दबे-कुचले, वंचितों के आवाज बनते हेमंत के प्रस्ताव को यदि केंद्र ने माना तो नौकरियों में मिलेगा आरक्षण का लाभ

दबे-कुचले, वंचितों समुदाय के आवाज बनते हेमंत सोरेन के प्रस्ताव को यदि केंद्र सरकार ने माना तो, इन समुदाय के लोगों को मिल सकेगा नौकरियों में आरक्षण का उच्चीत लाभ

रांची। झारखंड बनने के 20 साल बाद भी राज्य में कई दबे-कुचले व वंचित अपने अधिकारों से वंचित है। विशेष कर तब जब ऐसे लोगों को संविधान ने अधिकार दिया है। फिर भी वे आज समाज की मुख्यधारा से पीछे ही रह गये है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऐसे लोगों के लिए आवाज़ बनते जा रहे हैं। वे लगातार इन अधिकारों को लेकर राज्य के आला अधिकारियों व केंद्र से अपने विचारों को साझा कर रहे है, पत्र लिख रहे है। अगर उनके प्रस्ताव को केंद्र मानता है, तो तो यह तय है कि राज्य के कई जातियों व उपजातियों के युवाओं को भी केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। इससे हजारों युवाओं को फायदा होगा। बता दें कि मुख्यमंत्री ने पिछले तीन माह में इससे जुड़े कई प्रस्ताव पर सहमति दी है। 

राजनीति के केंद्र बिंदु रहे आदिवासी को नहीं मिल सका वाजिब हक, हेमंत दिलाने के लिए हैं प्रत्यनशील

राज्य की सियासत हमेशा से आदिवासियों के मुद्दों पर करवट लेती है। इसके बावजूद आदिवासियों को भी अभी तक उनका वाजिब हक नहीं मिल सका है। यही कारण है कि हेमंत सोरेन अपने कार्यकाल में इन मुद्दों को हल कर देना चाहते हैं। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिये अपने भाषण में उन्होंने राज्य सरकार की नौकरियों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के साथ ही अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की घोषणा की थी। जिसके तहत ओबीसी का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत, एसटी के लिए आरक्षण प्रतिशत 26 से बढ़ाकर 28 और एससी के लिए आरक्षण प्रतिशत 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर लाभ दिया जाएगा। इसी तरह एक कमेटी झारखंडी भावना के अनुरुप स्थानीय नीति (डोमिसाइल) बनाने संबंधित सुझाव देगी, ताकि इसे नए सिरे से परिभाषित किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र की कंपनियों में भी कम से कम 75 फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए भी नियम बनाया जाएगा।

36 जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की दिशा में बढ़ा कदम

राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ाने के साथ मुख्यमंत्री केंद्र में भी युवाओं के रोजगार को सुनिश्चित करना चाहते है. इसके लिए उन्होंने बीते 23 अगस्त को 36 जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। यह प्रस्ताव केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को भेजे जाने की बात हेमंत ने की। राज्य में ये सभी जातियां बीसी-1 और बीसी-2 में शामिल हैं। 

भुईयां जाति की 9 उपजातियों को हेमंत दिलाना चाहते है लाभ

मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने भुईयां जाति की 9 उपजातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में सम्मिलित करने के लिए डॉ प्रस्ताव पर सहमति दी। यह प्रस्ताव रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान ने सरकार को दिया था। अब इसे भी केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को भेजा जाएगा।

केंद्रीय उपक्रमों में मिल सकेगा आरक्षण का लाभ

केंद्रीय ओबीसी और अनुसूचित जाति की सूची में शामिल नहीं होने के कारण इनसे जुड़े छात्र-छात्राओं को केंद्र सरकार और केंद्रीय उपक्रमों की नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। इन दबे-कुचले, वंचित जातियों को केंद्र सरकार की सूची में शामिल कर लिये जाने के बाद इन जातियों के युवाओं को भी केंद्र की नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा।

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