हेमन्त सरकार में समाज में शिल्पकारों की जरूरत को प्राथमिकता 

झारखण्ड : हेमन्त सरकार में शिल्पकारों को योजनाओं के तहत लाभ पहुंचाया जा रहा है. खाली स्थान में विश्वकर्मा प्वाइंट जैसे मार्केट विकसित करने पर, बाजार उपलब्ध कराने पर विचार हो रहा है.

रांची : शिल्पकार देश व राज्य की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखने में मददगार होते हैं. वह पारंपरिक शिल्प कौशल और तकनीकों को संरक्षित-संवर्धित कर समाज की विविधता और समृद्धि का प्रतिनिधित्व देते हैं. शिल्पकार समाज को आवश्यक वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करते हैं. जिससे हमारे दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है. 

हेमन्त सरकार में समाज में शिल्पकारों की जरूरत को प्राथमिकता 

स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन होता है और गरीबों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है. उनकी मेहनत और कुशलता न केवल हमारे घरों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों को सुंदर बनाते हैं, उन्हें ऐतिहासिक पहचान भी देते हैं. चूंकि शिल्पकारों के कार्यों का समाज के धर्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ सीधा जुड़ाव होता है मसलन, शिल्पकार समाज की सांस्कृतिक धरोहर को अक्षुण रखने में मददगार साबित होते हैं.

समाज में शिल्पकारों की जरूरत के कुछ विशिष्ट उदाहरण 

  • कपड़े का शिल्पकार समाज को कपड़े प्रदान करता है 
  • बढ़ई समाज को फर्नीचर प्रदान करता है 
  • एक धातुकर्मी समाज को बर्तन प्रदान करता है.
  • एक गहनों का शिल्पकार समाज को गहने प्रदान करता है.
  • एक कलाकार समाज को ह सजाने और सुंदर बनाने के लिए कलाकृति प्रदान करता है.

शिल्पकार समाज के लिए एक बहुमूल्य संसाधन 

झारखण्ड की हेमन्त सरकार में शिल्पकार को समाज के बहुमूल्य संसाधन और अर्थव्यवस्था के मजबूतीकरण में एक महत्वपूर्ण कड़ी माना गया है. राज्य सरकार उनकी प्रतिभा और कौशल निखार समाज की आर्थिक व्यवस्था और ऐतिहासिक-सांस्कृतिक पहचान को मजबूती के दिशा में लगातार ठोस फैसले ली है. सीएम हेमन्त सोरेन के निर्देश पर जिला प्रशासन की टीम गाँव पहुँच कर शिल्पकारों से संपर्क बना रहे हैं. 

शिल्पकारों को आवास, पेंशन, राशन समेत अन्य योजनाओं के तहत मूलभूत सुविधा पहुंचाया जा रहा है. साथ ही, उनकी गांव की अन्य समस्याओं के समाधान हेतु कदम उठाये जा रहे हैं. शिल्पकारों से तबला, मांदर, ढोल, मृदंग जैसे तमाम उत्पाद के बनाने में लगने वाला समय, लागत, निर्माण सामग्री, मार्केट तथा विक्रय मूल्य की जानकारी ली जा रही है. खाली स्थान में विश्वकर्मा प्वाइंट जैसे मार्केट विकसित करने पर विचार किया जा रहा है.

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