झारखण्ड : हेमन्त शासन में न केवल एससी, एसटी, ओबीसी, गरीब, बुजुर्ग, महिला छात्र-छात्रा, युवा, कर्मचारी, किसान, श्रमिक की, सजा काट रहे कैदियों की सामाजिक सुरक्षा हो रहा है सुनिश्चित.
रांची : भारत में विचाराधीन कैदियों की भारी संख्या है. चूँकि इन विचारधीन कैदियों में एससी, एसटी, ओबीसी और गरीबों की संख्या अधिक है, केंद्र सरकार की ओर से इनके हित में कोई मानवीय पहल होता नहीं दिखता है. कैदियों के साथ अमानवीय बर्ताव अब आम बात है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सरकारी विभाग की रिपोर्टों में कैदियों की मौत की घटनाएँ 50% पार कर चुकी है. नतीजतन, जेल अपराधियों को सुधारने के बजाय पक्के अपराधी बनाने के लिए जाना जाता है.
झारखण्ड प्रदेश एक एससी, एसटी, ओबीसी और गरीब बाहुल्य क्षेत्र है. इस प्रदेश में अधिकाँश सत्ता सामंती विचार से लैस बीजेपी की रही है. मसलन, इस दिशा में इस प्रदेश में भी कोई मानवीय पहल नहीं हुए बल्कि कैदियों के साथ बर्बरता ने रौद्र रूप लिया. बीजेपी की डबल इंजन सरकार में वर्ष 2019 में खूंटी जेल में करीब 20 कैदी की विषाक्त भोजन से मौत, न केवल सत्य को दर्शा सकता है. सीएम हेमन्त सोरेन का कैदियों के हित में लिए गए निर्णय की महत्ता को भी समझाता है.
हेमन्त शासन में कैदियों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की पहल
हेमन्त सरकार देश की पहली सरकार है जिसने कोरोना जैसे त्रासदी में कैदियों की सूद ली, उनकी कुशलता को राज्य-देश उपयोगी बनाने की दिशा में पहल की. सीएम ने कैदियों की मदद से लेकर शिक्षा-पेंशन से जोड़ने की कवायद शुरू की. कोरोना में कैदियों को मास्क, सेनेटाइजर, कॉपी जैसे निर्माण से जोड़ न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास हुआ. भीषण संकट से राज्य को बचाने की दिशा में कैदियों के योगदान को भी शामिल किया गया.
बुजुर्ग कैदियों को पेंशन देने की अनूठी पहल कर सीएम के द्वारा उनके जेल से छुटने पर आर्थिक तौर पर सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास हुआ. राज्य के आला अधिकारियों को इस बाबत त्वरित गति से कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए. साथ ही जेलों में बंद कैदी को किसी तरह के कानूनी सहायता निःशुल्क प्रदान करने की मानवीय परम्परा की शुरुआत भी हुई. संविधान दिवस के अवसर पर सीएम के द्वारा झालसा द्वारा “एक्सेस टू जस्टिस फॉर ऑल” एप का उद्घाटन भी हुआ.
आजीवन कारावास की सजा काट रहे 56 कैदी होंगे रिहा
सीएम हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में झारखण्ड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की संपन्न 30 वीं बैठक में इस दिशा में एक और पग बढ़ाया गया है. बैठक में राज्य के विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 56 कैदियों को रिहा करने पर सहमती बनी है. सीएम के द्वारा कहा जाना कि रिहा कैदी की लगातार ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग होनी चाहिए. और उनके पुनर्वास की दिशा में भी पहल की जाए ताकि, वह मुख्य धारा से जुड़े रहें.
समाज के छोटे से छोटे समस्याओं पर पैनी नजर सीएम हेमन्त के कुशलता को परिभाषित करता है. उनका कहना कि अक्सर देखा गया है कि जेल से जो बुजुर्ग कैदी रिहा होते हैं, उन्हें उनका परिवार अपनाने के लिए आगे नहीं आते. इसलिए इन्हें राज्य सरकार के यूनिवर्सल पेंशन स्कीम से जोड़ा जाए, कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए, ताकि इनका वृद्ध जीवन यापन आसान हो. ये किसी पर बोझ ना बने. और राज्य हित में अपना सकारात्मक योगदान दे. उनकी स्पष्ट मंशा को दर्शाता है.
झारखण्ड में अबतक 1831 कैदी हो चुके हैं रिहा
झारखण्ड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 29वीं बैठक तक राज्य में 1831 कैदियों की रिहाई हो चुकी है. अधिकारियों के द्वारा बताया कि वर्ष 2019 से लेकर अब तक 457 कैदियों के घर का जिला प्रोबेशन पदाधिकारियों द्वारा सर्वे कराया जा चुका है. इनमें से 378 कैदियों को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान किया गया है, जबकि अन्य कैदियों को सरकार की योजनाओं से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है.