्होंने आजसू का झंडा अपने घर में लगाने से इनकार किया और आजसू के गुंडे उनसे यह भी कह कर गए कि यदि आजसू का झंडा नहीं लगा तो समझ लेना!”

तात्पर्य यह है कि इस तरह की घटना सिल्ली और गोमिया विधानसभा क्षेत्रों में आम देखने को मिल रही लेकिन प्रशासन अनभिज्ञ है। क्या वे झारखण्ड की धरती को सोमालिया बनाना चाहते हैं, कार्यशैली तो यही मंशा प्रकट रही है! क्योंकि चुनावों में इस प्रकार अंधेरगर्दी तभी संभव हो सकती है जब सरकार की ताकत प्रशासन पर प्रभावी हो। इन चुनाव क्षेत्रों की पूरी पृष्टभूमि को देखने के बाद कोई भी दृष्टीहीन ये आसानी से कह सकता है कि भाजपा और आजसू गठबंधन वाली सरकार सत्ता के लालच में ताक़त का दुरूपयोग कर प्रदेश में होने वाली इन उपचुनावों को प्रभावित कर रही है और जनता बिल्कुल लाचार हो पूरे प्रकरण को मूक बनकर देखने के अलावा कुछ भी अतिरिक्त नहीं कर पा रही है।

शायद अब भी जनता इस मुग़ालते में ही जी रही हैं कि सूफि़याना कलाम सुनाकर, गंगा-जमनी तहजीब की दुहाई देकर, मोमबत्ती जुलूस निकालकर, ज्ञापन-प्रतिवेदन देकर, क़ानून और “पवित्र” संविधान की दुहाई देकर फ़ासिस्टों के क़हर से निजात पा लेंगे। जनता को अब चेत जाना चाहिए क्यूंकि न्यायपालिका तो फ़ासिस्टों के बाज़ू की जेब में है और चुनाव आयोग पिछवाड़े की जेब में। पूरी तैयारी इस बात की है कि अगर साम्प्रदायिक विभाजन, अन्धराष्ट्रवादी नारों और ख़रीद-फ़रोख़्त से सरकारें न बनें तो ईवीएम देवी की कृपा हो जावे। ये किसी को “शाकाहारी” मानकर नहीं बख्शेंगे। अब तो सडकों पर उतर इनके कार्यकर्ताओं से आमने-सामने की भिड़न्त करने का समय है। अब तो ये और जरूरी हो जाता है कि इन सत्ता के पुजारियों को सत्ता से दूर फेंकते हुए साफ़ सुथरी छवि वाली पार्टी को बहुमत देकर सबक सिखाने की तैयारी कर लेनी चाहिए।

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