महामारी में जहाँ दुबके बीजेपी नेता, वहीं दायित्वों को निभा मुख्यमंत्री के मायने को साकार करते हेमंत

संक्रमण में बतौर सीएम हेमंत के 6 महत्वपूर्ण निर्देश व फ्रंट से लीड करना, बीजेपी नेता से इतर एक लोकतांत्रिक जनप्रतिनिधि के मायने को आयाम देता है 

रांची: कोरोना महामारी के व्यापक लहर में, देश में तमाम आर्थिक समेत जनकल्याण व विकास कार्यों में कमोवेश में ब्रेक लग गया है. झारखंड में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के कारण सुरक्षा वस लोग घरों से बाहर निकलने में परहेज कर रहे है. नतीजतन, राज्य संक्रमण के दौर से धीरे-धीरे बाहर निकलने में सफल हो रहा है. आंकड़े भी तथ्य की पुष्टि कर रहे है. ज्ञात हो सर्वदलीय बैठक के दौरान तमाम दलों के पदाधिकारियों ने सक्रिय हो, सक्रमण से राज्य को बाहर निकालने में, सरकार को मदद करने का भरोषा दिया था. लेकिन, प्रदेश के बीजेपी नेता घर में दुबक केवल गाल बजा रहे हैं. और अपनी चिर-परिचित अंदाज वाली ओंछी राजनीति से भी नहीं चूक रहे.

लेकिन, राज्य में सुकून देने वाली खबर है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बीजेपी नेता द्वारा उत्पन्न किये जा रहे तमाम विघ्नों के बीच गजब की दृढ इच्छाशक्ति दिखाते हुए, फ्रंट से लीड करते हुए तमाम दायित्वों को बखूबी निभा मिशाल पेश रहे हैं. बात चाहे स्वास्थ्य व्यवस्था को तीव्र गति बेहतर बनाने की हो. क़ानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के मद्देनजर निरीक्षण कर कालाबजारी को नियंत्रण करने की हो. जनहित से जुड़े योजनाओं को चालू करने की हो, या फिर आंशिक लॉकडाउन से जूझ रहे लोगों को राहत देने की स्थिति हो. हेमंत सोरेन ने बतौर मुख्यमंत्री बेहतर निर्णय व रणनीति बनाने में कामयाब रहे. ख़ास कर महामारी के रन क्षेत्र में मुख्यमंत्री का जनहित में लिए गए 6 बड़े निर्णय दर्शाता है कि राज्य एक सटीक शख्स के हाथों में है.

आंशिक लॉकडाउन में भी प्रबंधन जबरदस्त, भूखे रहने की अब तक नहीं आयी है नौबत 

झारखंड राज्य में हेमंत सत्ता की पहली उपलब्धि हो सकती है. जहाँ जनहित में संक्रमण के चैन को तोड़ने के लिए आंशिक लॉकडाउन जारी है. लेकिन बेहत प्रबंधन के कारण राज्य में जीवन का पहिया धीमी जरुर हुई लेकिन थमी नहीं. दरअसल, ऐसा करने के पिच्छे का उद्देश्य था कि राज्य की कम से कम जीविका चलती रहे. मुख्यमंत्री ने समय सीमा के आधार पर कार्यों का वर्गीकरण किया है. पहले हिस्से में, दोपहर 2 बजे तक सिमित प्रतिबंध लगा, आर्थिक पहिए को चलने दिया गया. और दूसरा हिस्सा, दोपहर 2 बजे के बाद केवल जरूरियात सेवाओं को छोड़ कट तमाम गतिविधियों को प्रतिबंधित किया गया. 

नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे पर स्थित सामान्य राखी गयी. मसलन, बेहतर निर्णय ने लोगों को बिना परेशानी में डाले संक्रमण चैन को तोड़ने की प्रक्रिया आरम्भ की. जहाँ देश ऑक्सीजन की समस्या से झझ रहा था, वहां झारखंड ऑक्सीजन के मातहत आत्मनिर्भर हो पडोसी धर्म भी निभाने में कामयाब रहा है.

स्वास्थ्य कर्मियों, सहियाओं, शिक्षकों, व पत्रकारों के हित में भी लिए गए निर्णय

संक्रमण के दौर में मुख्यमंत्री ने जनता की तरह पत्रकारों, स्वास्थ्य कर्मियों, सहियाओं, शिक्षकों को भी मझधार में निसहाय नहीं छोड़ा. उनके हित में भी कुल पांच निर्णय प्रमुखता लेकर मुख्यमंत्री ने अपने दायित्व को बखूबी निभाया है.

  • कोविड संक्रमण काल में महत्वपूर्ण योगदान के मद्देनजर, नियमित एवं संविदा पर कार्यरत सभी स्वास्थ्यकर्मियों को अप्रैल, 2020 के मूल वेतन या मानदेय के बराबर रकम प्रोत्साहन राशि के रूप में देने का फैसला लिया गया है.
  • राज्य में कोविड, प्रसव व अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़ी सहिया (आशा) कार्यकर्ताओं को अगले 6 माह तक 1,000 – 1,000 रुपये प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है.
  • राज्य के गैर सरकारी सहायता प्राप्त प्रारंभिक स्कूलों (अल्पसंख्यक स्कूल भी शामिल) के शिक्षकों व कर्मियों के वेतन मद में हेमंत सरकार ने करीब 224 करोड़ रुपये के सहायता अनुदान देने की घोषणा की गयी. यह सहायता अनुदान वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए है.
  • प्रारंभिक विद्यालयों में इंटर प्रशिक्षित वेतनमान में उर्दू शिक्षक के स्वीकृत 4401 पदों का अवधि विस्तार दिया गया है. साथ ही इनके वेतन मद में 55.80 करोड़ की राशि की स्वीकृति प्रदान की गयी है. 
  • कोरोना संकट में डेट पत्रकारों के लिए मुख्यमंत्री ने वैक्सीनेशन लेने में प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है. कई पत्रकार वैक्सीनेशन सेंटर जाकर वैक्सीन ले रहे हैं.

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