हेमन्त के प्रयासों से झारखंड की बेटियां अब पिता पर बोझ नहीं 

भारत के पुरुषवादी समाज में बेटियों को बोझ समझने की परम्परा है. लेकिन, एक आदिवासी सीएम हेमन्त सोरेन के नीतियों के अक्स में झारखण्ड की बेटियां अब अपने पिताओं के लिए बोझ नहीं रही.

रांची : झारखण्ड की हेमन्त सरकार में राज्य की सामाजिक समस्याओं पर निर्णायक निर्णय लिए गए हैं. इस दिशा में “आपकी योजना-आपकी सरकार-आपके द्वार” अभियान मिल का पत्थर साबित हुआ है. इस कार्यक्रम से राज्य के दो समस्याओं का स्थाई हल निकला है. पहला सर्वजन पेंशन योजना के अक्स में राज्य के असहाय वर्ग की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हुई. और दूसरा सावित्रीबाई फूले किशोरी समृद्धि योजन के मद्देनजर बेटियां अब अपने पिताओं पर बोझ नहीं रह गयी है.  

झारखंड की बेटियां अब पिता पर बोझ नहीं 

ज्ञात हो, हेमन्त सत्ता में हर वर्ग की रोटी-कपड़ा-मकान, स्वरोजगार, शिक्षा जैसे मूल-भूत जरूरतों पर ठोस कार्य हुए हैं. इस सरकार ने देश में पहली बार गरीब और महिलाओं की समस्याओं पर फोकस किया है. सर्वजन पेंशन के आसरे असहाय वर्ग के दहलीज़ पर पहुँच कर सरकार ने उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की है. नीतियों के आसरे राज्य की बेटियों की शिक्षा पर ठोस कार्य कर पिताओं को चिंता मुक्त किया है और बेटियों के साथ जुड़े ‘बोझ’ जैसे उपनाम से मुक्ति दी है.  

हेमन्त सत्ता देश की पहली सरकार है जिसने बेटियों के आत्मनिर्भरता को राज्य व देश के चौमुखी विकास से जोड़ कर देखा है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि इस सरकार नें अपने गठन काल के शुरुआती दौर से बेटियों के विकास को न केवल प्राथमिकता दी है. कई बड़े समस्याओं से राज्य को बाहर निकालने में बेटियों पर पूर्ण भरोसा और विश्वास दिखाया है. और राज्य की बेटियों ने भी उन्हें कोरोना त्रासदी से लेकर अबतक कभी निराशा नहीं किया है. 

हड़िया-दारु जैसे त्रासदी से महिलाओं बहार निकालने जैसे सराहनीय पर शामिल  

सीएम हेमन्त ने कभी कहा था कि ‘महिला-पुरुष एक ही हल के हिस्से, किसी एक के बिना लक्ष्य पाना मुश्किल’. इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि सीएम के कार्य-शब्दों मेल खाए हैं. हेमन्त की नीतियों ने राज्य की बेबस महिलाओं को हडिया-दारू जैसे अभिशप्त जीवन से मुक्त कर उन्हें सार्वजनिक भोजनालय, लॉण्ड्री, मरम्मत की दूकानें, किण्डरगार्डेन, बालगृह, शिक्षा संस्थान जैसे कई प्रक्षेत्रों में आर्थिक मदद पहुँचा स्वावलंबी बनाया है. और यह सिलसिला लगातार जारी है.

संक्षेप में कहें तो, सीएम हेमन्त ने राज्य के महिलाओं की कुशलता को घरेलू व्यक्तिगत गृहस्थ जीवन से बाहर निकाल समाज के दायरे में स्थानान्तरित कर संवैधानिक शर्तों को पूरा किया है. नतीजतन, बेटियों में आत्मविश्वास बढ़ा है. जिससे वह खेल, मोडलिंग समेत तमाम प्रक्षेत्रों फल-फूल रहीं है. मिस इंडिया में झारखण्ड का प्रतिनिधित्व करने वाली रिया तिर्की, मिस यूनाइटेड नेशंस अर्थ 2022 खिताबधारी एंजेल मेरीना तिर्की, महिला हॉकी खिलाड़ी, जैसी बेटियों इसके स्पष्ट उदाहरण है.

शिक्षा के मजबूतीकरण से लेकर गाड़ी ग्राम योजना तक 

हेमन्त शासन में शिक्षा के मजबूतीकरण में झारखण्ड के इतिहास में पहली बार बुनियादी बदलाव हुए हैं. अनूसूचित जातियों, जन जातियों, पिछड़ों व गरीब के छात्रवासों को दुरुस्त कर उसे सुविधाओं से लैस किया गया है. सीबीएसई स्कूलों के तर्ज पर राज्य में 5000 मॉडल स्कूल तैयार किये जा रहे हैं. शत प्रतिशत सरकारी अनुदान पर एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग के छात्रों को विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मौक़ा दिया गया है. सभी योजनाओं में बेटियों को सामान तरजीह मिली है.

एससी, एसटी, ओबीसी व् गरीब वर्ग के छात्रों की शिक्षा व प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए कई निशुल्क कोचीन सुविधा प्रदान की गयी है. बेटियों के लिए सावित्रीबाई फूले किशोरी योजना की शुरु की गयी है. जिसके अक्स में बेटियों की पढाई का जिम्मा सरकार के द्वारा उठाने का प्रयास हुआ है. राज्य में युवाओं के शिक्षा के लिए कई नए कॉलेज व युनिवर्सिटी की नीव रखी गयी है. सथानीय भाषाओं में शिक्षा देने का प्रयास हुआ है. सभी विद्यार्थियों को संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं. 

सीएम हेमन्त यहीं नहीं रुके उनके सरकार के द्वारा 15 नवंबर, 2023 को “मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना” की शुरुआत की गयी है. इस योजना के तहत, राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए 7 से 42 सीट वाले वाहनों के परिचालन पर 100% रोड टैक्स की छूट देने का प्रयास हुआ है. जिसके तहत राज्य के विधवा, महिलाओं, HIV पॉजिटिव, रिटायर्ड कर्मचारी, सीनियर सिटीजन और ग्रामीण छात्रों को मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान की जाएगी.

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