झारखण्ड राज्यांश से आयोजित कार्यक्रम से CM के प्रतीक, फोटो को सामंती मानसिकता के तहत हटना! जनमानस विश्वास एवं आदिवासी का सीधे तौर पर अपमान है. यह पहली बार भी नहीं है.
रांची : झारखण्ड जैसे 5वीं-6ठी अनुसूची प्रदेश में राजभवन और राज्यपाल की भूमिका आदिवासी अस्मिता व अधिकार के संरक्षक के तौर पर परिभाषित किया जाता है. राज्यपाल राज्य सरकार के संवैधानिक प्रमुख और सीएम मंत्रीपरिषद प्रमुख होते हैं. राज्यपाल निष्पक्ष हो कर राज्य सरकार के लोकतांत्रिक काम-काज देखते हैं. लेकिन, वर्तमान मोदी शासन में झारखण्ड प्रदेश में राजभवन की भूमिका ठीक उलट प्रतीत हुआ है. ज्ञात हो, प्रदेश की जनता द्वारा पहले से ही राजभवन पर प्रदेश भाजपा और केंद्र सरकार से गठबंधन के आरोप लगाए जा रहे हैं.
क्योंकि कई बार जनता, नेता, झारखण्ड मुक्ति मोर्च, कोंग्रेस व आरजेडी जैसे दलों के द्वारा राजभवन पर राज्य की हेमन्त सोरेन सरकार को असंविधानिक तरीके से टारगेट करने के आरोप लगाए गए हैं. पूर्व के राज्यपाल के द्वारा केंद्रीय चुनाव आयोग के पत्र के आलोक में झारखण्ड सरकार पर परमाणु बम गिराने तक के बयान दिखे हैं. आज राजभवन के निर्देश पर एक कार्यक्रम से सीएम पद के प्रतीक, फोटो हटा कर अपमानित किया गया है. जनता का मानना है कि यह केवल इसलिए हुआ है कि प्रदेश का सीएम एक आदिवासी हैं और सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व करने के लिए जाने जाते हैं.
बाहरी मानसिकता के इशारे पर झारखण्ड की धरती पर आदिवासी-मूलवासी नेता का अपमान
रांची यूनिवर्सिटी के आर्यभट्ट ऑडिटोरियम में 1 अक्टूबर को भारत स्वच्छता अभियान की कार्यक्रम आयोजित हुआ था. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल सह कुलाधिपति सीपी राधाकृष्णन थे. राज्यपाल के पहुँचने से पहले राजभवन के अधिकारी ऑडिटोरियम निरीक्षण हेतु पहुंचे. उन्होंने मंच पर सीएम के प्रतीक के रूप में मौजूद हेमन्त सोरेन की तस्वीरों को देख हटाने का निर्देश दिया. और यह पहली बार नहीं जब ऐसे कार्यकर्मों में सीएम की तस्वीर लगाई गयी हो. ऐसे में केवल केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम से सीएम की तस्वीर हटाना आदिवासी-मूलवासी नेता का स्पष्ट अपमान है.
राजभवन द्वारा राज्य सरकार व उसके प्रतिनिधित्व का अपमान नया नहीं
- जुलाई 2023, दिवंगत मंत्री जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी ने झारखण्ड सरकार के 11 वें मंत्री के रूप में शपथ ली थी तो शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आये मिथलेश ठाकुर नाराज होकर चले गये थे. वजह थी कि राजभवन में प्रवेश करने पर रोक दिया गया था. इसे मंत्री ठाकुर ने तुगलकी फरमान करार देते हुए केंद्र के इशारे पर प्रायोजित बताया था.
- सितंबर 2023, हेमन्त सोरेन सरकार की राज्य समन्वय समिति ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता, ओबीसी सहित अन्य श्रेणी में आरक्षण बढ़ाने और मॉब लिंचिग से संबंधित विधेयकों को लेकर राज्यपाल से मिलने का समय मांगा था. लेकिन राजभवन से दो दिनों में समय नहीं मिला. समिति सदस्यों ने रविवार दोपहर दो बजे राजभवन के गेट पर पहुंचकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा.
बहुजन बाहुल्य राज्य के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है, दोषियों पर हो कड़ी कार्रवाई
झारखंड की धरती पर आयोजित कार्यक्रम से सीएम के प्रतीक के रूप में आदिवासी हेमन्त सोरेन की तस्वीर हटाए जाने के कृत्य को झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने गंभीरता से लिया है. पार्टी नेता विनोद पांडेय ने कहा है कि अपने नेता और राज्य के आदिवासी सीएम का अपमान को लेकर झामुमो कार्यकर्ताओं में नाराज़गी है. ऐसी घटना किसी भी राज्य के लिए अच्छा नहीं है. झामुमो की मांग है कि तस्वीर हटाए जाने के मामले में राजभवन या विश्वविद्यालय के दोषी अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.