हर मुसीबत में निर्मल महतो की शहादत झारखण्ड को दिखाती है राह

CM हेमन्त : पूर्व की बीजेपी सरकार में जब झारखण्ड त्राहिमाम था. तब शहीद निर्मल महतो जैसे महापुरुष की प्रेरणा से उन्हें राज्य को मुसीबत से उबारने की हिम्मत मिली.

रांची : झारखंडी मानसिकता के स्पष्ट उदाहरण, झारखंडी अस्मिता की रक्षा के मद्देनजर अमर शहीद निर्मल महतो वीरता और बलिदान एक सच्चा व अमिट प्रतीक हैं. झारखण्ड के प्रति उनका शौर्य और निष्ठा का परिचय उनकी शहादत से ही मिल जाता है. उन्होंने विपरीत परिस्थिति में भी झारखण्ड के मान सम्मान से समझौता नहीं किए. उनकी शहादत एक अमर गाथा है, पीढियां चिरकाल तक दोहराएगी. राज्य जब भी मुसीबत होगा उनकी शहादत प्रासंगिकता के साथ राज्य को राह दिखाएगा.

हर मुसीबत में निर्मल महतो की शहादत झारखण्ड को दिखाती है राह

झारखण्ड आन्दोलन के अक्स में 8 अगस्त 1987, शहीद निर्मल महतो जमशेदपुर के चमरिया गेस्ट हाउस में साथियोंव कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे थे. तभी सामंतवादियों ने उन पर तीन गोलियां दागी. मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई. हालांकि, निर्मल महतो की मृत्यु आंदोलन के लिए बड़ा झटका था. लेकिन उनके जिवंत व्यक्तित्व ने झारखण्ड आंदोलन को और मजबूत बना दिया. झारखण्ड गठन के बाद झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के प्रयासों से राज्य ने उन्हें अपना शहीद मान लिया.

शहीद निर्मल महतो जैसे महापुरुषों से राज्य को संघर्ष करने की हिम्मत मिलती है -सीएम  

शायद यही वह जिवंत कारण है कि झारखण्ड राज्य के सीएम हेमन्त सोरेन ने उनके शहादत दिवस के अवसर पर बड़े गर्व से यह बताने से नहीं चूके कि पूर्व की सामन्ती सरकार में झारखण्ड त्राहिमाम था. तब शहीद निर्मल महतो जैसे महापुरुषों की प्रेरणा से उन्हें संघर्ष कर राज्य को मुसीबत से उबारने की हिम्मत मिली. उन्हेंने शहीद निर्मल महतो के शहीद स्थल से ही ‘झारखण्ड संघर्ष यात्रा’ प्रारंभ की. जो आगे चल कर बड़ा आन्दोलन बना. जिससे राज्य को पूर्व सामंती सरकार से मुक्ति मिली. 

सीएम हेमन्त कहने से नहीं चुके कि मौजूदा दौर में देश की सत्ता पर सामंती मानसिकता काबिज है. और जन विरोध में मनचाहा तानाशाही नियम लागू कर रहा है. समाज के हर वर्ग में फूट डालने का प्रयास कर रहा है. गरीब-आरक्षित वर्ग हासिये पर है. जिसके अक्स में आज देश अंतर्कलह की ओर तेजी से बढ़ चला है. मसलन, देश में इंडिया (INDIA) गठबंधन बनाया गया है. मसलन, हम शहीद निर्मल महतो के वंशज ऐसे विपरीत परिस्थिति से भी देश और देश के संविधान को बचा लेंगे.

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