human rights-राइट टू सर्विस एक्ट को लेकर हेमंत सोरन सख़्त

राइट टू सर्विस एक्ट अब बाध्य करेगा बाबुओं को (human rights)

कहते हैं जहाँ चाह हो वहां राह खुद ब खुद निकल आती है, जरुरत केवल नियत व इच्छाशक्ति की होती है। भारत में लोक सेवा अधिकार कानून (राइट टू सर्विस एक्ट), वह कानून हैं जो नागरिकों को एक निर्धारित अवधि के अंदर लोक सेवाएँ प्रदान कराने की गारंटी देता है। इस क़ानून में यह प्रावधान है कि यदि लोकसेवक (जनता के सेवक) निर्धारित समय सीमा पर लोक सेवा नहीं कर पाने को लेकर दोषी पाए जाने पर, उसे दण्डित किया किया जा सकता है।

झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का “राइट टू सर्विस एक्ट” का लाभ आम जनता को मुहैया हो इसको लेकर सभी जिलों के उपायुक्तों से रिपोर्ट तलब करना, उनकी संजीदगी को दर्शाता है। उनका कहना कि डीसी, बीडीओ, सीओ के अलावा विभिन्न विभागों के अधीनस्थ अफसरों से राइट टू सर्विस एक्ट के तहत आने वाली 133 प्रकार की सेवाओं के संबंध में रिपोर्ट लें। साथ ही वे जांच जरिये खुद यह सुनिश्चित करें कि आम लोगों को राइट टू सर्विस एक्ट का लाभ मिले।

मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिया -human rights

जमीन संबंधी मामले को लेकर कई विवाद सामने आते हैं। इसे लेकर मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिया कि सर्किल इंस्पेक्टर और अंचलाधिकारी कर्मचारी की रिपोर्ट को ही आधार मानकर जमीन के मामले में खुद को केवल हस्ताक्षर करने तक ही सीमित न रखें, बल्कि वह स्वयं यह सुनिश्चित भी करें कि उनके द्वारा हस्ताक्षर किये जाने वाली रिपोर्ट सत्य हो। ज्ञात हो कि धनबाद-राँची नगर निगम, राँची रजिस्ट्री कार्यालय और डोरंडा थाना में छापेमारी  के उपरान्त यह तथ्य सामने आया है कि आम लोगों को छोटी-छोटी चीजों को लेकर काफी परेशानी उठानी पड़ती है।

मसलन, अब झारखण्ड में नागरिकों (human rights) को बिजली, पानी के कनेक्शन, बच्चों का एडमिशन, जन्म, मृत्यु, निवास व विवाह प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। महज एक एफ.आई.आर. की कॉपी के लिए विनय नहीं करना होगा। राशन कार्ड से लेकर हैण्डपंप की मरम्मत तक में देरी नहीं होगी। समय से सभी काम निपटा सकेंगे। यदि काम समय से नहीं होंगे तो उन कामों को करने में देर करने वाला दंडित होगा साथ ही पीड़ित को क्षतिपूर्ति मिल सकती है।

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