आदिवासी महोत्सव-झारखण्ड व देश के लिए साबित होगा मील का पत्थर

झारखण्ड आदिवासी महोत्सव: केवल आदिवासी नहीं बल्कि झारखण्ड के भविष्य के लिए मिल का पत्थर साबित होगा. यह दुनिया के लोगों को उसके अस्तित्व के पारंभ से रूबरू कराएगा.

रांची : झारखण्ड एक आदिवासी बाहुल्य राज्य है और धरती आबा बिरसा मुंडा की पवित्र धरती है. मसलन, आदिवासी समाज के दृष्टिकोण से इस राज्य को किसी पावन धरती से कमतर नहीं आंका जा सकता है. इसलिए तो यहां के महान आदिवासी संस्कृति में लोगों का चलना नृत्य और बोलना संगीत माना जाता रहा है. ऐसे महान राज्य में ‘आदिवासी महोत्सव’ का आयोजन हो और देश-दुनिया का शिरकत ना हो. यह संभव नहीं हो सकता.

आदिवासी महोत्सव-झारखण्ड व देश के लिए साबित होगा मील का पत्थर

प्राप्त सूचना के अनुसार, 09 अगस्त को इस आदिवासी महोत्सव में 32 जनजातीय – असुर, बैंगा, बंजारा, बथुडी, बेदिया, बिंझिया, बिरहोर, बिरजिया, चेरो, चिक-बड़ाईक, गोंड, गोडाईल, हो, करमाली, खड़िया, कंवर, खरवार, खोंड, किसान, कोरा, कोरवा, लोहरा, महली, माल पहाड़िया, मुंडा, उरांव, परहईया, संथाल, सौरिया पहाड़िया, सवर, भूमिज एवं कोल के वाद्ययंत्रों के थाप और फ़ुक से सम्पूर्ण झारखण्ड गूंजने के लिए तैयार है. 

“रीझ रंग रसिका” की रैली झारखण्ड आदिवासी महोत्सव -2023 में आकर्षण का केंद्र होगा. पारंपरिक वेशभूषा में मांदर की ताल पर आदिवासियों और आम जन के जब कदम थिरकेंगे तो वह माहौल, वह आकर्षण न केवल दुनिया के समक्ष देश की महान संस्कृति का ऐतिहासि दर्शन पेश करेगा, उसके अस्तित्व के प्रारंभ का बोध कारायेगा. यह रैली 09 अगस्त 2023 को 12 बजे अपराह्न धुमकुड़िया भवन, करमटोली चौक से बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान के लिए प्रस्थान करेगी.

आदिवासी महोत्सव की तैयारी अपने अंतिम चरण में

झारखण्ड में 09-10 अगस्त 2023 को आयोजित होने वाले आदिवासी महोत्सव की तैयारी अंतिम चरण में है. महोत्सव में अरुणाचल प्रदेश, असम, आंध्र प्रदेश, ओडिसा, राजस्थान के जनजातीय समुदाय बतौर अतिथि अपनी परंपरा और संस्कृति से देश-दुनिया रूबरू कराएंगे. सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत नागपुरी, सरायकेला छऊ, डोमकच, पायका समेत अन्य कलाकार आदिवासी पारम्परिक नृत्य की प्रस्तुति देंगे.

ज्ञात हो, झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन के प्रयासों से ही यह संभव होने जा रहा है. ज्ञात हो, केंद्रीय सरना समिति के प्रतिनिधि मंडल के द्वारा आदिवासी महोत्सव में सीएम की गरीममई उपस्थिति के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया है. और झारखण्ड में आदिवासी महोत्सव-2023 का आयोजन कराने के लिए सीएम का आभार जताया गया है. चूँकि सीएम हेमन्त सोरेन स्वयं आदिवासी समुदाय आते हैं. मसलन, महोत्सव में उनकी उपस्थिति निश्चित ही ऐतिहासिकता लिए होगी. 

जारी रहेगा आदिवासी कला-संस्कृति को उभारने का प्रयास – सीएम हेमन्त 

केंद्रीय सरना समिति के प्रतिनिधि मंडल से सीएम हेमन्त के द्वारा कहा जाना कि झारखण्ड आदिवासी महोत्सव-2023 ऐतिहासिकता लिए होगा. महोत्सव में शामिल होने देश-दुनिया से लोग पहुंचेगे. आदिवासी परंपरा, कला-संस्कृति, रहन-सहन, उत्पाद और संगीत (गीत-नृत्य) को संरक्षित और विकास में सरकार लगातार प्रयासरत है. दर्शाता है कि झारखण्ड आदिवासी महोत्सव का आयोजन न केवल आदिवासी, झारखण्ड के सभी समुदाय के भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

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