झारखण्ड : आदिवासी सीएम हेमन्त सोरेन के तरकश में कई जरुरी जनहित तीर, जबकि केंद्र के पास के बड़बोला निशिकांत दुबे और इडी ही शेष. सवाल -ऐसे में क्या एक आदिवासी को डिगाया जा सकेगा?
रांची : गुजरात लॉबी के नीतियों के अक्स में बीजेपी और आरएसएस का राजनीति भारत के जन मर्म तक पहुँचने वाले सारे रास्ते न केवल खुद ही बंद का सच लिए है, जन नेताओं के तमाम संभावनाओं को भी समाप्त करने पर आमादा है. जिसके अक्स में आदिवासी हो, ओबीसी आरक्षण मुद्दा हो, दलित मुद्दा, महिला आरक्षण मुद्दा हो यहाँ तक कि अल्पसंख्यक का ही मुद्दा क्यों ना हो. उसके तरकश में केवल निशिकांत दुबे जैसा ही बड़बोला नेता ही शेष बच गया है.
यह वैसा ही है जैसे देश के राज्यों में सरकार बनाना हो, सरकार गिराना हो, मोदी कार्यकाल के तरकश में मुद्दे नहीं बचे हैं. चुनाव के मद्देनज़र उसके पास केवल इडी की सक्रियता ही एक मात्र विकल्प अंतिम सच है. तमाम परिस्थितियों के बीच आरएसएस व बीजेपी ने जनता के बीच अपनी शाख गंवाने सच लिए है. झारखण्ड प्रदेश में आदिवासी जननेता को डिगाने के लिए उसके पास मुद्दों का अभाव स्पष्ट दिख चला है. जबकि सीएम हेमन्त के तरकश में जनहित तीरों की भरमार है.
सीएम हेमन्त के तरकश में जनहित तीरों की भरमार
ज्ञात हो, बतौर सीएम आदिवासी हेमन्त सोरेन का कार्यकाल न केवल झारखण्ड के विकास की आस को, मूल मानसिकता के अनुरूप नए सिरे से गढ़ने की का सच लिए हैं. देश भर के आदिवासी समुदाय के महान ऐतिहासिक पहचान के संरक्षण में मजबूत प्रहरी बन केंद्र के नीतियों के आड़े अडिग खड़े हैं. ऐसे में इडी जांच के विरुद्ध विधायक सरयू राय के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के आलोक में कोई अदना भी न केवल केन्द्रीय षड्यंत्रों को समझ सकता है. उसके कॉरपोरेट्स प्रेम को भी अनुभव कर सकता है.
और अबोध भी समझ सकता है कि वर्तमान में मोदी के चुनावी जीत के लिए हेमन्त सोरेन महत्वपूर्ण कड़ी हो चले हैं. लेकिन, सीएम हेमन्त आदिवासी और लोकतंत्र के रक्षा में अपनी विचारधारा से एक डग भी डिगने को तैयार नहीं. आमने-सामने के उतपन्न परिस्थितियों में बीजेपी के पास केवल इडी के आसरे व्यक्तिगत हमला ही मात्र विकल्प बचा है. जबकि हेमन्त ने पेश क़ानून के तरफ बढ़ाते हुए अभी आदिवासी धर्मकोड का लोकतांत्रिक तीर ही तरकश से निकाला है कि बीजेपी तिलमिला गई है.
अभी उनके तरकश में ऐसे जनहित तीरों की भरमार है. वहीं दूसरी तरफ सीएम हेमन्त ने ईडी समन को राजनीतिक प्रतिशोध बताते हुए निराधार करार दिया है. और परिवार को बदनाम करने का प्रयास बताते हुए बतौर भारतीय नागरिक इडी समन को कोर्ट के समक्ष चुनौती दी है. ऐसे में इडी के समक्ष यह चुनौती आन खड़ी हुई है कि वह कोर्ट के समक्ष अपने आरोपों को साबित कर सीएम हेमन्त सोरेन के दलीलों को गलत साबित करे. और जनता के बीच अपने विश्वास को और मजबूती दे.