राज्य के विकास में “खनन नहीं पर्यटन” को बढ़ावा देने की ओर बढ़े मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

खनन नहीं पर्यटन के क्षेत्र में मुख्यमंत्री की लंबी छलांग, सरकार के निर्णयों से मिलेगा बेरोजगारों को लाभ

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा 28 सितंबर 2015 को बनाया झारखंड पर्यटन नीति से नहीं मिला झारखंडियों लाभ

रांची। 28 सितंबर 2015, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने झारखंड में नयी पर्यटन नीति लेकर आयी थी। नीति को लागू करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था कि इस नयी नीति से झारखंड की किस्मत बदल जाएगी। और झारखंड के  गरीबों को पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार मुहैया होगा। लेकिन सच यह है कि भाजपा द्वारा नीति को लागू करते वक़्त झारखंडी की जनता को जो स्वप्न दिखाया था, वह आज तक पूरा नहीं हो सका। रघुवर नीति से झारखंड की किस्मत तो नहीं बदली, बल्कि पहले से चयनित पर्यटन स्थलों की हालत और खस्ता हो गयी। 

विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तत्कालीन विपक्षी नेता हेमंत सोरेन ने अपनी चुनावी घोषणा में कहा था कि सत्ता में आने के बाद अह खनन नहीं, पर्यटन की नीति पर काम करेंगे। यह ऐसी नीति होगी जो पर्यावरण संरक्षण के साथ राज्य के विकास की दिशा भी तय करेगी। हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बनने के बाद, गंभीरता के साथ राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। बीते दिनों में पर्यटन के क्षेत्र में मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए कई निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि झारखंड के बेरोजगार युवाओं को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।  

पर्यटक स्थलों को वर्ल्ड क्लास बनाने की दिशा में सरकार

अपने नेतरहाट प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा है कि झारखंड के पर्यटक स्थलों को वर्ल्ड क्लास बनाया जाएगा। सभी पर्यटक स्थलों के लिए बेहतर आवागमन, रहने-खाने और सुरक्षा समेत सभी बुनियादी जरुरतों और सुविधाओं को बेहतर किया जाएगा। झारखंड से हर साल बड़ी संख्या में लोग दूसरे प्रदेशों और विदेश में घूमने जाते हैं। सरकार की यह कोशिश होगी कि पहाड़ों की रानी नेतरहाट जैसे तमाम पर्यटन स्थलों को इस तरह विकसित किया जाएगा कि बाहर से सैलानी इनकी खूबसूरती को निहारने के लिए स्वतः खींचे चले आएं। जो सिद्ध करता है कि यह सरकार खनन नहीं, पर्यटन की सोच के साथ आगे बढ़ रही हैं। 

अशोक होटल को राज्य का बनाकर बनाया इतिहास, युवाओं को मिलेगा रोजगार

राज्य गठन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर धरोहर होटलों में से एक होटल अशोका आज झारखंड सरकार का हो गया है। बीते दिनों भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) और झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (जेटीडीसी) के बीच हुए समझौते के बाद झारखंड अब होटल अशोका का एक बड़ा शेयर होल्डर बना है। मुख्यमंत्री ने स्वीकारा था कि इससे राज्य में टूरिज्म की दिशा के रास्ते भी खुले है। बंद होने से पहले होटल अशोका में कार्यरत 24 कर्मचारियों को लाभ देने की घोषणा तो हेमंत ने कर ही दी, लेकिन होटल को दोबारा खुलने से अन्य बेरोजगार युवाओं को भी फायदा मिलेगा, इसमें कोई भी संदेह नहीं है। 

खनन की जगह पर्यटन के बढ़ावा से राज्य को मिलेगा लाभ  

यह सर्वविदित है कि राज्य के विकास में खनन उद्योग का न केवल महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान होगा, बल्कि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा। पर्यटन यह उस विश्वास का भी संकेत माना जाता है जिसके साथ राज्य की छवि काफी बदलती है। दूसरी तरह राज्य गठन के पहले और गठन के बाद से आज तक पूर्ववर्ती सरकारों ने केवल खनन नीति (विशेष अवैध खनन) को ही बढ़ावा दिया है। इससे राज्य को तो आर्थिक नुकसान उठाना ही पड़ता है। साथ ही विस्थापन, बेरोजगारी जैसी विकराल समस्याएं भी सामने आती है।

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