सिकिदिरी परियोजना घोटाला में क्यों चुप थी रघुवर सरकार – कहीं इसके तार केंद्र तक तो नहीं जाते 

झारखण्ड : सिकिदिरी परियोजना घोटाला में दोषियों को बचाने के प्रयास 2015, योग्य रघुवर शासन में हुई थी. ऐसे में गंभीर सवाल है की क्या यह चुप्पी का अर्थ केवल रघुवर सरकार में भ्रष्टाचार की संस्कृति को संरक्षण देन था या इसके तार केंद्र तक जा जुड़ते थे? 

रांची : सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना घोटाला में दोषियों को बचाने की क़वायद 2015, भाजपा डबल इंजन के रघुवर शासन में हुई थी. झारखण्ड में मौजूदा हेमन्त सत्ता में सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना घोटाला में दोषियों पर मुक़दमा चलाने की अनुमति देने के कारण दोषियों को संरक्षण देने वाली सत्ता, आइडियोलॉजी एक बार फिर बेनक़ाब हुए हैं. ज्ञात हो, भेल द्वारा अपने दोषी अधिकारियों को पहले ही दंडित किया गया था, पर झारखण्ड की तत्कालीन भाजपा सरकार का मामले में मौन हो जाना कई गंभीर सवालों को जन्म देती थी.

ज्ञात हो, ठोस सबूत के आधार पर वर्ष 2011-12 में सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना में हुए भ्रष्टाचार का मामला पूर्व भाजपा मंत्री व वर्मान निर्दलीय विधायक सरयू राय द्वारा उठाया गया था. सीबीआई द्वारा मामले की जाँच हुई थी, पूर्व मंत्री सरयू राय के आरोप सही पाए गए थे. लेकिन, तत्कालीन रघुवर सरकार में दोषियों के विरूद्ध मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दिया जाना कई गंभीर सवालों जन्म दे रहित थी. राजनितिक गलियारों में तत्कालीन भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. लेकिन मौजूदा दौर में हेमन्त सरकार द्वारा  मामले में मुक़दमा चलाने की अनुमति दिया जाना राज्य को राहत देने वाली खबर है.

भाजपा काल में हुई सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना घोटाला के विरूद्ध हेमन्त सरकार में मिली मुक़दमा की अनुमति 

2012 के सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना घोटाला की सीबीआई जाँच में दोषी बिजली बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष एवं अन्य के विरूद्ध मुक़दमा की अनुमति दिए जाने पर पूर्व मंत्री सह निर्दलीय विधायक सरयू राय द्वारा ट्वीट कर मुख्यमंत्री को धन्यवाद ज्ञापन किया गया है. साथ ही “मेनहर्ट, टॉफ़ी, टी शर्ट, सुनिधि चौहान घोटाला के दोषियों पर रुके एफआईआर गति देने की गुजारिश की गई है.

मसलन, भाजपा डबल इंजन के योग्य रघुवर सरकार में घोटालों की फेहरिस्त रही है. शायद विद्युत उपक्रमों के पदाधिकारियों की मिलीभगत के तार केन्द्र तक जाते है. ऐसे में झारखण्ड में केन्द्रीय संस्थानों द्वारा कार्रवाई किये जाने की कवायद सुनियोजित प्रतीत होता है. और ऐसे हथकंडों के मध्यम से मौजूदा मुख्यमंत्री पर हमले कर, उन्हें भयभीत व छवि धूमिल करने का प्रयास भर है. ताकि भाजपा के योग्य नेताओं की घोटालों के सच्चाई जनता के बीच प्रस्तुत न हो पाए. 

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