हेमन्त शासन में एसटी-एससी को मिलेगा प्रमोशन, टीएसी गठन से जनजाति विकास को मिलेगी रफ्तार

हेमन्त सरकार में झारखंड में जनजाति विकास और उसकी आस्था से सम्बंधित लगातार लिए जा रहे हैं ठोस संवेदनशील फैसले – एसटी-एससी प्रमोशन व टीएसी गठन प्रमुख

रांची. हेमन्त सरकार में राज्य के जनजाति विकास को लेकर हर संभव ठोस कदम उठाये जा रहे हैं. बीते दो दिन में मुख्यमंत्री द्वारा जनजातियों के विकास के मद्देनजर ठोस निर्णय लिए गए हैं, बड़े पहल हुए है. जिससे राज्य के जनजातिय समुदाय का बेहतर विकास का रास्ता साफ़ हुआ है. 

मुख्य पहल –

  • जनजाति समाज के सरकारी कर्मियों के विभागीय प्रोन्नति से जुड़ा फैसला है,
  • जनजातिय बाहुल्य क्षेत्रों के विकास हेतु जनजाति सलाहकार परिषद -TAC का गठन हुआ है. 
  • जनजाति समाज के धार्मिक स्थलों को विकसित करने का काम राज्य में शुरू हुआ है. 

जल्द खत्म होंगे कर्मियों की लंबित प्रोन्नति में रूकावटे – हेमन्त सरकार की बड़ी पहल 

गत सोमवार को सत्ता पक्ष के छह विधायकों ने सीएम हेमन्त सोरेन से मुलाकात कर जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) समाज के प्रोन्नति से सम्बंधित मामला उठाया. विधायकों ने सीएम से विधानसभा की विशेष समिति की अनुशंसा को लागू करने की मांग की. साथ ही एसटी-एससी कर्मियों के प्रोन्नति पर लगायी रोक से उत्पन्न इन कर्मियों की परेशानियों से भी सीएम को अवगत कराया. मुख्यमंत्री ने विधायकों को आश्वासन देते हुए कहा कि अगल 15 दिनों के अंदर इस सम्बन्ध में सरकार बड़ा फैसला लेगी. सीएम ने माना कि प्रोन्नति स्थगित होने से एससी-एसटी कर्मियों को आर्थिक लाभ से वंचित होना पड़ रहा है. 

हेमन्त सरकार ने गठित किया टीएसी – TAC 

जनजाति क्षेत्र के विकास में मुख्य भूमिका निभाने वाले TAC का गठन मुख्यमंत्री द्वारा कर दिया गया है. राज्यपाल के विरोधों के बीच, हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में जनजाति सलाहकार परिषद का गठन कर दिया गया है. एसटी-एससी कल्याण विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है. विभागीय मंत्री चंपई सोरेन उपाध्यक्ष होंगे, तो 15 अन्य विधायकों को TAC का सदस्य बनाया गया है. जिसमें भाजपा के भी तीन सदस्य शामिल हैं. 

सत्ता पक्ष से स्टीफन मरांडी, बंधु तिर्की, सीता सोरेन, दीपक बिरुवा, चमरा लिंडा, भूषण तिर्की, सुखराम उरांव, दशरथ गगरई, विकास कुमार मुंडा, नमन विक्सल कोंगाड़ी, राजेश कश्यप और सोनाराम सिंह है. तो वहीं भाजपा से नीलकंठ सिंह मुंडा, बाबूलाल मरांडी, कोचे मुंडा को शामिल किया गया है. मनोनित सदस्यों में विश्वनाथ सिंह सरदार और जबल मुंडा को टीएसी का सदस्य बनाया गया है.

जनजातीय सलाहकार परिषद व उसकी भूमिका

बता दें कि भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुसार, प्रत्येक राज्य में, जहां अनुसूचित क्षेत्र हैं, एक TAC का गठन होगा. यदि राष्ट्रपति निर्देश देते हैं, तो ऐसे राज्य में भी TAC गठन हो सकता है, जहां अनुसूचित जनजातियां हैं, लेकिन वह गैर-अनुसूचित क्षेत्र है. TAC की भूमिका है कि राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित मामलों पर सलाह देना. जिसे राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है.

सरना समाज के धार्मिक स्थल पर्यटन के रूप में होंगे विकसित

ज्ञात हो, पहले भी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा सरना संस्कृति को बचाने की पहल हुई है. जहाँ विधानसभा से सरना कोड को पास कर केंद्र सरकार को भेजा गया है. अब सीएम के निर्देश पर जनजातियों के धार्मिक स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकेगा. जिसके अक्स में मुख्यमंत्री की पहल पर गुमला के डुमरी प्रखंड में स्थित सरना धार्मिक स्थल, सिरा सीता नाला के विकास के लिए, 4.21 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है. मुख्यमंत्री जल्द इस स्थल का ऑनलाइन शिलान्यास कर सकते हैं. सिरा सीता सरना आदिवासियों के लिए आस्था का केन्द्र है. लंबे समय से श्रद्धालु ऐसे स्थलों की पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग करते रहे हैं.

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