कल्पना सोरेन का सभी धर्मों के प्रति समभाव सोच नवरात्र के अवसर पर दिखा सामने. वह चैती मां दुर्गा की अर्चना और महावीर हनुमान के दरवार में साष्टाङ्ग हाजिरी लगाई…
राँची : बीजेपी व उसके नेताओं के द्वारा मंदिर-मस्जिद जैसे शांति प्रदान करने वाले आलौकिक पूजा स्थलों को केवल राजनीति और सामाजिक फूट की संभावनाओं के दृष्टिकोण से देखा जाता है. लेकिन, पूर्व सीएम हेमन्त सोरेन के कार्यकाल में झारखण्ड की सामाजिक-आर्थिक सुदृढ़ीकरण के विकल्प के तौर पर देखा गया. जिसका सच लोकतांत्रिक छाप लिए हुए था. उनके कार्यकाल में सभी धर्मों को सामान तरजीह मिलती दिखी. सभी धर्मो के एतिहासिक मंदिरों या पूजा स्थलों का जीर्णोद्धार पर्यटन व इतिहास संरक्षण के संभावनाओं के मद्देनजर किया गया.
ज्ञात हो, पूर्व सीएम हेमन्त सोरेन के कार्यकाल में झारखण्ड के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक सभी ऐतिहासिक प्रतीकों को इतिहास ज्ञान के रूप में देश-दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने की गंभीरता दिखी. पहली बार राज्य में खनन से इतर पर्यटन के अक्स में एक सर्किट के तहत सभी वर्गों के ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को तराशने का सिलसिला शुरू हुआ. पलामु प्रमंडल श्री बंशीधर महोत्सव को राजकीय महोत्सव का दर्जा मिलना, तमाड़, दिउड़ी मंदिर की विकास योजना तैयार होना जैसे कई सराहनीय पहल तथ्य के स्पष्ट उदाहरण भर हो सकते हैं.
शायद यही प्राथमिक कारण रहे होंगे जिसके अक्स में हेमन्त सोरेन को सामंतियों के द्वारा जांच एजेंसी के आसरे जेल में डाला गया है. लेकिन, सीएम हेमंत के जेल जाने के बाद उनकी इस सोच को परम्परा के रूप में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के नेतृत्व में मजबूती से आगे बढ़ा है. ज्ञात हो, 4 मार्च 2024 को मरांगबुरु पारसनाथ में स्थित जग जाहरथान, में पूजा-अर्चना कर अपनी राजनितिक जीवन की शुरुआत कीं. उनका यह व्यक्तिव नवरात्र के अवसर पर भी दिखा. वह चैती मां दुर्गा की अर्चना की और हनुमान जी के दरवार पहुँच साष्टाङ्ग हाजिरी लगा अपने लोकतान्त्रि होने का सबूत दी.