झारखण्ड : भाजपा के सभी शासन काल में आईपीएस पूजा सिंघल का करीबी रिश्ता रहा है. रघुवर काल में भी उस पर कई आरोप लगे. ईडी के पास मामला होते हुए भी भाजपा द्वारा भ्रष्ट अधिकारी को क्लीन चीट दिया जाना और पूरे प्रकरण में रघुवर दास को सांप सूंघना दर्शाता है कि भाजपा अपने ही बुने जाल में आ फंसी है.
राँची : एक प्रसिद्ध वाकया – रघुवर दास सरकार कार्यकाल में जनसंवाद कार्यक्रम में धनबाद से पहुंचे फरियादी ने धनबाद मार्केटिंग बोर्ड में अपनी दुकान के मद्देनजर, साफ शब्दों में कहा था कि रघुवर सरकार के अधिकारी पैसे मांगते हैं. और स्पष्ट कहते है कि पैसा उपर जाता है. रांची में पूजा सिंघल पुरवा कोई मैडम हैं, उनको भी पैसा पहुंचाना पड़ता है. संयोग था कि पूजा सिंघल उस वक्त फरियादी के एकदम बगल में बैठी थीं. सिंघल अत्कालीन सरकार में कृषि विभाग की सचिव थी. तब पूरा कक्ष ठहाके से गूंज उठा था. एक तरफ मुख्यमंत्री रघुवर दास शांत थे तो दूसरी तरफ पूजा सिंघल फर्श देखने लगी थी.
ज्ञात हो, हेमन्त सरकार में लगातार केद्र से साफ़ सीआर वाले अधिकारियों की मांग होती रही है. लेकिन केंद्र सरकार अपने भरोसेमंद अधिकारियों के संरक्षण में झारखण्ड सरकार की आग्रह अनसुनी करती रही है. चूँकि देश भर में ईडी-सीबीआई के उपयोग को लेकर केन्द्रीय भाजपा सरकार पर राजनीतिक मंशा साधने के आरोप लगते रहे हैं. मसलन, झारखण्ड में भ्रष्ट आईएएस मामले को भी राजनीतिक पंडित उसी मंशा से जोड़ कर देख रहे हैं. और पूरे प्रकरण में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की चुप्पी भी तथ्य को मजबूती देती है. क्योंकि बाबूलाल मरांडी से रस में भ्रामिक बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रहने वाले रागुवर ने ईडी मामले में एक ट्वीट तक नहीं की है.
ईडी के पास मामला होते हुए भी पूजा सिंघल को भाजपा सरकार में दी गई थी क्लीन चीट
2000 बैच की आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल झारखण्ड में भाजपा के तमाम काल में विवादों से घिरी रही है. ब्यूरोक्रेसी में इन्हें फिट फॉर एवरीथिंग यूं ही नहीं कहा जाता था. पूजा सिंघल खूंटी की डीसी थी, तब वहां ग्रामीण विकास विभाग में करोड़ों का घोटाला हुआ. उस काल में पूजा सिंघल कृषि और पशुपालन विभाग व पर्यटन विभाग में भी रही थी. मोमेंटम झारखण्ड में भी यह सुर्खियों में रही थी. मोमेंटम झारखण्ड के दौरान एक दिन में सबसे अधिक रोज़गार दिये जाने का लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स समेत देश के कई महानगरों दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू व अन्य शहरों में हुए निवेशक सम्मेलन में भी इनकी भूमिका रही थी.
पूजा सिंघल अगस्त 2007 से जून 2008 तक चतरा डीसी थी. मनरेगा में मुसली उत्पादन के लिए पैसे दिये गये. मामले को भाकपा माले विधायक ने उठाया था. तत्कालीन सरकार ने जांच की बात कही थी. मामले में भी पूजा सिंघल को उस सरकार द्वारा स्वयं ही क्लीन चीट दी गई थी. जबकि ईडी द्वारा हाइकोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया था कि वह मामले को देख रही है. लातेहार में कोयला ब्लाक के भूमि अधिग्रहण मामले में भी इनका नाम आया था. उस मामला को भी तब के भाजपा सरकार में दबाया गया था. तमाम प्रकरण भाजपा के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ पूजा सिंघल के करीबी होने का स्पष्ट तस्वीर उकेरती है. और भाजपा अपने ही बुने जाल में फंसती भी दिखती है.