भ्रष्टाचार पर हेमन्त सरकार का प्रहार लगातार जारी – झारखंड में भाजपा जनप्रतिनिधि समेत कई अधिकारियों के काले कारनामों पर जांच की आंच

भ्रष्टाचार पर हेमन्त सरकार का प्रहार- हॉर्स ट्रेडिंग मामले में पूर्व भाजपा सीएम की संलिप्तता का खुलासा. सीएनटी एक्ट के उल्लंघन मामले में डीजीपी पांडेय समेत सीओ लेवल के करप्ट अधिकारियों पर कार्रवाई के मिले निर्देश.

रांची: पूर्व की भाजपा सरकार में झारखंड में भ्रष्टाचार की जड़ों की गहरी ज़मीनी पैंठ और हकीकत, लगातार हो रहे घोटाले की खुलासों से समझा जा सकता है. भ्रष्टाचार के काले खेल में भाजपा के बड़े जनप्रतिनिधि, महत्वपूर्ण संस्थानिक अधिकारी समेत निचली स्तर की अधिकारियों की संलिप्तता का खुलासा हुआ है. भाजपा की स्वघोषित डबल इंजन सरकार में भ्रष्टाचार की सीमा उस शिखर को पार कर चुकी थी, जिसका अंतिम निष्कर्ष केवल जांच व दोषियों पर कार्रवाई ही एकमात्र विकल्प हो सकता है. 

ज्ञात हो, सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन भ्रष्टाचार को लेकर सख्त व मुखर रहे हैं. भ्रष्टाचार पर हेमन्त सरकार लगातार प्रहार जारी रखते हुए, तीन अहम मामलों में जांच व कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. जिसमे दो मामले सीधे तौर पर भाजपा के बड़े नेताओं व अधिकारियों से जुड़ा है. निस्संदेह जांच के उपरांत घोटाले की परतों का पूरा सच सामने आ सकेगा. 

पीसी एक्ट के तहत मामले को चलाने की मिली मंजूरी

ज्ञात हो, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने साहसिक कदम उठाते हुए, भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास व उनके सलाहकार रहे अजय कुमार समेत एडीजी अनुराग गुप्ता के खिलाफ, पीसी एक्ट (प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट) के तहत मामले को चलाने की मंजूरी दी गयी है. ज्ञात हो, वर्ष 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा द्वारा भाजपा सरकार में हुए हॉर्स ट्रेडिंग मामले में यह निर्देश दिए गए हैं. मामले में अनुराग गुप्ता और अजय कुमार प्राथमिक अभियुक्त है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास अप्राथमिक अभियुक्त है. इसी मामले में हाईकोर्ट में भी याचिका दायर है. जिससे रघुवर दास और एडीजी अनुराग गुप्ता की मुश्किलें बढ़ गयी है.  

भाजपा नेता की पत्नी व पूर्व डीजीपी पाण्डेय की जमीन की जमाबंदी रद्द करने का निर्देश 

पूर्व डीजीपी डी.के पाण्डेय व भाजपा नेता की पत्नी, पूनम पाण्डेय के नाम से हुई जमीन की जमाबंदी को रद्द करने के आदेश दे दिए गए हैं. जो सीएनटी एक्ट के तहत कांके क्षेत्र में आने वाला चर्चित मामला है. सरकार बनने के बाद ही मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा सम्बंधित जमीन की जांच के आदेश दिए गए थे. राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार विभाग ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी दी है. जिसके उपरांत मुख्यमंत्री द्वारा यह फैसला लिया गया है. 

जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा – पूर्व डीजीपी डी.के पाण्डेय की पत्नी के नाम से हुई जमाबंदी ज़मीन रैयती नहीं, बल्कि गैरमजरूआ

पूर्व डीजीपी डी.के पाण्डेय ज़मीन मामला – जमीन खरीद में हुई गड़बड़ी की शिकायत वर्ष 2018-19 में सामने आई थी. जमीन की जांच रिपोर्ट से पता चलाता है कि चामा मौजा में, पूर्व डीजीपी डीके पाण्डेय की पत्नी पूनम पाण्डेय समेत अन्य 15 लोगों द्वारा प्रतिबंधित गैरमजरूआ जमीन की रजिस्ट्री, नियमों को ताक पर रखते हुए कराई गई थी. 

बता दें कि यह जमीन रांची के कांके अंचल, मौजा चामा, थाना संख्या 55, खाता संख्या 87 के प्लॉट संख्या 1232 में मौजूद है. जमाबंदी रद्द करने के आदेश के अलावा सीएम ने जमाबंदी कायम करने के मामले में सम्बंधित दोषी पदाधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के भी आदेश दिए हैं. हालांकि, मामला कोर्ट में होने के कारण अभी रूका हुआ है. 

दो सीओ पर लगा है सरकारी भूमि का अवैध नामांतरण करने का आरोप – जांच शुरू

25 मार्च 2021, सीएम हेमन्त सोरेन ने दो सीओ रैंक के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. दोनों अधिकारियों पर विभिन्न रैयतों को विभिन्न तिथियों में, सरकारी भूमि का अवैध नामांतरण करने का आरोप है. दोनों ही अधिकारी गिरिडीह में कार्यरत हैं. इनमें शशिभूषण वर्मा सरिया के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी-सह-प्रभारी अंचल अधिकारी का नाम शीर्ष पर है. दोनों को निलंबित करते हुए विभागीय कार्यवाही शुरू करने के प्रस्ताव को सीएम द्वारा मंजूरी दे दी गयी है.

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