झारखण्ड : हेमन्त सरकार में राज्य के कृषि और किसानों को मिली प्राथमिकता. मेक इन झारखण्ड” (परचेज प्रेफरेंस) पॉलिसी- 2023 के तहत सीएम हेमन्त का एग्रो बेस्ड इंडस्ट्रीज विशेष जोर…
रांची : झारखण्ड के अधिकाँश गरीब मूलवासियों की जीवन रेखा कृषि व वनोत्पाद पर निर्भर रहा है. और देश भर में मीडिया व केन्द्रीय सता के द्वारा झारखण्डवासियों का जीवन खनिज-संपदा पर निर्भर बताया जाता रहा है. लेकिन राज्य का अंतिम सच यह है कि केन्द्र और पूर्व की सत्ताओं में राज्य के खनिज संपदा पर बाहरियों का दबदबा रहा, दोहन हुआ. और इसके अक्स में राज्य वासियों को केवल विस्थापन और पलायन ही हाथ लगा है. इसलिए, हेमन्त सत्ता में कृषि पर जोर दिया गया है.
हेमन्त सत्ता में राज्य में पहली बार कृषि को व्यवस्थित करने का ईमादार प्रयास हो रहा है. किसानों की ऋण माफ़ी, सुखाड़ की स्थिति में सरकारी आर्थिक मदद, किसान पाठशाला, कृषि यूनिवर्सिटी, किसान बीमा, कृषि औजार, पशुपालन, मतस्य पालन, वनोत्पाद, बाजार, खाद-बीज जैसे कृषि के सभी विभीषिकाओं को ना केवल प्राथमिकता मिली है. इसे व्यवस्थित करने को लेकर कारगर प्रयास हुए हैं और लगातार हो रहे हैं. नतीजतन, किसानी के क्षेत्र में कई सार्थक परिवर्तन देखने को मिले हैं.
मेक इन झारखण्ड (परचेज प्रेफरेंस) पॉलिसी- 2023 में भी कृषि को जगह
सीएम हेमन्त सोरेन का मानना है कि एमएसएमई सेक्टर झारखण्ड के सामाजिक-आर्थिक परिपेक्ष्य में मायने रखता है. क्योंकि राज्य में उद्योग विकास के लिए सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध हैं और बड़ी संख्या में रोजगार सृजन की क्षमता रखता है. इसलिए हेमन्त सरकार में छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए “मेक इन झारखण्ड” (परचेज प्रेफरेंस) पॉलिसी- 2023 तैयार की गयी है. सीएम के द्वारा 23 अगस्त 2023 इस पॉलिसी की समीक्षा की गयी है.
सीएम हेमन्त के द्वारा “मेक इन झारखण्ड” (परचेज प्रेफरेंस) पॉलिसी- 2023 में भी कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता मिली है. इस पॉलिसी के तहत एग्रो बेस्ड इंडस्ट्रीज को बढ़ावा देने पर सरकार का विशेष जोर है. समीक्षा के दौरान सीएम के द्वारा स्पष्ट कहा गया कि इस पॉलिसी में विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए कि राज्य के किसानों को लाभ मिले. ताकि किसानों के कृषि उत्पादों का सदुपयोग हो. और देश-दुनिया के साथ वह कदम-ताल कर आगे बढ़ सके.
बीमा कंपनियां अब किसानों के साथ नहीं कर सकेंगे धोखाधड़ी
पूर्व की बीजेपी सरकार में कृषि बीमा करने वाली कंपनियों के द्वारा मुआवजा देने में धोखाधड़ी की गयी थी. लेकिन हेमन्त सरकार में अब यह संभव नहीं रहा. कृषि मंत्री के द्वारा कहा गया कि सरकार अब नई शर्तों के साथ बीमा कंपनियां के साथ आगे बढ़ेगी. इस बार बीमा कंपनियों के साथ शर्त में कई जरुरी और प्रेक्टिकल बिंदुओं को जोड़ा गया है. साथ ही इस सन्दर्भ में केंद्र सरकार से भी चर्चा की गयी है. नतीजतन, बीमा कंपनियां राज्य के किसानों के साथ धोखाधड़ी नहीं कर सकेंगी.
राज्य में फिर सुखाड़ की स्थिति है. सिर्फ 4 जिलों में सामान्य बारिश हुई है और 19 जिलों में कम बारिश हुई है. चतरा जिला में बिल्कुल सूखा है. राज्य में कुल 47% आच्छादन हुआ है, जो औसत से 53 फ़ीसदी कम है यह एक चिंतनीय बात है. कृषि मंत्री ने कहा पहले राज्य में तीन और चार वर्षो के अंतराल में सुखाड़ आता था वहीं अब, पर्यावरण असंतुलन के अक्स में लगातार यह ऐसी स्थिति बन रही है. जो किसानों की चिंताएं बढ़ा दी है. सरकार किसान हित को देखते हुए फैसले ले रही है.