हॉर्स ट्रेडिंग मामले में दीपक प्रकाश का बयान चोरी और सीनाजोरी सरीखी

दीपक प्रकाश का बयान हॉर्स ट्रेडिंग मामले में चोरी और सीनाजोरी सरीखी. तो रघुवर दास का बयान पक्ष कम और धमकी अधिक. और शिकायतकर्ता जेवीएम सुपीमों बाबूलाल से भाजपा के बाबूलाल भागते दीखते हैं.

रांची : सदियों से चली आ रही कहावत है – इस जन्म के पापों का दंड इसी जन्म में भुगतना पड़ता है. मौजूदा दौर में यह कहावत झारखंड भाजपा के पिछले मुख्यमंत्री, रघुवर दास पर सटीक बैठती प्रतीत होती है. ज्ञात हो, 2016 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा के बोतल से हॉर्स ट्रेडिंग का जिन्न झारखंड में भी निकला था. लेकिन, झारखंड भाजपा जांच की चुनौती स्वीकार करने के बजाय, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दलील देती फिर रही है कि हॉर्स ट्रेडिंग के मामले में पीसी एक्ट (प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट) की धारायें नहीं लगाई जा सकती है.

ज्ञात हो,  भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी है कि उनके नजर में यह क्राइम नहीं है! उनका मानना है कि निर्मला देवी अगर भाजपा को वोट देती, तभी क्राइम माना जा सकता था. और मामले में पीसी एक्ट लग सकती है. लेकिन, दीपक प्रकाश ने अपने वक्तव्य से कम से कम यह तो जाहिर कर ही दिया है कि भाजपा केवल क्राइम करने की कोशिश की थी. और जब वह क्राइम करने में सफल ही नहीं हुए. तो कैसे वह खुद को अपराधी माने? 

झारखंड में खुलासा हुआ है कि 2016 के राज्यसभा चुनाव में, भाजपा की ओर से अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के लिए रिश्वत की पेशकश की गई थी. इस मामले में सीआईडी के तत्कालीन एडीजी अनुराग गुप्ता और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के सलाहकार अजय कुमार को प्राथमिक अभियुक्त हैं. मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को चाहिए कि न्यायालय को ही तय करने दें कि क्या धाराएं लगेगी.

हॉर्स ट्रेडिंग मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास प्राथमिक अभियुक्त हैं  

भाजपा अपनी मानसिकता के अनुरूप मामले को गुनाह न मानते हुए, क्राइम को विद्वेष राजनीति के रंग में रंगने का प्रयास कर रही है. एक तरफ भाजपा कहती है कि उसे न्यायालय और कानून पर भरोसा है. तो दूसरी तरफ वह जांच से घबराती भी दिखती है. प्रकरण में दिलचस्प पहलू यह है कि मामले का शिकायतकर्ता खुद झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी है. लेकिन, भाजपा के बाबूलाल मामले में कुछ भी कहने से कतराते दिख रहे हैं. पत्र वीर का प्रेस वार्ता में उपस्थित न होना, उनके यूटर्न  को साफ़ दर्शाता है. मसलन, बाबूलाल जी का स्थिति न घर के न घाट के जैसी हो चली है.

हालांकि, लोकतांत्रिक भारत के राजनीति में हॉर्स ट्रेडिंग को ट्रेंड करने का श्रेय भाजपा को ही जाता है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उन्होंने खरीद-फरोख्त को देश की राजनीति में कारोबार बना दिया. इस मामले में आरोपी, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का बयान, उनका पक्ष कम और धमकी ज्यादा प्रतीत होता है. उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा है कि वे किसी से नहीं डरते. बजाप्ता उन्होंने यहां तक कहा, “2024 में सबका हिसाब किया जाएगा. उन अधिकारियों का भी जो इस मामले की जांच में शामिल हैं. क्या ऐसे बयान को धमकी नहीं माना जाना चाहिए? 

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