झारखण्ड : हेमन्त सरकार की बदनामी के बहाने बाबूलाल-रघुवर को आकाओं ने दिखाई औकात

झारखण्ड : सूत्रों की माने तो केंद्र ने झारखण्ड में हेमन्त सरकार की बदनामी के आड़ में सटीक चाल चल दोनों नेताओं को उसकी औकात दिखाई है. केंद्र की अगली तैयारी फर्जी डीग्रीधारी बाबा निशिकांत दुबे की लम्बी जुबान को लगाम लगाने की है. कभी भी गिर सकती है गाज.

झारखण्ड : प्रदेश भाजपा में दो बड़े नेताओं की बर्चस्व की लड़ाई सरेआम हो चली थी. जो ठहरने का नाम नहीं ले रही थी. सूत्रों की माने तो ये दोनों भाजपा नेता अपने अहंकार के मद में केन्द्रीय आकाओं के दिशा निर्देश की अनदेखी करने का भूल कर रहे थे. जिसमे एक नेता आदिवासी वर्ग से आते हैं तो दूसरा ओबीसी से हैं. एक मौकापरस्ती के अक्स में भजापा की किरकिरी करवा रहे हैं तो दूसरा स्वयं अहंकार के पर्याय है. ऐसे में केंद्र ने झारखण्ड में हेमन्त सरकार की बदनामी के आड़ में सटीक चाल चाल चल दोनों नेताओं को भाजपा में उसकी औकात दिखाई है. जिसमें दोनों बड़े नेता एक साथ ज़मीन पर चीत हो चले है. 

केन्द्रीय भाजपा अब फर्जी डीग्रीधारी सह सांसद निशिकांत दुबे की लम्बे ज़ुबान को लगाम लगाने की तैयारी में -कभी भी गिर सकता है गाज 

ज्ञात हो, बाबूलाल मरांडी व पूर्व सीएम रघुवर दास की व्यक्तिगत बर्चस्व की लड़ाई सीमा पार कर चुकी थी. चूँकि केन्द्रीय सत्ता के लिए नाजुक परिस्थिति है, उसे आम चुनाव में जाना है. मसलन केन्द्रीय भाजपा ने इन दोनों नेताओं को साधना ही बेहतर समझा है. सूत्रों की माने तो अब अगली बारी फर्जी डीग्रीधारी सह सांसद निशिकांत दुबे की हो सकती है. बडबोले जी पर कभी भी केन्द्रीय गाज गिर सकती है. माना जा रहा है कि निशिकांत दुबे के चेहरे में अब चुनाव जिताने की तासीर ख़त्म हो चली है. दूसरी तरफ उन्होंने खुले आम हेमन्त सोरेन से व्यक्तिगत दुश्मनी ले केंद्र के लिए राजनीतिक समीकरण बिगाड़ दिया है. सच कहा है. ‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है’..!

मसलन, केन्द्रीय मोदी सत्ता में एक बार अपने सभी प्रदेश के नेताओं समेत सभी चेहिते अधिकारियों-पदाधिकारियों को सपष्ट बता दिया है, केन्द्रीय राजनीति के आगे उनकी राजनीति कोई अस्तित्व नहीं रखती है. वह अपनी औकात में रहे और केन्द्रीय निर्देशों की अवहेलना करने की भूल से भी न सोचे. मसलन, एक तरफ बाबूलाल मरांडी की ऐसी स्थिति हो चली है की अब वह न तो झारखंडी रहे और न ही संघी व भाजपाई. तो दूसरी तरफ रघुवर दास को तो जैसे सांप ही सूंघ गया है. और पूजा सिंघल जैसे चेहिते अधिकारियों को बताया है की वह केवल बलि का बकरा है. नतीजतन, दीपक प्रकाश सतर्क हो चले है और अपने बगावती तलवार वापस मयान में रखते दीखते है.

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