JDU का JMM को सपोर्ट, ओबैसी के भाषण में केवल एक वर्ग का दर्द

झारखण्ड डुमरी उपचुनाव : जदयू ने इंडिया के प्रत्याशी बेबी देवी को समर्थन दे जहां लोकतंत्र के प्रति निष्ठा का परिचय दिया, वहीं ओवैसी ने केवल एक वर्ग के पक्ष में बोल लोकतंत्र को किया शर्मिन्दा.

हेमन्त सरकार के मोब लिंचिंग क़ानून पर विपक्षी शाजिश के अक्स में ओवैसी ने न तब कुछ बोला जब विधेयक लौटाया गया, और ना ही अब की भाषण में सीएम के प्रयास को जगह दी. जबकि इस विधेयक को लेन में में स्व. जगरनाथ महतो की भी अहम भूमिका रही थी. ओबीसी बीजेपी-संघ के राजनीति चलन की भांति चंद मौकापरस्त शब्द बोल चलते बने.

गिरिडीह : डुमरी विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर प्रदेश जदयू ने इंडिया गठबन्ध के झामुमो प्रत्याशी बेबी देवी को अपना समर्थन दिया है. पार्टी एक सितंबर से डुमरी में मतदाताओं के बीच बेबी देवी के पक्ष में प्रचार-प्रसार करेंगी. प्रचार-प्रसार में खीरू महतो समेत प्रदेश उपाध्यक्ष आफताब जमील, प्रदेश महासचिव श्रवण कुमार, उपेंद्र सिंह, प्रदेश प्रवक्ता सागर कुमार तथा बोकारो, गिरिडीह एवं धनबाद जिला अध्यक्ष भी शामिल होंगे. मसलन, जदयू का यह कदम इंडिया के पक्ष में उनका कर्तव्य निभाना तो है ही, लोकतंत्र के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करना भी है.

JDU का JMM को सपोर्ट, ओबैसी के भाषण में केवल एक वर्ग का दर्द

जबकि लोकतंत्र की बात करने वाले AIMIM सुप्रीमों असदुद्दीन ओवैसी का डुमरी में केवल एक वर्ग के पक्ष में बात रखना, बीजेपी-आरएसएस की हिन्दूराष्ट्र की याद दिला गई. यदि असदुद्दीन ओवैसी को लोकतंत्र में, भारतीय संविधान में विश्वास है तो वह केवल एक वर्ग की ही बात नहीं कर सकते. यह तो लोकतंत्र की भावना के साथ स्पष्ट विश्वासघात है. क्योंकि, उनके भाषण में झारखण्ड के अन्य वर्गों का समावेश नहीं था. मसलन, धुर्विकरण के अक्स में जनता ने उनके भाषण को भड़काऊ करार दिया. जनता ने स्पष्ट कहा है कि क्या केवल एक वर्ग के वोट से उनका प्रयाशी जीत जाएगा?

हेमन्त सरकार के मोब लिंचिंग क़ानून ना सराहना ओवैसी का मौकापरस्ती

ज्ञात हो, झारखण्ड की हेमन्त सरकार में मोब लिंचिंग का क़ानून विधान सभा से पारित हुआ. लेकिन विपक्ष के शाजिसों के अक्स में इस विधेयक वापस लौट गया. लेकिन विडम्बना है कि इस विषय पर ना तब AIMIM सुप्रीमों असदुद्दीन ओवैसी कुछ बोले और ना ही अब हेमन्त सरकार के इस मानवीय प्रयास को अपने भाषण में जगह दी. केवल बीजेपी-आरएसएस की भांति चंद मौकापरस्त शब्द बोल चलते बने. जबकि स्व. जगरनाथ महतो का भी इस विधेयक को लाने में अहम भूमिका रही थी. ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी की राजनीतिक मंशा को सपष्ट समझा जा सकता है.

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