जनआकांक्षाओं को देख हेमंत सरकार ने बदला अपना फैसला, बीजेपी ने धर्म की राजनीति कर फिर पेश किया अपना चारित्रिक प्रमाण

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का जब नहीं पूरा हुआ मंसूबा, तो जनआकांक्षाओं के मातहत लिए गए सरकारी निर्णय को दिया सांप्रदायिक रूप, ताकि जनसमर्थन वाली हेमंत सरकार को किया जा सके अस्थिर

उपचुनाव में मिली हार के बाद अब प्रदेश भाजपा के पास नहीं बचा हैं कोई मुद्दा 

रांची। कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए केंद्र के दिये निर्देशों के तहत ही सत्तारूढ़ हेमंत सरकार ने छठ महापर्व में कुछ पाबंदी लगायी थी। लेकिन आस्था के इस महापर्व में अपने अराध्य की उपासना में राज्य की जनता की परेशानी देख मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने विधायकों से सलाह-मशवरे के बाद, मंगलवार देर शाम विभागीय मंत्री बन्ना गुप्ता समेत अन्य आला अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की। विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया कि जनभावनाओं के इच्छा के अनुरूप ही उन्हें सत्ता मिली है। ऐसे में जनभावना का सम्मान करते हुए छठ पूजा हेतु घाटों में न जाने की पाबंदी में कुछ छुट दिया जाए। लेकिन प्रदेश की बीजेपी नेताओं द्वारा सरकार के जनआकांक्षाओं के मातहत लिए गए इस निर्णय को धार्मिक रूप-रंग देना, निश्चित रूप से निंदनीय है और जनता को दुखी भी कर रहा है। बीजेपी नेताओं ने सरकार के इस लोकहित कदम को हिंदु धर्म पर चोट करने जैसे शर्मनाक बयान दे, निश्चित रूप से धर्म की राजनीति करने वाली बीजेपी ने एकबार फिर आस्था को लेकर अपना चारित्रिक प्रमाण का परिचय दिय़ा है।

केंद्र के दिशा-निर्देशों के तहत लिया फैसला, भाजपा ने दिया धार्मिक रूप

कोरोना संक्रमण को देखते हुए हेमंत सरकार ने छठ महापर्व में जो भी पाबंदी लगायी थी, दरअसल वह फैसला केंद्र के दिशा-निर्देशों के तहत ही लिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज तक देशवासियों से कहते रहे है कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं। लेकिन उनके ही पार्टी के नेता आज पीएम के निर्देशों पर गंदी राजनीति करने करने पर उतारू हैं। उनका ऐसा करना केवल हेमंत सरकार में सांप्रदायिकता फैलाने के असफल प्रयास भर हो सकता है। जिस तरह से पिछले दो दिनों से भाजपा नेताओं ने सांप्रदायिकता की राजनीति की सारी सीमा पार की है निश्चित रूप से ऐसा कहा जा सकता है। 

दरअसल पिछले दिनों उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा नेताओं के पास आज सुर्खियों में रहने के लिए अन्य कोई मुद्दा नहीं बचा है। विकास की बात तो वे कभी कर भी नहीं सकते, क्योंकि झारखंड जैसे गरीब राज्य को और पीछे ढकलने में भाजपा की ही सबसे अहम भूमिका रही है। उपचुनाव में पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने तो जनसमर्थन वाली हेमंत सरकार को गिराने तक का संकेत दे दिया था। लेकिन अब जब इसमें उनकी पार्टी को असफलता हाथ लगी, तो सरकारी निर्णय को सांप्रदायिक रूप देकर सरकार को अस्थिर करने की एक नाकाम कोशिश कर रहे हैं। 

जनआकांक्षाओं के अनुरूप हेमंत सरकार ने बदला फैसला, सहयोग की अपील

जनआकंक्षाओं के मांगो के देखते हुए हेमंत सरकार ने तो अपने पूर्व के फैसले में आंशिक संशोधन तो तो दी। लेकिन साथ ही मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील भी की, कि अगर वे नदियों, तालाबों, डैमों,  झील व अन्य जलशयों में छठ पर्व मनाते है, तो वे सामाजिक दूरी व अन्य जरुरी दिशा निर्देशों का पालन भी तत्परता से करें। क्योंकि, न कोरोना का खतरा अभी खत्म हुआ है और ना ही इसकी अभी तक इस महामारी की कोई कारगर दवा ही सामने आई है। इसलिए राज्य के लोग सावधानी बरते हुए सरकार को सहयोग करें। वैसे भी छठ महापर्व के दौरान साफ़-सफाई का विशेष ध्यान जनता सायं ही रखती है, केवल जरुरत है तो जागरूकता की। हो सके तो वे यथासंभव अपने घरों पर छठ महापर्व मनाएं ताकि महामारी को फैलने माध्यम न मिल सके।

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