पैसा ख़ुदा नहीं, लेकिन ख़ुदा की कसम ख़ुदा से कम भी नहीं

“पैसा ख़ुदा नहीं, लेकिन ख़ुदा की कसम ख़ुदा से कम भी नहीं” इस कहावत को आज झारखंड में चरितार्थ कर दिखाया दलबदलू नेताओं ने। साथ ही यह मुहावरा राज्य की फासीवादी राजनीति में फैले भ्रष्टाचार की गहराई और दलबदलू नेताओं की चरम बेहयाई का मुहावरा बन गया है कल अखबार में पहले पेज खबर होगी कि कई नेता अपनी पार्टी बदल भाजपा में शामिल हुए अब अहम सवाल यह है कि क्या ऐसे दलबदलू नेता आम जनता व देश के लिए अच्छे साबित हो सकते हैं? जो नेता आज मुसीबत के वक्त अपनी पार्टी को छोड़ कर दूसरी पार्टी में शामिल हो रहे हैं,  कल अगर आम जनता व देश की परिस्थिति ठीक नहीं होगी तो ये नेता देश छोड़ कर भागने में भी देरी नहीं लगायेंगे लोकतंत्र के लिए ऐसे नेता खतरनाक हो सकते हैं, जागरूक जनता को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।  

इस प्रकार के नेताओं पर न ही जनता को और न ही किसी राजनीतिक पार्टी को विश्वास करना चाहिए। विधानसभा के पिछले सुत्रों तक कुनाल षाडंगी और जय प्रकाश भाई पटेल भाजपा व रघुवर सरकार पर जिस प्रकार हमला बोल रहे थे, वह शब्द आज भी झारखंडी जनता के कानों में गूँज रहे होंगे। अगर भाजपा आज देशभर में मजबूत स्थिति में न होती तो झारखंड मुक्ति मोर्चा ही उनके लिए अच्छी पार्टी होती और भाजपा उनके लिए सांप्रदायिक पार्टी भर होती। निश्चित रूप से इन नेताओं को अगर भाजपा से ज्यादा लाभ कहीं और दिखा तो, वे वहां भी जाने में देर नहीं लगायेंगे। 

बहरहाल, 5 वर्षों तक जनता को भाजपा खराब है, जनता की भूल कमल का फूल बताने वाले कुनाल षाडंगी जैसों के लिए अचानक भाजपा अच्छी हो गयी हो, तो यह समझा जा सकता है पैसा व लालच इन दलबदलू नेताओं पर किस कदर हावी है। क्या ऐसे दलबदलू नेता जनता की भलाई कभी सोच सकते हैं, जो अपने स्वार्थ के लिए पल भर में दल बदल लेते हों। 

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