आखिर क्या वजह है कि मुख्यमंत्री को “चु**या” जैसे अपशब्द का सहारा लेना पड़ता है

मुख्यमंत्री ने फिर किया अपने भाषण में अपशब्द का प्रयोग

हिन्दू गौतम कुमार : सावधान इस झूठी सरकार से ये हम झरखंडियो से रोजगार छिनती है हम पर डंडे चलवाती है, हमारी नौकरियां बाहरी राज्य के लोगों को देती है, राज्य में 6447 स्कूल को बंद करवाने का काम करती है। राज्य में बिजली व्यवस्था को बदत्तर बनाई है। राज्य के लोगो की जिंदगी नरक बनाई है इस पाखंडी ओर झूठे सरकार से सावधान। इसे हटाओ झारखंड बचावो।

रूपक चौधरी : इस विज्ञापन का सच्चाई ये है कि मैं खुद 2015 1st बैच का #स्किल्डपास हूँ। 2018 खत्म होने को हैं, बेरोजगार भटक रहा हूँ एक सरकारी सर्टिफिकेट गले मे लटकाकर  पैसे भी डूब गया , एक चपरासी की जॉब भी नहीं मिला  सरकार पूछता भी नही।

यह तारीफ़ के पुल झारखंड के मुख्यमंत्री राघुबर दास के फेसबुक पेज के पोस्टों में झारखंडी आवाम द्वारा बांधे गए हैं। उसी के कुछ अंश प्रस्तुत हैं …

जैसे-जैसे रघुबर दास के साथ अन्य भाजपाईयों की अलोकप्रियता बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे इनके बोल में कड़वापन एवं अपशब्दों का भरमार होता जा रहा है। सोशल मीडिया इसका सुलभ उदाहरण है। बेशक़ सीएनटी/एसपीटी अधिनियम में संशोधन के प्रयास, भूमि अधिग्रहण संशोधन, स्थानीयता की नीतियों में गड़बड़ी कर 75 फीसदी बाहरियों को नौकरी देने, बच्चों से स्कूल छीनने जैसे तमाम जनविरोधी क़दमों के कारण भाजपा सरकार का सामाजिक आधार लगातार घटा है।

झारखंड की जनता ने इनके खुली डकैती एवं जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाकर भाजपा एवं इनके अनुषंगी दलों को घबराने पर मजबूर कर दिया है। चुनाव भी सिर पर है और इनके सारे जुमले बेअसर साबित हो रहे हैं। और इन्हें कोई भी अन्य शेष मार्ग नहीं दिखने के स्थिति में खीजवश, खुद को सही साबित करने के लिए अपशब्द या फिर गालियों का सहारा लेने को मजबूर हो गए हैं। ऐसा ही कुछ जामा के सुसनियाँ पंचायत में मुख्यमंत्री जी अपने सभ्य भाषण में “ चु**या ” जैसे अपशब्द प्रयोग कर दिया है। वो कहते हैं न आपातकाले विपरीत बुद्धि…!

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