झारखण्ड : कोयला परियोजनाओं में परम्परा और इतिहास को सम्मान

झारखण्ड: सीएम हेमन्त का कोयला परियोजनाओं के नामकरण में राज्य की परंपरा और इतिहास को सम्मान देने की कवायद राज्य के विस्थापित समेत सभी मूलवासियों को सम्मान देना है.

रांची : झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन का मंत्री प्रहलाद जोशी, केंद्रीय खान एवं कोयला मंत्रालय, भारत सरकार को पत्र लिख कर कोयला खनन परियोजनाओं के नामकरण में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान देने की आग्रह, न केवल राज्य के महापुरुषों, विस्थापितों समेत तमाम मूलवासियों के जख्मों पर मरहम लगाना है, देश की डूबते अर्थवयवस्था को मूलवासी अधिकार संरक्षण के अक्स में उत्पाद बढ़ोतरी के आसरे मज़बूती देने के प्रयास भी है.

झारखण्ड : कोयला परियोजनाओं में परम्परा और इतिहास को सम्मान

सीएम हेमन्त सोरेन के इस कदम से स्थानीय लोगों की भावनाओं को सम्मान मिलेगा. ज्ञात हो, मोदी काल में सीएसार फण्ड का भी फायदा राज्य के गरीब वर्ग को नहीं बल्कि ख़ास संस्थाओं को मिल रहा है. जिसके अक्स में देश में सीएसार फण्ड का मायना ही बदल चुका है. नतीजतन, राज्यों के मूलवासियों में केन्द्रीय परियोजनाओं को लेकर राष्ट्रवाद की भावना कमजोर पड़ी है. ऐसे में कोयला परियोजनाओं के नामकरण में राज्य की परंपरा-इतिहास को तरजीह देना एक बेहतरीन पहल है.

ज्ञात हो, झारखण्ड में सीएम हेमन्त के नेतृत्व में खनन के तरह पर्यटन को भी विस्तार दिया जा रहा है. ऐसे में हेमन्त सरकार के द्वारा उठाया गया यह महत्वपूर्ण कदम राज्य के लोगों को स्थानीय संस्कृति और विरासत को संजोने के प्रति जागरूक करेगा.देश-दुनिया में झारखण्ड राज्य की पहचान की पैंठ बनेगी. जिससे पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और कई अन्य क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर सृजन होंगे. जिससे झारखण्ड राज्य की आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास को मदद मिलेगी.

सीएम हेमन्त का पात्र लिखकर कोयला परियोजनाओं में राज्य की परंपरा-इतिहास को सम्मान देने की मांग जायज 

कोयला खनन परियोजनाओं के नामकरण में राज्य की परंपरा और इतिहास को सम्मान देने की मांग सीएम ने की है. उन्होंने पत्र में स्पष्ट कहा है कि कोल इंडिया लिमिटेड और अन्य खनन कंपनियां अक्सर परियोजनाओं के नामकरण में स्थानीय लोगों की भावनाओं और परंपरा का ध्यान नहीं रखती हैं. इससे स्थानीय लोगों में असंतोष पैदा होता है. कोयला खनन परियोजनाओं के नामकरण में स्थानीय की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए. इससे स्थानीयों में सकारात्मक भावना पैदा होगी.

पत्र में अनुरोध किया गया है कि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा संचालित विभिन्न कोयला खनन परियोजनाओं एवं निजी कोयला परियोजना का नामकरण स्थानीय स्थल/गांव/मौजा/पंचायत /प्रखंड/झारखण्ड राज्य के महापुरुषों एवं दर्शनीय स्थलों के अनुरूप किया जाए. कोल इंडिया लिमिटेड, निजी कंपनियों एवं अन्य लोक उपक्रमों के द्वारा संचालित खनिज परियोजनाओं का नामकरण स्थानीय जनमानस की भावनाओं, परंपरा, संस्कृति के आधार पर नहीं किया गया है. 

पत्र में चतरा जिले में संचालित खनन परियोजनाएं आम्रपाली, अशोक एवं मगध कोयला खनन परियोजनाओं का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि इन कंपनियों द्वारा स्थानीय जन भावनाओं के खिलाफ जाकर नामकरण किये हैं. सीएम ने स्पष्ट कहा है कि झारखण्ड की पहचान एक खनिज संपदा बहुल राज्य के रूप में है. जिसका देश के विकास में अहम योगदान है. देश के राजस्व का बड़ा भाग खनिज से प्राप्त होता है, जिसका दोहन भी हो रहा है और उचित सम्मान नहीं मिल रहा है.

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