हेमन्त निकले बेदाग़ – आखिरी सहारे ने भी BJP को किया बेसहारा 

झारखण्ड : राज्य में पहले ही बीजेपी मुद्दारहित थी. अब सीएम हेमन्त का बेदाग़ होना उनका आखिरी सहारा भी छीन जाने का सच लिए है. ऐसे में झारखण्ड प्रदेश में बीजेपी की पूरी राजनीतिक ज़मीन ही समाप्त होती दिख चली है. 

रांची : भारत देश में आरएसएस के बीजेपी शासन विचित्र घोटाले के लिए जानी जाती है. व्यापम, चहेतों को लोन के अक्स में बैंक लूट, लैंड बैंक के आसरे ज़मीन लूट, खनीज संपदा लूट, पीएम केयर फण्ड, सीएसआर फण्ड लूट, इत्यादि फेहरिस्त में शामिल है. तमाम काले सच के बावजूद केन्द्रीय बीजेपी शासन में जाँच एजेंसियां गैर भाजपा शासित राज्यों को सबूत के अभाव में भी तानाशाही तौर पर परेशान करने का सच लिए है. 

हेमन्त निकले बेदाग़ - आखिरी सहारे ने भी BJP को किया बेसहारा 

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गुजरात का बीजेपी शासन क़रीबन 6,000 करोड़ रुपए का कोयला घोटाला सच लिए हुए है. झारखण्ड के अडानी पॉवर प्लांट की बिजली जो राज्य का हक है नहीं दिया गया. बीजेपी पर गुजरात के इंडस्ट्रीज को कोयला न देकर दूसरे राज्य के उद्योगों को ज्यादा कीमत पर बेचने जैसे कोयला घोटाला का खिलाड़ी होने का सच सामने है. झारखण्ड की पूर्व की बीजेपी सत्ता भी कोयला लूट की यही दास्ताँ लिए हुए है.

हेमन्त शासन में जब बीजेपी व उसके नेताओं की इस काले खेल पर लगाम लगाने की दिशा में कार्रवाही हुई तो जाँच एजेंसियों के माध्यम से सीएम को फर्जी मामलों में फांसने का सिलसिला शुरू हुआ. मजबूरन सीएम को कहना पड़ा कि केंद्र सरकार को कोयला, लोहा जैसे खनिज को माइनर व बालू को मेजर मिनिरल केटेगरी में डाल देना चाहिए, जो तमाम फर्जी मामलों में उनके बेदाग़ होने की कहानी बयान कर रही थी. अब झारखण्ड हाई कोर्ट ने भी इस सत्य पर मुहर लगा दी है.

झारखण्ड हाईकोर्ट से सीएम हेमन्त सोरेन निलकने बेदाग़ 

झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन को झारखण्ड हाईकोर्ट ने खनन लीज और जमीन आवंटन के खिलाफ दायर याचिका को सुनवाई योग्य (वैध) न मानते हुए खारिज कर दिया है. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने मामले में स्पष्ट कहा है कि समान आरोप से जुड़ी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट से पहले ही खारिज हो चुकी है. ऐसे में इस याचिका को भी सुनवाई योग्य नहीं माना जा सकता. 

मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. 8 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट शिवशंकर शर्मा की जनहित याचिका खारिज कर चुका है. शिवशंकर शर्मा के द्वारा भी इन्हीं मुद्दों को उठाया गया था. इस याचिका में भी वहीं बातें दोहरायी गयी हैं जो राजनीति से प्रेरित होता प्रतीत हो रहा था. मसलन झारखण्ड हाई कोर्ट के द्वारा याचिका को सुनवाई योग्य न माते हुए प्रार्थी की दलील खारिज कर दी.

बीजेपी पहले ही झारखण्ड में मुद्दारहित थी अब यह आखिरी सहारा भी गया  

ज्ञात हो, झारखण्ड राज्य में ऐसे तमाम मामलों में एकतरफा जांच होने के आरोप लग हैं. विधायक सरयू राय के कई पीसी व बयान इस तथ्य को स्पष्ट भी किया है. झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन को लोकतान्त्रिक चुनी सरकार के संरक्षण हेतु उच्चतम न्यायालय का रुख करना पड़ा. क्योंकि मुद्दों के अभाव में बीजेपी और उसके नेता इन मामलों को गोदी मिडिया के आसरे सुर्ख़ियों बना राजनीति करने का प्रयास करती दिखी. और कई मामलों में बेसब्र हो बयान देते भी दिखे.

भाजपा नेताओं की बेसब्री के अक्स में सभी मामलों का राजनीति से प्रेरित होने का सच छलक कर सामने आया. ज्ञात हो, जहाँ निशिकांत दुबे लोकतांत्रिक व्यवस्था को तार-तार करते दिखे. वहीँ बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश सरीखे नेताओं के बयान उनकी मौकापरस्ती और मुद्दों के अभाव की बेबसी को दर्शाया. बहरहाल, राज्य में पहले ही बीजेपी मुद्दारहित थी. अब सीएम के बेदाग़ होना उनका आखिरी सहारा भी छीन जाने का सच लिए है. ऐसे में झारखण्ड प्रदेश में बीजेपी की पूरी राजनीतिक ज़मीन ही संकट में है. 

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