झारखण्ड : सीएम हेमन्त सोरेन का युवाओंके प्रतीत फिर नर्म रुख दिखा. कुछ प्रावधानों में सजा कर झारखण्ड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अधिनियम -2023 पारित.
रांची : झारखण्ड राज्य का दुर्भाग्य बीजेपी की अधिकतम सत्ता का सच लिए है. राज्य के मूलवासियों के अधिकार हनन में प्रश्न पत्र लीक जैसे अपराध भी मुख्य कारण रहे हैं. जिसके अक्स में 70 फीसदी बाहरियों की नियुक्ति का असल सच सामने है. लेकिन, मौजूदा हेमन्त सत्ता में प्रश्न पत्र लीक जैसे अपराध के रोकथाम में “झारखण्ड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अधिनियम, 2023” कुछ आंशिक संशोधन के साथ 3 अगस्त 2023 को पारित किया गया.
झारखण्ड का यह विधेयक पहले बीजेपी शासित राज्यों के क़ानून से अधिक लचीला और प्रासंगिक था. उसमें भी कुछ प्रावधानों में सजा सीमा कम करने की बात सीएम ने कही. बीजेपी-आरएसएस के दो चेहरों के अक्स में इस विधेयक में भी युवाओं के आड़ में बीजेपी के मगरमच्छ के आँसू बदिखे. चूंकि सीएम हेमन्त का रुख युवाओं के प्रति हमेशा से ही भावुक रहा है. मसलन, इस मामले में भी सीएम का नर्म रुख दिखा. सीएम के द्वारा विपक्ष पर आश्चर्य जातते हुए युवा भविष्य के मद्देनजर फैसले लिया गया.
सीएम हेमन्त ने सदन में स्पष्ट कहा अब राज्य में प्रतियोगिता से सम्बंधित हर प्रकार के कदाचार के साथ सख्त कार्रवाई होगी. किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. आज के तकनीकी युग में कदाचार की जटिलता बढ़ी है. जिसे बिना शख्त प्रावधानों के रोक पाना एक चुनौती है. फिर भी राज्य के युवाओं के भविष्य को देखते हुए धारा 12 (1) में 3 वर्ष को एक वर्ष और नकल से सम्बंधित सजा में 7 वर्ष को 3 वर्ष के सशोधन के साथ पारित यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ.