झारखण्ड : 1932 स्थानीय, ST धर्म कोड, OBC आरक्षण, ₹1.36 लाख करोड़ बकाया, आवास-पेंशन के मामलों में चुप रहे एनडीए सांसदों को झामुमो के द्वारा कटघरे में खड़ा करना क्यों जायज नहीं?
रांची : झारखण्ड के मूल समस्याओं के मद्देनजर राज्य 12 एनडीए सांसदों को जीता पीएम के मांग को पूरा करे, पीएम इतराते भी दिखे. उसी राज्य के उन्हीं मांगों से वह पीएम मुंह फेर ले. साथ ही उसके सभी एनडीए सांसद भी मुंह सिल ले. जिसके अक्स में राज्यवासी और उसके द्वारा चुनी राज्य सरकार न केवल पीएम का सौतेला रुख देखे, साजिश का भी शिकार हो. और एसटी वर्ग के सुरक्षा कवच पर भी केंद्र का हमला हो तो ऐसे सांसदों को झामुमो के द्वारा कटघरे में खड़ा करना जायज है.
इण्डिया गठबंधन के स्टार प्रचारक और मुद्दों के आसरे विरोधियों को घेरने वाली झामुमो नेत्री कल्पना सोरेन मंच से स्पष्ट कहे कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति पर, सरना आदिवासी धर्म कोड पर, ओबीसी आरक्षण पर, राज्य के ₹1 लाख 36 हजार करोड़ बकाये पर, 8.5 लाख गरीबों के आवास पर, DVC की गुंडागर्दी पर सौतेले रवैया दिखाए, जिसके विरोध में केवल हेमन्त सोरेन की ही आवाज सड़क-सदन और चिट्ठियों में गूंजे. और एनडीए के 12 सांसदों को सांप सूंघ जाए. तो इन्हें बदल देने की मांग कैसे गलत हो सकती है.
तमाम परिस्थितियों के बीच इंडिया गठबंधन के पक्ष में सुदिव्य कुमार जैसे झामुमो के तमाम नेता-विधायक कार्यकर्ता जनता से कहे कि आप उनके प्रत्याशी को जीता दिल्ली भेजें. ये सांसद एनडीए गठबंधन के प्रत्याशियों की तरह चुप नहीं रहेंगे, बल्कि विजय हासदा की भांति झारखण्ड के अधिकारों को केंद्र से लड़ कर लायेंगे. और राज्य के सुनहरे भविष्य सुनिश्चित करेंगे. और राज्य में चल रहे पेंशन-शिक्षा जैसे सम्बंधित सभी विकास कार्य को मजबूती देंगे. ऐसे में राज्य की जनता इण्डिया गठबंधन की और रुझान दिखाए तो आश्चर्य क्यों?