मुख्यमन्त्री श्रमिक योजना : झारखण्ड में अकुशल मज़दूरों को रोज़गार से जोड़ने की पहल

मुख्यमन्त्री श्रमिक योजना : योजना के तहत निबंधित मजदूरों को न्यूनतम 100 दिनों के रोजगार का है प्रावधान. 2,32,000 मानव दिवस हुए सृजत

  • योजना के तहत निबंधित मज़दूरों को न्यूनतम 100 दिनों के रोज़गार का है प्रावधान
  • कार्यस्थल पर मज़दूरों व उनके बच्चों को मिलती है जरूरी सुविधाऐं
  • काम नहीं मिलने पर मज़दूरों को मिलेगा बेरोजगारी भत्ता
  • 2,32,000 मानव दिवस हुए सृजत

रांची : झारखण्ड के शहरी क्षेत्रों में एक बड़ी संख्या अकुशल मजदूरों की है. कोविड महामारी के वजह से बेरोजगार हुए लोग भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं. इन मजदूरों को जीविकोपार्जन के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कोरोना काल में इनके लिए रोजगार की बड़ी समस्या खड़ी हुई है. इन मजदूरों को रोजगार से जोड़ने के लिए हेमन्त सरकार के शासन में मुख्यमन्त्री श्रमिक योजना चलाई गयी है. ताकि ऐसे मजदूरों को काम मिले और इनका घर चल सके.

योजना की शुरूआत साल 2020, कोविड काल में हुई. इसके तहत श्रमिकों को साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने का प्रावधान है. और मजदूरों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भुगतान किया जाता है. मजदूरी का भुगतान  कार्य समाप्ति के उपरान्त बैंक खातों के माध्यम से या एक सप्ताह के अंदर किया जाता है. हर हालत में मजदूरों को 15 दिनों के अंदर भुगतान किये जाने का स्पष्ट निर्देश है.  

मुख्यमन्त्री श्रमिक योजना के तहत कहां मिलेगा काम

ज्ञात हो, राज्य सरकार द्वारा शहरी विकास के लिए कई योजनाएं संचालित की जाती है. उदाहरण – भवन निर्माण, सड़क निर्माण, साफ-सफाई, स्वच्छता आदि से संबंधित योजनाएं. इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन में अकुशल मजदूरों की जरूरत होती है. शहरी क्षेत्रों में हरियाली के विस्तार के लिए, पार्कों की देखरेख, शहरी क्षेत्रों में लगे पेड़-पौधों की देखभाल के लिए भी कामगारों की जरूरत होती है. साथ ही विभिन्न संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों के रख-रखाव में भी इन मजदूरों को रोजगार दिया जाता है.

योजना से 2,32,000 मानव दिवस का हुआ सृजन

ज्ञात हो, मुख्यमन्त्री श्रमिक योजना के तहत झारखण्ड राज्य में  पिछले एक साल में 33,000 से अधिक आवेदन आए. इन आवेदनों के आलोक में राज्य सरकार द्वारा लगभग 26000 जॉब कॉर्ड निर्गत हुए. पूरे राज्य में इस योजना के द्वारा 2,32000 से ज्यादा मानव दिवस सृजित हुए है. और संकट के घड़ी में योजना ने मजदूरों को रोटी मुहैया हुई.

मुख्यमन्त्री श्रमिक योजना का उद्देश्य :

  • गरीब परिवारों के खाद्य सुरक्षा, पोषण के अवसर बढ़ाना और उनके जीवन में सुधार लाना है.
  • शहरी क्षेत्रों में साफ-सफाई, स्वच्छता और शुद्ध वातावरण का कायम करना है.
  • वातावरण में संतुलन के मद्देनजर शहरी क्षेत्रो में हरियाली का विस्तार करना है.
  • शहरी क्षेत्रों में संचालित विभिन्न योजनाओं के ससमय पूरा होने की गारंटी करना है.
  • विभिन्न संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों का बेहतर रख-रखाव सुनिश्चित करना है.

रोजगार गारंटी स्कीम और बेरोजगारी भत्ता

मुख्यमन्त्री श्रमिक योजना के तहत सरकार एजेंसी की सहायता से सभी नगर निकायों में वार्डवार, सभी योजनाओं में अकुशल श्रम के मानव दिवसों की उपलब्धता के आधार पर, सभी निबंधित मजदूरों को 100 दिनों का काम देने के लिए समेकित वार्षिक श्रम योजना तैयार करेगी.

इसमें प्रावधान है कि यदि किसी निबंधित कामगार, जिसने काम की मांग की हो, पंद्रह दिनों के अंदर रोजगार की मंजूरी नहीं मिलती है तो वह बेरोजगारी भत्ते का हकदार होगा. यह भत्ता पहले माह न्यूनतम मजदूरी का एक चौथाई, दूसरे माह न्यूनतम मजदूरी का आधा और तीसरे माह से न्यूनतम मजदूरी के समतुल्य होगा. जरूरी है कि मजदूर ने अपना निबंधन जरूर कराया हो.

इस योजना में अन्य ख़ास प्रावधान 

योजना के तहत मजदूरों को काम के स्थल पर पीने का पानी, प्राथमिक उपचार की पेटी और यदि कार्यरत मजदूरों के पांच साल से छोटे बच्चे हों, तो आवश्यक सुविधाओं के साथ एक महिला मजदूर को रखा जाना अनिवार्य बनाया गया है. इस तरह यह योजना न सिर्फ मजदूरों के रोजगार की बात करती है बल्कि उन्हें कार्यस्थल में जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराती है.

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