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सरकारी-निजी क्षेत्रों में आरक्षण, बेरोजगारी भत्ता की अनूठी सोच हेमंत को बनाती है 3.25 करोड़ जनता में लोकप्रिय

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निजी क्षेत्रों में आरक्षण, बेरोजगारी भत्ता

सरकारी-निजी क्षेत्रों में आरक्षण, बेरोजगारी भत्ता की अनूठी सोच हेमंत को बनाती है 3.25 करोड़ जनता में लोकप्रिय

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20 वर्षों के झारखंड के इतिहास में झारखंड के युवा बेरोजगारों को मिलेगा 5000 रूपये तक बेरोजगारी भत्ता व निजी क्षेत्र में मिलेगा आरक्षण  

सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की बात देती है लोकतांत्रिक मुख्यमंत्री होने का सबूत 

रांची। झारखंड की सवा तीन सौ करोड़ जनता की कसौटी पर जब 14 बरस के घमंड पर 14 माह का ज़मीनी सच भारी पड़े। जहाँ बाबूलाल से लेकर अर्जुन मुंडा और रघुवर के लोटा-पानी नीति तक, झारखंड के उस सपनों को कुचले दे जिसके अक्स में महापुरुषों की शहादत बे-मायने हो जाए। तो निश्चित रूप से जनता झारखंडी मानसिकता के उस 14 माह के सत्ता से अपना जुड़ाव बाएगी। जिसके अक्स में उसकी नीतियां जमीनी मुद्दों को टटोलते हुए राज्य के विकास का खाका महान आंदोलनकारियों के अरमानों की लकीर पर खींचने का माद्दा रखती हो। नतीजतन झारखंडी जनता ने अपना अगला मुखिया हेमंत सोरेन को चुना।

मौजूदा सत्ता के रूप में हेमंत सोरेन का प्रयत्न झारखंडी जनता से किये वादों को निभाने की दिशा में बढ़ चूका है। जहाँ सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दायरा बढ़ाने की घोषणा हो जाए। निजी क्षेत्र में स्थानीयों को 75 प्रतिशत आरक्षण। बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता। इस कड़ी में मुख्यमंत्री का एलान दो ऐसे महत्वपूर्ण वादे, जो झारखंड की ज़मीनी ज़रूरत हो का पूरा करने का वकालत करे। और मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में दोनों ही वादों को प्रस्ताव के रूप में कैबिनेट बैठक में स्वीकृति मिले। और घोषणा की सम्भावना चालू बजट सत्र में होने की आशा जगाये। तो मुख्यमंत्री की यह अनूठी सोच जनता के उस आशा पर खरा सकता है। जिसके अक्स में जनता का समर्थन उन्हें मिला है। 

“नियोजन एवं अधिनियम 2021” की विशेषता -3 वर्ष तक मिलेगा प्रशिक्षण 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिछले कई कार्यक्रमों में इस बात को प्रमुखता से कहते रहे है कि उनकी सरकार निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत नौकरी स्थानीय लोगों को देने के वादे पर कायम है। इसी कड़ी में अब हेमंत सरकार “नियोजन एवं अधिनियम 2021” से संबंधित एक विधेयक चालू सत्र में लाने जा रही है। बताया जा रहा है कि कानून की सबसे खास विशेषता यह है कि तकनीकी रूप से दक्ष युवा व मजदूर को इसके तहत नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाएगी। अगर संबंधित कंपनी को आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षित नहीं मिलते। तो कंपनी, राज्य सरकार के साथ मिलकर ऐसे राज्य के युवाओं को 3 वर्ष तक प्रशिक्षण देगी। ताकि वह रोजगार के उस पद के लायक हो सके।

बेरोजगारी भत्ता के लिए बेरोजगार का एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज में रजिस्टर्ड होना जरूरी है 

बेरोजगारों को भत्ता देने का प्रावधान आने वाली योजना “मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना” के तहत हुआ है। तकनीकी रूप से प्रशिक्षित प्रमाणित उम्मीदवार, जो किसी रोजगार व स्वरोजगार से नहीं जुदा है। उन उम्मीदवारों को प्रस्तावित योजना के तहत बेरोजगारी भत्ता लाभ मिलेगा। यह भत्ता प्रतिमाह 5000 -7000 रुपये तक हो सकता है। जानकार सरकार के इस कदम को झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधानसभा चुनाव 2019 के घोषणा पत्र में जिक्र बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने से जोड़ कर देख रहे हैं।

प्रस्ताव के अनुसार, शहरी एवं ग्रामीण के वैसे बेरोजगार युवा, जो तकनीकी रूप से प्रशिक्षित है, उन्हें सरकार 5,000  तक का भत्ता देगी। प्रमाणित के लिए जरूरी है, बेरोजगार को राज्य के एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज में रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। ऐसा होने पर उन्हें 1 वर्ष के लिए बेरोजगारी भत्ता मिलेगा। साथ ही विधवा, परित्यक्ता, आदिम जनजाति व दिव्यांगों को अतिरिक्त 25 प्रतिशत यानी 7,500 बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा।

आरक्षण का दायरा बढ़ाना हेमंत का झारखंडियों को हक दिलाने की राह में मजबूत कदम  

झारखंडियों को हक दिलाने की हेमंत सोरेन की मंशा का पता उनके कई निर्णयों से चलता है। आरक्षण का दायरा बढ़ाना भी उसी कड़ी में एक बेहतरीन सोच का हिस्सा है। बता दें कि करीब पांच माह पहले ही अपने दुमका दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने समाज के प्रमुख वर्गों के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाने की बात की थी। इसके तहत पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का आरक्षण 14%  से बढ़ाकर 27%। वहीं अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण 26% से बढ़ाकर 28% और अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षण प्रतिशत 10 से बढ़ाकर 12% कर लाभ दिए जाने की बात कही थी।

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