हेमन्त सरकार में झारखण्ड के बेरोजगार युवाओं के लिए खुशखबरी- दूर हुई परीक्षा की जटिलताएं, झारखंडी को ही मिलेगी नौकरी, जनजाति भाषाओँ को पहली बार मिला स्थान
- परीक्षा प्रणाली में हुए बड़े बदलाव
- युवाओं को परीक्षा की पेचीदगी से मिली मुक्ति – अब केवल एक परीक्षा ही होगी
- झारखंड में पहली बार जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं को मिला स्थान
- झारखण्ड में केवल झारखंडी को ही मिलेगी नौकरी
- मैट्रिक, इंटर व स्नातक प्रत्येक स्तर पर अब होगी केवल एक परीक्षा
झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग – JSSC का गठन झारखण्ड अधिनियम-16, 2008 के तहत हुआ था. आयोग का मुख्य उद्देश्य विभिन्न विभागों में रिक्त पदों के लिए योग्य और सक्षम नागरिकों की भर्ती करना है. भारी संख्या में युवा सरकारी क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए परीक्षा में शामिल भी होते रहे हैं. लेकिन झारखण्ड राज्य की विडंबना रही है कि पूर्व की सरकार में आयोग को लगभग शिथिल कर दिया गया. भर्ती निकली भी तो राज्य के युवा परीक्षाओं के जंजाल में फंसा दिए गए. विकास के दावों के बावजूद, झारखण्ड के जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं के युवा, नीतियों के अक्स तले लगातार पिछड़ते गए और जनजातीय समाज के लिए यह पूरी तरह से अछूता रह गया.
झारखंडी बेरोजगार युवाओं को मिली परीक्षा के जंजाल से मुक्ति – अब होगी केवल एक परीक्षा
मौजूदा दौर में हेमन्त सरकार द्वारा तमाम जटिलताओं को सुलझाने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है. इस सम्बन्ध में झारखंड सरकार ने कैबिनेट बैठक में बड़ा बदलाव करने का फैसला लिया है. राज्य सरकार द्वारा बेरोजगार युवाओं को नौकरी में सुलभता के लिए परीक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव किए गए हैं. जिसके अक्स में झारखण्डी युवाओं को अब परीक्षा की जटिलता व पेचीदगियों से मुक्ति मिल सकेगी और युवा आसानी से सरकारी नौकरी पा सकेंगे. मसलन, हेमन्त सरकार ने राज्य के युवाओं के पक्ष में फैसला लिया है कि अब उन्हें नौकरी के लिए केवल एक परीक्षा ही देनी होगी.
जनजातीय भाषाओं के युवा भी आसानी से ले सकेंगे सरकारी नौकरी – झारखण्ड में अब झारखण्डियों को ही मिलेगी नौकरी
झारखण्ड में अब जनजातीय भाषाओं के युवा ही आसानी से सरकारी नौकरी ले सकेंगे. जहां अब तक जनजाति समाज के बेरोजगार युवा पूरी तरह से अछूते रहे, वहां हेमंत सरकार का यह फैसला उस वंचित समाज के लिए नयी उम्मीद ले कर आया है. साथ ही लिया गया फैसला कि अब राज्य में केवल झारखण्डवासियों को ही नौकरी मिलेगी, राहत दे सकती है.
मसलन, झारखण्ड सरकार के तमाम फैसले ऐतिहासिक हैं और लोकतंत्र की भावना को समर्पित भी. जिसके अक्स में झारखंड की जनता 20 वर्ष में पहली बार महसूस कर सकती है कि उन्होंने सरकार चुनने में गलती नहीं की है. इस सरकार के वादे ढपोरशंखी नहीं. शुरूआती दौर से हेमन्त सरकार द्वारा लिए गए तमाम फैसले व नीतियां आम व गरीब जनता के पक्ष में है. संकट के दौर में भी सरकार द्वारा लिया गया हिम्मती फैसला निश्चित रूप से ऐतिहासिक साबित होगा और झारखण्ड का भविष्य तय करेगा.