मॉडल स्कूल में सभी वर्गों के गरीब बच्चे निजी स्कूल जैसा ही प्राप्त करेंगे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा. और शिक्षा का यह रास्ता झारखण्ड को भविष्य में बिना आरक्षण का सफ़र के तय किए विकसित करेगा.
- मॉडल स्कूल ले रहा आकार, समेकित शिक्षा का सपना होगा सकार.
- जिलास्तरीय मॉडल स्कूल जुलाई 2022 से लेने लगेंगे मूर्तरूप.
- आठ पुराने मॉडल स्कूलों के भी बहुरेंगे दिन.
रांची : इतिहास सिखाता है कि व्यवस्थायें सनातनी नहीं होती. शोषित समाज बौधिक बदलाव के दौर से गुजर कर ही विकसित होते है. और जब समाज में शिक्षा के स्तम्भ मजबूत होते हैं तो यह प्रक्रिया आसान प्रतीत होने लगता है. इंसान का सोच बदलता हैं, धारणाएं बदलती है और यही सकारात्मक उर्जा बदलाव की बयार लाती है, जिसे क्रांति कहा जाता है. ज्ञात हो, हमारे दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पिता सोबरन माझी की हत्या साहूकार-मनुवादी मानसिकता द्वारा कर दी गयी. गुरु जी ने बदले की भावना से इतर शिक्षा को माध्यम बनाया और समाज में चेतना विकसित करने पर जोर दिया. ताकि भविष्य में लूट-मानसिकता के अक्स में कोई शिबू अनाथ न हो.
शिक्षा का ही प्रभाव रहा कि समाजिक चेतना ने आगे चल पीड़ा के मद्देनज़र अन्याय के विरुद्ध झारखण्ड आन्दोलन का रूप लिया. और हम झारखण्ड की धरती पर सांस ले रहे हैं. शिक्षा ही वह घातक हथियार होता है जो पाखंडवाद का नाश कर समाज को मानवतावादी व संवेदनशील बनाता है. शायद मौजूदा दौर में झारखण्ड यह सत्य समझ चूका है. मसलन, झारखण्ड की मौजूदा हेमन्त सत्ता प्रदेश को पूर्व की सत्ताओं के मकडजाल से निकाल, विकास की राह पर ले जाने हेतु, महापुरुषों की भांति शिक्षा का दामन थामा है. इस स्वागत योग्य कदम से झारखण्ड शिक्षित होगा और आपसी मतभेदों को भूल कर प्रदेश और भावी पीढ़ी के भविष्य को लेकर चिंतित होगा.
हेमन्त सरकार पहले दौर में हर जिले में 3 मॉडल स्कूल शुरू करने की दिशा में तेजी से बढ़ी
ज्ञात हो, झारखण्ड को शिक्षित बनाने के कैनवास में, मौजूदा हेमन्त सरकार कोई भी महत्वपूर्ण कदम उठाने से नहीं चुक रही. राज्य में पारा शिक्षक समेत तमाम अनुबंध शिक्षा कर्मियों व अन्य कर्मचारियों की समस्याओं का स्थाई हल निकाला गया है. हेमन्त सरकार हर वह बौधिक रास्ता अपना रही है जिससे झारखण्ड का हर वर्ग, हर एक इंसान झारखण्ड को शिक्षित बनाने के मुहिम में जुट जाए. इसी कड़ी में, झारखण्ड के लिए खुशखबरी हो सकती है कि 24 जिले में मॉडल मॉडल विद्यालय का निर्माण दिसंबर 2022 तक पूर्ण हो जायेगा. पहले दौर में सरकार हर जिले में 3 मॉडल स्कूल शुरू करने की दिशा में तेजी से बढ़ चली है.
इन मॉडल स्कूल स्कूलों में जिला स्कूल, कन्या उच्च विद्यालय व कस्तूरबा विद्यालय शामिल हैं. इन मॉडल स्कूलों में राज्य के तमाम वर्गों के बच्चे निजी स्कूल की तरह पठन-पाठन कर सकेंगे. इनमे निजी स्कूल की तरह संसाधन-संसाधन उपलब्ध होगी. इसके बाद सरकार प्रखंड स्तर पर बनने वाले 325 मॉडल स्कूल का निर्माण कार्य शुरू करेगी, जिसमे शिक्षा के विभिन्न मानकों तथा उत्कृष्ट आधारभूत संरचना उपलब्ध होगी. हेमन्त सरकार के इस कदम के मद्देनजर सभी गरीब परिवार के बच्चों को समेकित शिक्षा का अवसर मिल सकेगा.
ज्ञात हो, शिक्षा का यह रास्ता केवल झारखण्ड को ही नहीं देश को भी भविष्य में बिना आरक्षण का सफ़र तय किए विकसित कर सकता है. झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के मॉडल स्कूल विजन के अक्स में, एक बार नामांकन लेने के बाद बच्चे माध्यमिक स्तर तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे. और उच्च शिक्षा की ओर बढ़ने को पूरी तरह से तैयार होगे.
जुलाई-अक्टूबर तक क्रमिक रूप से पूर्ण होगा मॉडल विद्यालय निर्माण कार्य
हेमन्त सरकार में, 13 जिले में कम से कम दो मॉडल स्कूलों के निर्माण कार्य पूर्ण कराने की दिशा में तेजी से कार्य हो रहे हैं.
जुलाई 2022 तक निर्माण होने वाले मॉडल विद्यालयों में शामिल आकांक्षी जिला – आदर्श हाई स्कूल खूंटी, के.जी.वी.के. गुमला, एस.एस. गर्ल्स स्कूल सिमडेगा, राज्यकीय कस्तूरबा गर्ल्स स्कूल लोहरदगा, गर्ल्स हाई स्कूल जामताड़ा, मॉडल स्कूल दुमका, के.जी.वी.के. दुमका, प्लस टू गर्ल्स हाई स्कूल दुमका, मॉडल स्कूल लातेहार, जिला स्कूल चाईबासा, मॉडल स्कूल टाटानगर, स्कॉट हाई स्कूल चाईबासा, के.जी.वी.के. गर्ल्स स्कूल सरायकेला.
वहीं अगस्त 2022 निर्माण होने वाले मॉडल विद्यालयों में शामिल आकांक्षी विभिन्न जिलों में 22 स्कूल, सितम्बर 2022 में 26 स्कूल, अक्टूबर में 14 स्कूल एवं नवंबर में 3 स्कूलों का निर्माण पूर्ण कर लिया जायेगा. यह तमाम मॉडल स्कूल स्मार्ट क्लास, डिजिटल लईब्रेरी, स्टेम लैब समेत पठन-पाठन के अत्याधुनिक संसाधन व साधनों से सम्पन्न होंगे.