झारखण्ड : अधिकांश सत्ता भाजपा की रही है. भाजपा में स्थानीयों के अभाव में बाहरी घुसपैठ को बढ़ावा मिला. जो भाजपा के वोट बैंक बने वह झारखंडी हुए और शेष को बहरी करार दे झामुमों के सर मढ़ा गया. जिसके आड़ में स्थानीय ईसाई पर हमला बोला गया.
राँची : झारखण्ड का पहला सच है कि यह आन्दोलन से निकला राज्य है. दूसरा सच राज्य गठन के बाद झारखण्ड में पहली व अधिकांश सत्ता भाजपा की ही रही है. और तीसरा सच भाजपा शासन में, स्थानीयता के अभाव में बाहरियों के घुसपैठ को बढ़ावा दिया गया. जिसके अक्स में सभी वर्गों के स्थानीय का अधिकार हनन हुआ. भाजपा राजनीति में स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं के अभाव में उसने बाहरियों के मार्फ़त दोतरफा राजनीति का खेल खेला गया. एक तरफ भाजपा ने अपने अनुकूल बाहरियों को सत्ता सुख परोसा. दूसरी तरफ जो उसके वोट बैंक नहीं बने उन बाहरियों बाहरियों को स्थानीय दलों के सर मढ़ा दिया.
और इस मुद्दे पर भाजपा ने न केवल जम कर राजनीति की, बल्कि मुद्दे के आड़ में स्थानीय आदिवासी जिसने इसाई धर्म अपनाया था उसपर हमला बोला. साथ ही अपनी नीतियों से आदिवासी-मूलवासी को पलायन करने पर विवश किया. मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से लेकर रघुवर दौर तक कार्य प्रणाली में तथ्य के स्पष्ट उदाहरण देखे जा सकता है. भाजपा द्वारा कभी भी उन बाहरियों का विरोध नहीं हुआ. जो उसके वोट बैंक नहीं थे. हाँ यह खीज एक दौर में बाबुला मरांडी में दिखी, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री पद से बेदखल कर दिया गया. जिसपर उन्होंने कहा था की वह क़ुतुब मीनार से कूदना पसंद करेंगे, लेकिन भजपा में वापस जाना पसंद नहीं करेंगे.
आदिवासी ज़मीनों पर बाहरी घुसपैठ के जाँच के आदेश के बाद बाबूलाल मरांडी बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठ के आसरे उतरे अपने वोट-बैंक के बचाव में
ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी को राज्य को भरमाने से पहले बताना चाहिए, कि उनके शासनकाल से लेकर रघुवर शासन काल तक में कितने बाहरियों ने राज्य में घुसपैठ की. और वह कवल बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों के संरक्षण के आसरे ही क्यों राजनीति करना पसंद कर रहे हैं? वह बताये कि राज्य में आदिवासी ज़मीनों पर बिल्डिंगें खड़े करने वाले बाहरी कौन हैं? और उनकी बिल्डिंगे कैसे संतुलन कायम कर रही है. जब राज्य में अधिकाश सत्ता भाजपा की रही तो झामुमो ने कैसे घुसपैठ कराई. और अब जब राज्य सरकार द्वारा जांच के आदेश दिए गए हैं तो बाबूलाल जी बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठ के आसरे क्यों उन्हें संरक्षण देने का प्रयास कर रहे है.