नर्स व चिकित्सा कर्मियों पर हेमंत सरकार का विशेष ध्यान, झारखंड इन्हीं के बूते जीत रहा है कोरोना से जंग

नर्स, डॉक्टर व चिकित्सा कर्मियों पर हेमंत सरकार का विशेष ध्यान, मुख्यमंत्री का मानना है कि झारखंड इन्हीं के बूते जीत रहा है कोरोना से जंग

रांची: फ्लोरेंस नाइटिंगेल की स्मृति में 12 मई नर्सिंग डे के तौर पर मनाया जाता है. फ्लोरेंस नाइटिंगेल को ही आधुनिक नर्सिंग का संस्थापक माना जाता है. और विश्व भर में पहली नर्स के रूप में इन्हें याद भी किया जाता है. आमतौर पर अस्पतालों में नर्सों को सम्मान देकर यह विशेष दिवस मनाया जाता है. लेकिन, आज की विकट परिस्थिति में, नर्सें अस्पतालों में दिन-रात ड्यूटी कर लोगों की जान बचा रही है. यकीनन हमारी नर्सें कोरोना के जंग में, मुख्य मोर्चे पर डटी हुए है. क्योंकि, अस्पतालों में मरीजों के मौत और कोरोना के बीच ये नर्सें सच्ची बहन बन हमारी रक्षा कर रहीं है. बिना संक्रमण के प्रवाह किये ये बहनें अपना फर्ज निभा रहीं है. 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इनकी भूमिका की गंभीरता को समझते हुए, लगातार चिकित्सा कर्मियों, नर्सों व चिकित्सकों की हौसला अफजाई कर रहे हैं. इसलिए राज्य सरकार की दृष्टि में कोरोना वॉरियर्स के लिए सम्मान देखने को मिलता है. और विशेष तौर पर मुख्यमंत्री इनके अदम्य साहस से अभिभूत हैं. और मुख्यमंत्री ने इनके लिए पहले ही 1 महीने में प्रोत्साहन के रूप में अतिरिक्त वेतन देने का एलान कर सम्मान किया है.ज्ञात हो केवल राजधानी रांची में, सरकारी व निजी अस्पतालों में, 2000 से अधिक नर्सें आगे बढ़ निर्भीकता से अपना योगदान दे रही हैं. और पुरुषवादी मानसिकता को आईना दिखाते हुए सिद्ध भी कर रही है कि संकट में बेटियाँ भी किसी से कम नहीं. 

हमारी देश व राज्य के नर्सों ने नर्सिंग डे के मायने को किया है सार्थक

हालांकि, कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए कई नर्स संक्रमित भी हुई हैं. और उन्होंने अपनी शहादत दिया है. लेकिन, मजाल है जो कोई संकट उन्हें अपने कर्तव्य से डिगा दे. जान की बाजी लगा हमारी द्देश व राज्य की इन बेटियों कोरोना के समक्ष खुले तौर पर एलान कर रखा है कि इनके होते देश वह हमारा कुछ बि नहीं बिगाड़ सकता. निश्चित रूप कहा जा सकता है कि हमारी देश व राज्य के नर्सों ने इस दिवस के मायने को सार्थक किया. और जब संकट के बादल छटेंगे तो तो लोगों को इनकी कर्मठता नाज होगा

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