मधुपुर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी से खौफजदा हुई भाजपा खेमा

भाजपा मधुपुर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी से इतनी खौफजदा है कि कोई भी प्रपंच कर उनका वापसी चाहती है

देश के कैनवास में जब सवाल आम हो चला हो कि भाजपा शासन में संघ मानसिकता तमाम संवैधानिक पदों पर काबिज हो, चेक एंड बैलेंस की स्थिति पर ही सवाल खड़े कर दिए हों. खेल में खुले तौर पर भाजपा को मदद पहुंचाने वाले अधिकारियों का सच अच्छे पदों पर तैनाती के तौर पर उभर कर सामने आया है. देश में जब उसी सत्ता का रिपोर्ट हो. जहाँ कोरोना त्रासदी फिर एक बार पहले से अधिक खतरनाक तेवर के सच के साथ लौट आए. और देश को त्रासदी में सम्भालने के बजाय, महज एक राज्य चुनाव में जीत के खातिर, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री से लेकर के भाजपा तमाम मंत्री, सांसद, विधायक व नेता लगभग बंगाल प्रवास ही कर चुके हो. 

और देश के तमाम संवैधानिक पदों के मौजूदगी के बावजूद यदि सीआरपीएफ की गोली का सच, लोकतंत्र की मौत के रूप में सामने आये. और भाजपा नेता अपने भाषण में खुले तौर पर कहने से न चूके कि अभी तो 4 मौतें हुई है, अगली बार 8 होंगी. और चुनाव आयोग बैन केवल ममता बनर्जी पर लगाए. तो झारखंड में मधुपुर उपचुनाव में, कमजोर पड़ चुकी बीजेपी, के द्वारा लगाए गए आरोप. “कि जिला प्रशासन के सर्वोच्च पदाधिकारी से लेकर सरकारी कर्मचारी तक जेएमएम के पक्ष में काम कर रहे हैं”. के असल मायने समझा जा सकता है. और बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल का मुख्य चुनाव पदाधिकारी से शिकायत के मायने भी.

भाजपा व संघ मानसिकता जब भी बैक फूट पर होती, वह सॉफ्ट कोर्नर पकड़ लेती है

संघ मानसिकता व भाजपा जब भी बैक फूट पर होती है. जब जनता उसे सिरे से खारिज कर चुकी होती है. तो वह सॉफ्ट कोर्नर पकड़ लेती है. वह मजबूरी की भावना प्रकट कर आम जनता के भावनाओं से खेलने का प्रपंच रचती है. और जैसे ही मजबूत स्थिति में आती है तो फिर शोषण के किसी भी हद तक जाने से नहीं चूकती. जिसका उदाहरण जनता से लेकर पालनहार तक मौजूदा दौर में खुले तौर पर भोग रही है. झारखंड भी रघुवर काल में उस दौर से गुजर चुका है. जहाँ चेकिंग के नाम पर महिलाओं के बुर्के तक उतरवा लिए जाते थे. हक अधिकार मांगने पर माताओं, पुत्रों के खाल उधेड़ दिए जाने का सच भी उसी भाजपा सत्ता का ही तो है.

भाजपा अपने मकड़जाल के माध्यम से मुख्यमंत्री का मधुपुर से वापसी चाहता है 

दरअसल, मधुपुर में मुख्यमंत्री के मौजूदगी से भाजपा खेमा खौफजदा है. गलत चालों के वजह से पहले ही गेम से बाहर हो चुकी भाजपा, हेमंत सोरेन की मौजूदगी से खुद को असहाय महसूस कर रही है. ऐसे में लाज़िम है कि उसके पास ऐसे आरोप लगाने के सिवाय और कोई दूसरा विकल्प शेष नहीं बचता. यदि उनके आरोप में सच्चाई होती तो जो भाजपा बंगाल में या देश के तमाम हिस्सों में ईंट से ईंट बजा सकती है, तो फिर वह झारखंड में खामोश रहती. और इसे दूसरे रूप में ऐसे समझ सकते है कि झारखंड होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव तिवारी जी जेल भरने का ऐलान किया है. 

मसलन, तिवारी जी मौजूदा चुनाव में भी होमगार्ड भर्ती को लेकर भाजपा से सवाल न कर हेमंत सत्ता को कठघरे में खड़ा करना चाहती है. जैसे खलनायक रघुवर सत्ता नहीं बल्कि हेमंत सत्ता हो. यही उस मानसिकता की हकीकत हो सकती है. जहाँ चित भी उसकी हो और पट भी. और भाजपा कोई भी प्रपंच रच मुख्यमंत्री का वापस संभव बनाना चाहती है. ऐसे में अब वक़्त आ गया है कि जनता झारखंड के भविष्य के मद्देनजर भाजपा के तमाम परपंचों व मकड़जाल पर कठोर वार करे.

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