क्या जल्दबाजी है, हाईकोर्ट में छुट्‌टी के दिन भी हो रही है सुनवाई :सुप्रीम कोर्ट (मौखिक टिप्पणी)

सुप्रीम कोर्ट : सभी एफआईआर मनरेगा घोटाले व पिछली सरकार के समय के हैं? ..हां ये सारे साल 2016 के हैं. कोर्ट -ईडी जांच के लिए स्वतंत्र है, हाईकोर्ट में जाने के लिए इतने परेशान क्यों? सिब्बल -ईडी को नोटिस तक जारी नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता की विश्वसनीयता की जांच जरूरी है.

राँची : झारखण्ड में चल रही ईडी कार्रवाई की पारदर्शिता पर राजनीति से प्रेरित होने का प्रश्न झामुमो द्वारा उठाया गया था. कहा गया कि शेल कंपनियों से संबंधित दस्तावेज कोट में प्रस्तुत हो रहा है, मीडिया व भाजपा नेताओं तक पहुँच रहे है. लेकिन सरकार को उपलब्ध नहीं हो रहा है. जिससे भाजपा हेमन्त सरकार की गलत छवि जनता के सामने प्रस्तुत कर रहा है. विधायक सरयू राय द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर को पत्र लिख पूजा सिंघल को वर्ष 2017 में मनरेगा घोटाले से आरोप मुक्त करने की प्रक्रिया पर समीक्षा का आग्रह किया गया था. 

मुख्यमंत्री के करीबियों की शेल कंपनियों में निवेश व माइनिंग लीज आवंटन मामले में झारखण्ड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर राज्य सरकार की एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी और सुनवाई की अगली तिथि 24 मई निर्धारित हुई थी. राज्य सरकार के एडवोकेट कपिल सिब्बल ने एसएलपी में कहा कि शेल कंपनी को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई है. अभी इसे स्वीकार भी नहीं  किया गया है. मेंटेनेबिलिटी पर ही सुनवाई हो रही है. कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई है. ईडी ने कोर्ट को सीलबंद दस्तावेज सौंपे. उसके आधार पर हाईकोर्ट ने कहा मामला सीबीआई को दिया जा सकता है.

एसएलपी में झारखण्ड हाईकोर्ट के फैसले को दी गई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

राज्य सरकार की ओर से दायर एसएलपी में झारखण्ड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी और झारखण्ड हाइकोर्ट के फैसले को निरस्त करने की मांग की. सरकार की ओर से एडवाेकेट कपिल सिब्बल ने कहा-पहले याचिकाकर्ता की विश्वसनीयता और पीआईएल की योग्यता पर सुनवाई हाेनी चाहिए, जाे हाईकाेर्ट में नहीं हाे रही है. वहां शनिवार काे भी सुनवाई की तिथि रखी जा रही है. इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने माैखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी क्या जल्दबाजी है, जाे छुट्टी के दिन भी सुनवाई हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा-हाईकोर्ट अगली तिथि पर पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई करे.

सुप्रीम काेर्ट : ऐसी क्या जल्दबाजी है, जो हाईकोर्ट में छुट्‌टी के दिन भी सुनवाई हो रही है (… साभार भास्कर )

सिब्बल (राज्य सरकार के वकील) : शिवशंकर शर्मा और अन्य की ओर से दायर याचिका राजनीति से प्रेरित है. उन्होंने जानकारी नहीं दी है कि ऐसी ही पीएआईएल पहले भी दायर हुई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था. पहले यह तय होना चाहिए कि यह मेंटेनेबल है या नहीं.

मुकुल राेहतगी (हेमंत साेरेन के वकील) : हेमन्त साेरेन ने शपथ पत्र दायर कर दिया है. हमने भी मेंटेनेबिलिटी पर सवाल उठाए हैं. राजनीतिक, पारिवारिक दुश्मनी से पीआईएल दायर की गई है.

तुषार मेहता (ईडी-सीबीआई के वकील) : मनरेगा घोटाले में 16 केस दर्ज हुए है. ईडी ने जांच शुरू की है. बड़े नेताओं के नाम आ रहे हैं. सीलबंद लिफाफे में कागजात दिए हैं. जांच जारी है.

सुप्रीम कोर्ट : सभी एफआईआर मनरेगा घोटाले के हैं. वे पिछली सरकार के समय के हैं?

तुषार मेहता : ये सारे साल 2016 के हैं.

सुप्रीम कोर्ट : ईडी जांच के लिए स्वतंत्र है. हाईकोर्ट में जाने के लिए इतने परेशान क्यों हैं?

सिब्बल : ईडी को नोटिस तक जारी नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता की विश्वसनीयता की जांच जरूरी है.

सुप्रीम कोर्ट : हाईकोर्ट अगली तिथि पर पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई करेगी. अगर याचिका मेंटेनेबल है तो आगे की सुनवाई की जाएगी.

पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी (योग्यता) पर सुनवाई के लिए 1 जून की तारीख तय

सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार की एसएलपी पर सुनवाई के बाद झारखण्ड हाईकोर्ट को लंबित जनहित याचिकाओं की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई करने का निर्देश दिया गया. झारखण्ड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में माइनिंग लीज आवंटन मामले में सुनवाई हुई. अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए 1 जून की तारीख तय की गयी है.

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