जिस प्रकार भाजपा में भ्रष्ट नेता पवित्र होते है वैसे ही उसके चेहिते भ्रष्ट अधिकारी ईमानदार. जिसका बलि भाजपा सत्ता छीन जाने पर गैर भाजपा सरकार को बदनाम करने में चढ़ाती है. भाजपा के चेहिते अधिकारी-पदाधिकारी साबित हो रहे केवल बलि का बकरा …अधिकारियों के लिए सीख
रांची : 2014, देश की सत्ता में संघ-भाजपा के काबिज होने की बाद से न केवल तमाम सरकारी संस्थान की कार्य प्रणाली की परिभाषा बदली है. भाजपा पर संघ द्वारा चयनित पदाधिकारियों का इस्तेमाल राजनीतिक मंशा साधने के आरोप भी लगे हैं. जिससे लोकतंत्र का नुक्सान तो हुआ हुआ ही है. लेकिन, भाजपा के राजनीति चौसर पर मंशा साधने के बाद पदाधिकारियों को दूध में पड़े माखी की तरह निकाल बाहर फैकना, बलि का बकरा बनाना, पदाधिकारियों से जूझते देश के लिए गंभीर सवाल भी हो सकता है.
उदाहरण के तौर पर झारखण्ड जैसे राज्य में कई पदाधिकारियों का करीबी सम्बन्ध भाजपा शासन में भाजपा से होने का मामला सामने आया है. मौजूदा दौर में झारखण्ड सरकार द्वारा लगातार साफ़ सीआर वाले पदाधिकारियों की मांग केंद्र से होती रही है. लेकिन, केंद्र द्वारा राज्य सरकार की आग्रह को अनसुनी किया गया. मजबूरन राज्य सरकार को पूर्व के अधिकारियों के साथ काम करना पड़ा है. लेकिन, इस प्रदेश में भाजपा का अति निम्न दर्जे की राजनीति सामने आयी है. चूँकि भाजपा शासन काल में जिस करीबी पदाधिकारी को ईडी के अंतर्गत मामला होने के बावजूद क्लीन चीट दिया गया. उस पर आज ईडी द्वारा छापेमारी जैसे कार्रवाई हुई है.
भाजपा के चेहिते अधिकारी-पदाधिकारी भाजपा के लिए केवल बलि का बकरा
हालांकि, भ्रष्ट पदाधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन, मामले को भाजपा नेताओं व उसके सोशल मीडिया द्वारा किसी सरकार को बदनाम करने के मंशा से पेंट किया जाना, भ्रम फैलाया जाना कि मौजूदा सरकार भ्रष्ट है. झारखण्ड ही नहीं देश भर में गैर भाजपा सरकारों के लिए चौकाने वाली खबर है. जाहिर है इसके पीछे भाजपा के पास मौजूदा सरकार की नीतियों का जवाब न होना ही हो सकता है.
क्योंकि, जिस प्रकार भाजपा में जाते ही भ्रष्ट नेता पवित्र हो जाते है वैसे ही भाजपा शासन में संघ द्वारा चनित भ्रष्ट अधिकारी-पदाधिकारी भी ईमानदार होते हैं. जिसका बलि भाजपा सत्ता छीन जाने पर गैर भाजपा सरकार को बदनाम करने में चढ़ाती है. मसलन, भाजपा के चाहिते अधिकारी-पदाधिकारी भाजपा के लिए केवल बलि का बकरा साबित हो रहे हैं. जो देश भर के अधिकारियों-पदाधिकारियों के लिए सीख हो सकती है.