यति नरसिंहानंद को संघ परिवार द्वारा नए चेहरे के रूप में सामने लाया गया है. हरिद्वार में आयोजित “धर्म संसद” के मंच से नरसिंहानंद की ओर से 17 से 19 दिसंबर तक मुसलमानों के विरुद्ध नंगी घृणायुक्त भाषण दिये गये. खुलेआम नरसंहार और हिंसा का आह्वान किया गया. गौरतलब है कि यह कुछ छुटभैये या पगलेटों का समूह नहीं था, यह एक नामी हिन्दू धर्मगुरु हैं, जिनके चेलों और भक्तों की संख्या लाखों में है. लेकिन नफ़रत की खेती के मद्देनज़र चुटकुलों व गीतों से समाज में फैले “अशान्ति” का डर दिखा कर लोगों को गिरफ़्तार कर लेने वाली सरकार कान में तेल डालकर बैठी रही. गोदी मीडिया के लिए भी यह कोई मुद्दा नहीं है जबकि नफ़रत के भाषण के वीडियो मौजूद हैं.
धर्गुरुओं के चन्द बयानों पर नज़र डालने पर नफ़रत फैलाने का पैमाने का साफ़ पता चलता है
“कॉपी किताबों को रख दो और हाथ में शस्त्र उठा लो, हम 100 मिलकर इनके 20 लाख मार देंगे तो विजयी कहलाएँगे!” – अन्नपूर्णा माँ, निरंजिनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा की महामंत्री है.
“जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अल्पसंख्यकों का राष्ट्र के संसाधनों पर पहला अधिकार है, उस समय अगर मैं संसद में मौजूद होता तो मैं नाथूराम गोडसे का अनुसरण करता, मैंने उनके सीने में रिवॉल्वर की छह गोलियाँ उतार दी होतीं.” – बिहार के धर्मदास महाराज
“अगर सरकारें हमारी माँग (अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा के ज़रिए हिंदू राष्ट्र की स्थापना) पर ध्यान नहीं देतीं, तो हम 1857 के विद्रोह से भी अधिक रक्तरंजित युद्ध छेड़ेंगे.” – आनंद स्वरूप महाराज
“मैं बार-बार दोहराता रहता हूँ कि 5000 रुपये का मोबाइल रखो लेकिन 1 लाख रुपये का हथियार खरीदो. तुम्हारे पास कम से कम लाठी और तलवारें तो होनी ही चाहिए.” – सागर सिंधुराज महाराज
एक धर्मगुरु ने गर्व से दावा किया कि उसने 10 मुसलमानों को एसएसी/एसटी क़ानून में फ़र्ज़ी तरीक़े से फँसाया है. यति नरसिंहानन्द ने ऐलान किया कि जो युवा संन्यासी प्रभाकरण के रास्ते पर चलने को तैयार हों, उन्हें वह एक करोड़ रुपये देगा. कहने की ज़रूरत नहीं कि इस आधे जानवर-आधे पुरुष को प्रभाकरण की राजनीति का कखग भी नहीं पता होगा, उसे बस लिट्टे के आत्मघाती दस्ते की बात उछालनी थी.
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय भी तथाकथित धर्मसंसद में मौजूद – उसके द्वारा नरसिंहानंद को “भगवा संविधान” भेंट किया गया
नरसंहार का यह खुले आह्वान सत्ताधारी पार्टी के नेताओं की मौजूदगी में किया जाना दर्शाता है कि . राजद्रोह, साम्प्रदायिक तनाव भड़काने, हिंसा फैलाने और जानबूझकर धार्मिक बँटवारे को बढ़ावा देने का साफ़ मामला उछाला गया है. लेकिन संविधान और क़ानून व्यवस्था के हर नियम को तोड़ने के बावजूद एक भी गिरफ़्तारी न होना, उत्तराखंड पुलिस द्वारा एक भी मामला दर्ज नहीं किया जाना. होहल्ला मचने के बाद राज्य का डीजीपी द्वारा बेशर्मी से कहा जाना कि वीडियो स्कैन किये जा रहे हैं और क़ानून विशेषज्ञों की राय ली जा रही है! कई संकेत दे सकते हैं.
जबकि यह उस राज्य की बात है जहाँ संघियों की मात्र झूठी ज़ुबानी शिकायतों पर लोगों को बिना किसी साक्ष्य के गिरफ़्तार कर लिया जाता रहा है. आज जो हिन्दू अपनी नसों में पैठे नफ़रत के ज़हर के चलते इन बयानों पर ख़ुश हो रहे हैं या चुप्पी साधे हैं, वे किसी भ्रम में न रहें! लगेगी आग तो आयेंगे घर कई ज़द में…
वैसे भी, जिस हिन्दू राष्ट्र के लिए नफ़रत की घुट्टी बच्चों तक को पिलाया जा रहा हो, उसकी असलियत तो योगी आदित्यनाथ ने तीन दिन पहले दे दिए हैं –“ग़रीबों को जो मुफ़्त राशन बाँटा जा रहा है, यही रामराज्य है!” योगी के मुताबिक़ यूपी की 22 करोड़ आबादी में से 15 करोड़ को मुफ़्त राशन दिया जा रहा है! यानी रामराज्य की तीन चौथाई आबादी मुफ़्त राशन पर जी रही है, बाक़ी में से भी तीन चौथाई पेट काटकर, बीमारी सहकर बस जिये जा रही है. असली रामराज्य ऊपर के 10-12 फ़ीसदी वालों के लिए ही है!
वायदे को पूरा करने में नाकाम मोदी-योगी सरकार और संघ गिरोह अब पूरी तरह से नफ़रत की खेती में जुटी
जनता से किये किसी भी चुनावी वायदे को पूरा करने में नाकाम मोदी-योगी सरकार और संघ गिरोह अब पूरी तरह से नफ़रत की खेती करने में जुट गयी हैं. ताकि वोटों की फसल काटी जा सके. इसलिए अब ऐसे तमाम नफ़रती कीड़ों को बिलों से निकाला जा रहा है. बाक़ायदा प्रशिक्षण शिविर लगाकर हिन्दू युवकों और बच्चों को मारकाट मचाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है. रो़ज़गार देने, महँगाई कम करने, अपराध रोकने, भ्रष्टाचार पर रोक लगाने जैसे सारे दावों के हवा हो जाने के बाद फ़ासिस्टों के पास अब कोई चारा भी नहीं है, इसलिए चुनाव से पहले नकली सदाचारी दुपट्टा उतार हिंसा और घृणा के घिनौना खेल का माहौल बनाना शुरू कर दिया गया है.