झामुमो : भारत के निर्वाचन आयोग, ईडी जैसी एजेंसियां सांसद निशिकांत दुबे को करती है रिपोर्ट

सवाल : सांसद निशिकांत दुबे को गोपनीय सूचनाएं कैसे मिलती है? तो जवाब -उनके ट्वीट में गलत जानकारी है तो झामुमो खंडन करे. उन्हें TRP के भागम-भाग में पत्रकार ब्रेकिंग सूचनाएं क्यों देते है? यदि देते हैं तो बतौर जनप्रतिनिधि वह किस कीमत पर खरीदते हैं. या केंदीय शक्तियों के प्रभाव में एजेंसियां उन्हें रिपोर्ट करती है

रांची : झारखण्ड में इन दिनों एक जनप्रतिनिधि सह भाजपा सांसद निशिकांत दुबे खोजी पत्रकारिता की भूमिका दिखे हैं. ईडी कार्रवाई के मद्देनजर देश के विभिन्न मीडिया से पहले वह ट्विटर के माध्यम से ब्रेकिंग न्यूज़ देते दिखे हैं. जबकि झारखण्ड सरकार का आरोप है कि उन्हें इस सम्बन्ध में सूचनायें उपलब्ध नहीं हो रही है. मसलन, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के महसचिव सुप्रियो भट्टाचार्य द्वारा सीधे तौर पर भाजपा सरकार पर केन्द्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. और कहा है कि राजनीति में परास्त होने के बाद भाजपा पश्चिम बंगाल की महिला मुख्यमंत्री व झारखण्ड के आदिवासी मुख्यमंत्री को केन्द्रीय शक्तियों के प्रभाव से परेशान कर रही हैं.

भारत के निर्वाचन आयोग, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई जैसी एजेंसियां निशिकांत दुबे को रिपोर्ट करती है 

झामुमो द्वारा स्पष्ट कहा गया है कि केन्द्रीय भाजपा द्वारा राजनीतिक तौर पर देश में ईडी जैसे संस्थानों के माध्यम से गैर भाजपा शासित सरकारों को डराने, धमकाने, चंद लोगों के फायदे के लिये राज्य में भ्रम और अनिश्चितता की स्थिति पैदा किया जा रहा है. केन्द्रीय के इस रवैये के विरुद्ध झामुमो द्वारा राज्य भर में विरोध-प्रदर्शन हुआ. साथ ही गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे पर आरोप लगाया गया कि भारत के निर्वाचन आयोग, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई, एनआईए, सेंट्रल विजिलेंस जैसी केंद्रीय एजेंसियां रिपोर्ट करती हैं.

ज्ञात हो, राज्य में 6 मई से ईडी कार्रवाई जारी है. एक पखवाड़े में ईडी या भारत निर्वाचन आयोग की ओर से आधिकारिक जानकारी सरकार को नहीं दी गई है, लेकिन एक अधिकारी के मोबाइल पर चैट में क्या मैसेज मिला, जांच में क्या फैक्ट्स मिले, क्या कार्रवाई होने वाली है, इसकी पूर्व जानकारी सांसद निशिकांत दुबे को मिल जाती है. और वह ट्वीट कर जानकारी सार्वजनिक भी कर रहे हैं. पूरे प्रकरण को लोकतंत्र व संघीय ढांचा के लिये गंभीर विषय बताते हुए, कहा गया कि मामले को सर्वोच्च व उच्च न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञान में लिया जाना चाहिये.

ज्ञात हो, पश्चिम बंगाल के एक केंद्रीय मंत्री, सांसद सहित भाजपा के कई विधायकों ने इस्तीफा दिया है. बताया जा रहा है कि उन्हें भाजपा की नीतियां, राजनीतिक ढर्रा व प्रबंधन व्यवस्था रास नहीं आयी. झामुमो द्वारा कहा गया कि केंद्रीय एजेंसियों से मनरेगा घोटाला, कठौतिया माइंस, मोमेंटम झारखण्ड की जांच में आधिकारिक बयान की अपेक्षा हुई है. जैसे साहिबगंज के डीएमओ विभूति को पिछली रघुवर सरकार में तैनात किया गया था. निष्पक्ष जांच हो तो ऐसे कई विभूतियां सामने आएंगे. 

सवाल है निशिकांत को कैसे गोपनीय सूचनाएं मिलती है? तो वह जवाब देते हैं कि उनके ट्वीट में गलत जानकारी है तो झामुमो खंडन करे

मसलन, आरोप के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दूबे बचाव मुद्रा में दिखे. उनके द्वारा कहा गया कि ईडी की खबरें उन्हें सूत्रों से मिलती हैं. ईडी की कार्रवाई की जानकारी उन्हें कई पत्रकार देते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि टीआरपी की भागम-भाग में पत्रकार उन्हें ब्रेकिंग न्यूज़ बिना ख़ास कीमत तो नहीं उप्लाब्ध कराते होंगे. बतौर जनप्रतिनिधि उन्हें जनता को बताना चाहिए कि वह किस कीमत पर सूचनाएं प्राप्त करते हैं. और यह कैसे कानूनन सही है? झामुमो का सवाल है उन्हें कैसे गोपनीय सूचनाएं मिलती है? तो सिनाजोरी के रूप में जवाब देते हैं कि उनके ट्वीट में गलत जानकारी है तो झामुमो खंडन करे. इसका यही मतलब हो सकता है कि झामुमो के आरोप सही हैं.

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