झारखण्ड : विधायक सरयू राय ने राज्य में हो रहे इडी कार्रवाई को एकतरफा करार दिया है. साथ ही आदिवासी सीएम हेमन्त सोरेने ने संविधानिक बिन्दुओं के आसरे सुप्रीम कोर्ट से संरक्षण की लगाई गुहार.
इस बार सीएम हेमन्त सोरेन ने इडी कार्रवाई के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के शरण में हैं. जिससे इडी कार्रवाई के अक्स में एक आदिवासी सीएम की दुर्दशा देश-दुनिया के समक्ष उजागर हो गया है.
रांची : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केन्द्रीय सत्ता और इडी के सम्बन्ध का पर्दाफास देश भर में हुआ है. ज्ञात हो, झारखण्ड में इडी की कार्रवाई सीएम हेमन्त सोरेन का कोरोना काल में कोल ब्लाक आवंटन का विरोध, केंद्र से झारखण्ड का बकाया राशि मांग और पूर्व के बीजेपी सरकार की घोटालों की जांच के आदेश के बाद शुरू हुआ है. राज्य के सीएम हेमन्त पर एक के बाद एक कई आरोप लगाए गए. जिसके अक्स में इडी के द्वारा राज्य में पदाधिकारियों एव उद्योगपतियों की गिरफ्तारियां होती रही है. जिसके अक्स में बीजेपी के द्वारा राजनीति करने का प्रयास हुआ है.
लेकिन, जांच की सुई पूर्व के बीजेपी की रघुवर सरकार के तरफ इशारा करती रही. तमाम संदिग्ध परिस्थितियों के बीच इडी का समन बीजेपी नेताओं के बजाय केवल आदिवासी सीएम को आया. और सीएम हेमन्त ने ना केवल इडी के सवालों का सामना किया. मांगे गए तमाम दस्तावेज भी उपलब्ध कराये. और जांच की दिशा पूर्व की रघुवर सरकार के दहलीज पर पहुंचते ही जांच अधर में लटक गयी. अब किसी दूसरे केस के आसरे इडी के द्वारा सीएम को आदिवासी महोत्सव और 15 अगस्त के बीच फिर समन भेजा गया.
2020 के बाद के मामलों पर ही जांच व कार्रवाई क्यों कर रही इडी?- सरयू राय
इस बीच पूर्व की बीजेपी सरकार में मंत्री रहे एवं वर्तमान में निर्दलीय विधायक सरयू राय ने एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुखरता से ईडी से की पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से पूछताछ की मांग की है. उनके द्वारा स्पष्ट कहा गया है कि झारखण्ड में 2015 से 2019 के बीच चार गुना अधिक अवैध खनन हुए, जेल में बंद पूजा सिंघल, प्रेम प्रकाश, छवि रंजन से जुड़े सभी घोटाले रघुवर दास के कार्यकाल के ही है. ईडी की हर कार्रवाई में घोटालों की जड़ पांच साल पीछे जा रही है.
उन्होंने स्पष्ट कहा है कि अगर ईडी रघुवर दास से पूछताछ नहीं करेगी तो वे न्यायालय की शरण में जायेंगे. सरयू राय के द्वारा ईडी की कार्रवाई पर दोटूक सवाल उठाया गया है कि वह सिर्फ 2020 के बाद के मामलों पर ही जांच व कार्रवाई क्यों हो रही है? ईडी को 2020 से पहले के मामलों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए. 2015 से 2019 तक के बीच की ईडी द्वारा दायर चार्जशीट पर कार्रवाई नहीं हो रही है. जबकि ईडी ने तीसरी बार हेमन्त सोरेन को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया है.
ईडी समन मामले में आदिवासी सीएम हेमन्त सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई संरक्षण की गुहार
इस बार सीएम हेमन्त सोरेन ने इडी कार्रवाई के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के शरण में हैं. जिससे इडी कार्रवाई के अक्स में एक आदिवासी सीएम की दुर्दशा देश-दुनिया के समक्ष उजागर हो गया है. लेकिन जैसे ही एक तरफ इण्डिया गठबंधन में सीएम हेमन्त की महत्त्व बड़ी, तो दूसरी तरफ इडी का तीसरा समन भी उन्हें भेज दिया गया है. ज्ञात हो, इडी डायरेक्टर संजय मिश्रा का कार्यकाल 15 सितम्बर को समाप्त होना है. ऐसे में इस तारीख से पहले सीएम हेमन्त को इडी द्वारा सुप्रीम कोर्ट को अनदेखा कर बुलाया जाना मामले को जनपक्ष में संदिग्ध बना दिया है.
ऐसे में सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गयी है कि वह आदेश दे कि उनके खिलाफ प्रतिष्ठा के अक्स में इडी के द्वारा किसी प्रकार की पीड़क कार्रवाई नहीं हो. ज्ञात हो, आदिवासी सीएम हेमन्त के कार्यकाल में झारखण्ड हित में कई नीतिगत निर्णायक फैसले गरीब, आम जन व आरक्षित वर्ग के पक्ष में लिए गए हैं, जिन्हें धरातल पर अभी उतारा जाना बाकी है. ऐसे में इडी के द्वारा यदि कोई पीडक कार्रवाई होती है तो निश्चित तौर पर राज्य का बड़ा निकसान होगा, उसके विकास पर प्रतिकूल असर पडेगा.
सीएम हेमन्त के द्वारा ईडी समन के अक्स में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ईडी को पूछताछ के दौरान गिरफ्तार करने का अधिकार है. ऐसे में इडी समन के मद्देनजर राज्य के सीएम को गिरफ्तारी का डर बना रहता है. सीएम ने कहा है कि ईडी कार्रवाई को राजनीतिक कारणों से एक लोकतांत्रिक सरकार को अस्थिर करने वाला बताया गया है. उनके द्व्रारा कहा गया कि जब सभी जानकारी उपलब्ध करा दी गई है तो फिर समन कैसा? यह समन पीएमएलए के मूल उद्देश्य के खिलाफ है, गैरकानूनी है और संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ है.