क़ानून व्यवस्था ठीक है – साहेब ने इधर कहा और उधर अपराधियों ने दो को मारी गोली

झारखंड राज्य की फासीवादी सरकार ने अपनी नीतियों से सामाजिक ताने-बाने में जनवादी मूल्यों का नितांत अभाव पैदा कर दिया है। साथ ही प्राक्पूँजीपतियों के हित में फैसला ले मंदी की मौजूदगी को प्रभावी बना दिया है। यही मुक्त प्रवाह एक ऐसी आँधी लेकर आयी जिसमें मनुष्यता दम तोड़ दी। जैसे-जैसे राजनीतिक धरातल पर राज्यसत्ता निरंकुश व दमनकारी हुई, वैसे-वैसे ही झारखंडी समाज के धरातल पर दुराचार, व्यभिचार के वीभत्सतम-बर्बरतम रूप सामने आने लगे। अब तो क़ानून व्यवस्था का आलम यह है कि लोगों को दिन-दहाड़े गोली मारी जाने लगी है। इसके परिप्रेक्ष्य में ऐसे समझा जा सकता है…

बीते दिन मुख्यमंत्री जी आशीर्वाद यात्रा के दौरान हज़ारीबाग़ स्थित झारखंड पुलिस एकेडमी में प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों का पासिंग आउट परेड में भाग लिया। मुख्य अतिथि रूप में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने परेड का निरीक्षण करते हुए कहा कि वह दिन उनके लिए भी महत्वपूर्ण है। आगे साहेब ने कहा कि झारखंड को अपराधमुक्त राज्य बनाना उनका लक्ष्य है और दावा किया कि अपराध नियंत्रण में काफी सुधार हुआ है। उनका यह बयान अभी अखबारों ने ठीक से महिमामंडित किया भी नहीं था कि उसे झूठलाने वाली प्रत्यक्ष घटना सामने आ गयी।

साहेब का भाषण अभी ख़त्म ही हुआ था कि भरी दोपहरी में, राजधानी के सबसे भीड़-भाड़ वाले इलाके लालपुर में स्थित एक गहने की दुकान में पाँच अपराधियों ने लूट-पाट व उत्पात मचाते हुए दिन-दहाड़े एक व्यवसायी पिता के सामने उनके दो व्यवसायी बेटों को गोली मार दी। फिर वे उतनी भीड़ में बाइक पर सवार हो पीस रोड के रास्ते कोकर की ओर आराम से भागने में सफल रहे। दिलचस्प यह है कि सात मिनट बाद पहुंची पुलिस को केवल अपराधियों का हेलमेट हाथ लगा और फिंगरप्रिंट छानते रह गयी। यह कोई पहली घटना नहीं है, ऐसी घटनाएँ लगातार हो रही है। 

मसलन, कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री जी के शासनकाल में झारखंड की क़ानून व्यवस्था काफी लचर हो गयी है। आने वाले चुनाव को देखते हुए सरकार झूठ बोलने से तनिक भी नहीं हिचक रही। अभी मंदी के दौर में ऐसी घटनाएँ और भी देखने सुनने को मिल सकती है, जो सरकार के लिए एक चुनौती से कम नहीं होगी।  

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